जमादिउल आखिर, 1447 हिजरी
﷽
फरमाने रसूल ﷺ
जिस शख्स की रूह इस हाल में उसके जिस्म से जुदा हो के वो तीन चीजों से बरी हो तो वो जन्नत में जाएगा
1, तकब्बुर
2, कर्ज और
3 खयानत- मसनद अहमद
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बैन उल अक़वामी खजूर काउंसिल के मुताबिक खजूर एक्सपोर्ट करने के मामले में सउदी अरब आलमी सतह पर पहले नंबर पर है। इंटरनेशनल खजूर काउंसिल के मुताबिक गुजिश्ता बरस 1.7 अरब रयाल से ज़्यादा कीमत की खजूरे 111 मुल्कों को एक्सपोर्ट की गई जो अपने आप में एक रिकार्ड है।
इंटरनेशनल खूजर काउंसिल के बोर्ड आफ़ डायरेक्टर्स के पांचवें इजलास में इसे इत्मिनानबख्श बताया गया कि ममलकत में खजूर की सालाना पैदावार 1.9 मिलियन टन तक पहुंच गई है। इजलास के मुताबिक सऊदी अरब इस वक़्त दुनिया के 111 मुल्कों में बेहतरीन मयार की खजूरें एक्सपोर्ट कर रहा है।
इंटरनेशनल खूजर काउंसिल के बोर्ड आफ़ डायरेक्टर्स के पांचवें इजलास में इसे इत्मिनानबख्श बताया गया कि ममलकत में खजूर की सालाना पैदावार 1.9 मिलियन टन तक पहुंच गई है। इजलास के मुताबिक सऊदी अरब इस वक़्त दुनिया के 111 मुल्कों में बेहतरीन मयार की खजूरें एक्सपोर्ट कर रहा है।
इजलास में एक्सपर्ट ने इस शोबे में जीनीयाती वसाइल को बेहतर बनाने और पैदावार में इज़ाफे़ के साथ मार्केटिंग की सरगर्मियों को फ़रोग़ देने की ज़रूरत पर ज़ोर दिया।
वज़ीर-ए-ज़राअत में मज़ीद कहा कि खजूर की सनअत को मज़ीद बेहतर बनाने के लिए मरबूत और जामा प्रोग्राम के तहत जदीद टैक्नोलोजी की लोकलाइज़ेशन की बुनियाद पर पैदावारी अमल और मयार को मज़ीद बेहतर बनाया जा सकता है।
याद रहे कि ममलकत में खजूर की 300 से ज़्यादा इक़साम पैदा होती हैं। उनमें सबसे मशहूर सकरी, अलख़लास, अजवा, अलसक़ई और अलसफ़री हैं
वज़ीर-ए-ज़राअत में मज़ीद कहा कि खजूर की सनअत को मज़ीद बेहतर बनाने के लिए मरबूत और जामा प्रोग्राम के तहत जदीद टैक्नोलोजी की लोकलाइज़ेशन की बुनियाद पर पैदावारी अमल और मयार को मज़ीद बेहतर बनाया जा सकता है।
याद रहे कि ममलकत में खजूर की 300 से ज़्यादा इक़साम पैदा होती हैं। उनमें सबसे मशहूर सकरी, अलख़लास, अजवा, अलसक़ई और अलसफ़री हैं
खजूर के दरख़्तों की तादाद 34 मिलियन से ज़्यादा
2024 के दौरान सऊदी अरब में खजूर की पैदावार एक फ़ीसद बढ़कर 1.9 हज़ार टन तक पहुंच गई जबकि खजूर के दरख़्तों की तादाद 3 करोड़ 76 लाख से ज़्यादा रही। खबरों के मुताबिक़ खजूर की किस्मों में अलकसीम एक करोड़ 8 लाख दरख़्तों और 5 लाख 84 हज़ार टन पैदावार के साथ सर-ए-फ़हरिस्त रहा जबकि ख़लास किस्म की खजूर ने 6 लाख 16 हज़ार टन के साथ सबसे ज़्यादा पैदावार दी है।
मजमूई अनाज की पैदावार 1.6 हज़ार टन रही जिसमें गंदुम का हिस्सा 71.9 फ़ीसद था और इसकी पैदावार में 9.7 फ़ीसद की कमी रिकार्ड की गई। इसके साथ ही सब्जी का रकबा 8.4 फ़ीसद बढ़कर 89.7 हज़ार हेक्टर हो गया और पैदावार 2.7 हज़ार टन रही जिसमें आलू 6.24 लाख टन और तरबूज़ 6.12 लाख टन पैदावार के साथ सबसे आगे रहे।जैतून के दो करोड़ से ज्यादा दरख्त
फलदार दरख्तों में ज़ैतून दो करोड़ 15 लाख दरख़्तों और 3.51 लाख टन पैदावार के साथ सर-ए-फ़हरिस्त रहा। इसके बाद अंगूर 73 लाख दरख़्त और 1.25 लाख टन के साथ दूसरे नंबर पर रहा।


