जीकाअदा-1445 हिजरी
हदीस-ए-नबवी ﷺ
बाप की खुशनूदी में अल्लाह की रजा और बाप की नाराजगी में अल्लाह का गजब है।
मिश्कवात (जिल्द 2, सफा 419)
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✅ क़ारी ग़ुलाम सिमनानी : बालोद
मौजूदा दौर में नजर आने वाली इस्लाम की बहारें मदारिस अरबिया की मर्हूने मिन्नत हैं। मदारिस का कयाम नबी-ए-करीम ﷺ के दौर से है। प्यारे आक़ा ﷺ ने अस्हाब-ए-सफ़ा की मेज़बानी फ़रमाई, तब से मौजूदा दौर तक मदारिस दीने इस्लाम की हिफ़ाज़त के लिए संग-ए-मील का किरदार अदा कर रहे हैं। बड़े-बड़े उल्माए किराम, हुफ़्फ़ाज़े किराम और क़ारी-ए-क़ुरआन इन्हीं मदारिस की देन हैं।मौजूदा दौर में बच्चों को दीनी ताअलीम से रूशनास कराना वक़्त की शदीद ज़रूरत है। ऐसे माहौल में मदारिस के ताल्लुक़ से नज़रियात में तबदीली देखने को मिल रही है। हालांकि उ़ल्मा हुफ़्फ़ाज़ के ताल्लुक़ से बदज़नी को हवा दी जा रही है। मदारिस के बच्चों के तईं हमदर्दी के बजाय ह़िक़ारत की नज़र से देखने वाले अफ़राद भी मौजूद हैं, लेकिन जहां ऐसे मनफ़ी (निगेटिव) सोच के लोग पाए जाते हैं वहीं इसी मुआशरे में ऐसे अफ़राद भी मौजूद हैं, जिनके तआ़वुन से मदारिसे अरबिया दीनी काम सरअंजाम दे रहे हैं।
दारुल उ़लूम इमामे आज़म अबू ह़नीफ़ा, दल्लीराजहरा में हर साल बड़ी तादाद में बच्चे हिफ्ज कर रहे हैं। मदरसे के बच्चों का वास्ता उमूमन घर से मदरसा और मदरसे से घर तक ही होता है। मदरसे के बच्चों के लिए तफरीह का कोई कॉन्सेप्ट नहीं होता। अखराजात का मसला भी होता हे। लेकिन शहरे बालोद के मुहिब्बे उ़ल्माए किराम, बिल ख़ुसूस मुहिब्बे त़ालिबाने उ़़लूमे नबूव्वत ह़ाजी मुह़म्मद अफ़ज़ल रज़वी जैसे लोग भी हैं, जिनकी बदौलत मदरसे के बच्चों को भी सैर-ओ-तफरीह का मौका मिल जाता है।
ह़ाजी मुह़म्मद अफ़ज़ल रज़वी ने मदरसे के तमाम बच्चों को सुल्तानुल हिंद, अ़ता़-ए-रसूल, हज़रत ख़्वाजा मुईनुद्दीन चिशती, ह़सन संजरी अ़लैहिर्रह़मा की बारगाह की जियारत कराने का इरादा किया जिसके बाद ह़ाजी जनाब अफजल रजवी के तआवुन से मदरसे के तमाम बच्चों और असातिज़ा समेत 32 अफ़राद पर मुश्तमिल काफिले को लेकर दुर्ग से 5 मई को सूए अजमेर शरीफ़ रवाना हुआ। हाजी जनाब अफजल रजवी के भतीजे मुहम्मद फ़ैज़ान रज़ा और अज़हरुद्दीन क़ुरैशी बच्चों के हमराह थे। हाजी जनाब अफजल रजवी अज खुद अगले दिन फ़्लाईट से अजमेर शरीफ़ पहूंच चुके थे, ताकि बच्चों के लिए कयाम व खाने वगैरह का इंतजाम कर सकें। अजमेर शरीफ पहुंचकर बच्चों ने ख्वाजा गरीब नवाज रहमतुल्लाह अलैह की दरगाह के अलावा सरवाड़ शरीफ में वाके दरगाह की जियारत की और रियासत व मुल्क में अम्नो-अमान, खुशहाली, तरक्की और भाईचारगी के लिए दुआएं की।
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सउदी अरब : मस्जिद-ए-नबवी ﷺ में लगी है दुनिया की अनोखी छतरीगौरतलब है कि इससे पहले हा़जी साहब क़िबला गुज़िश्ता साल ग्यारह अफ़राद पर मुश्तमिल एक क़ाफ़िले को ज़ियारते ह़रमैन शरीफ़ैन के लिए ले जा चुके हैं। काफिले में अक्सर उल्माए किराम शामिल थे। हाजी साहब किबला के दीनी जज्बे को लेकर मदरसे के बच्चों समेत हरमैन शरीफ की जियारत से मुस्तफीज होने वाले उल्माए किराम ने उनके हक में दुआएं की है।
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