फज्र की नमाज अदा कर रहे नमाजियों पर हमला, अधाधुंध फायरिंग से दर्जनों नमाजी शहीद

 शअबान उल मोअज्जम-1445 हिजरी

हदीसे नबवी सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम
तकदीर का लिखा टलता नहीं

'' हजरत अबु हुरैरह रदि अल्लाहो अन्हुमा ने फरमाया-अपने नफे की चीज को कोशिश से हासिल कर और अल्लाह ताअला से मदद चाह, और हिम्मत मत हार और अगर तुझ पर कोई वक्त पड़ जाए तो यूं मत कह कि अगर मैं यूं करता तो ऐसा हो जाता, ऐसे वक्त में यूं कह कि अल्लाह ताअला ने यही मुकद्दर फरमाया था और जो उसके मंजूर हुआ, उसने वहीं किया। ''
- मुस्लिम शरीफ

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फज्र की नमाज अदा कर रहे नमाजियों पर हमला, अधाधुंध फायरिंग से दर्जनों नमाजी शहीद

✅ लंदन : आईएनएस, इंडिया

बरकीना फासो के एक क़स्बे की एक मस्जिद में दहशतगर्दों ने हमला कर दिया। हमला फज्र की नमाज के वक्त हुआ, उस वक्त मस्जिद में लोग नमाज अदा कर रहे थे। अचानक हुए इस हमले के सबब दर्जनों नमाजियों की मौत हो गई। गौरतलब है कि मुल्क में बागियों की जानिब से इबादत-गाहों और मज़हबी रहनुमाओं पर हमले तेज़ होते जा रहे हैं।     
    अफ़्रीक़ी मुल्क बरकीना फासो में हुक्काम का कहना है कि एक मस्जिद में फ़ज्र की नमाज़ के वक़्त दर्जनों अफ़राद को गोली मार कर हलाक कर दिया गया। मस्जिद के अंदर फायरिंग का वाक़िया फ़ज्र की नमाज़ के दौरान हुआ, जहां बंदूक़ बर्दारों ने नित्या बवानी क़स्बे में मस्जिद को चारों तरफ़ से घेर लिया था। इत्तिलाआत के मुताबिक़ ये हमला गुजिश्ता इतवार की सुबह हुआ। मुक़ामी मीडीया की इत्तिलाआत के मुताबिक़ मोटर साईकलों पर सवार मशीनगनों से लैस सैंकड़ों अस्करीयत पसंदों ने इस हमले को अंजाम दिया। 
    सोशल मीडीया पर वायरल हो रही ग़ैर तसदीक़शुदा रिपोर्टस बताती हैं कि मस्जिद पर हमले में मरने वालों की तादाद हुक्काम की तरफ़ से दी गई गिनती से कहीं ज़्यादा हो सकती है। क़स्बे के एक मुक़ामी बाशिंदे ने एएफ़पी को बताया कि मुतास्सिरीन मस्जिद में नमाज़ अदा करने पहुंचे थे। सिक्योरिटी से वाबस्ता एक दीगर शख़्स ने एफ़पी को बताया कि मुसल्लह अफ़राद (हथियारबंद) लोगों ने सुबह के तक़रीबन पाँच बजे मस्जिद पर हमला किया, जिसके नतीजे में कई दर्जन अफ़राद हलाक हो गए। एक और मुक़ामी ज़राइआ ने बताया कि दहश्तगर्द सुब्ह-सवेरे क़स्बे में दाख़िल हुए। उन्होंने मस्जिद का मुहासिरा कर लिया और उन लोगों पर गोलियां चलाई जो वहां फ़ज्र की नमाज़ के लिए जमा हुए थे। उनमें से बेशतर को गोली मार कर हलाक कर दिया गया, उनमें एक अहम मज़हबी रहनुमा भी शामिल हैं। 

चर्च पर भी हुआ हमला, 15 की मौत

    जिस रोज़ मस्जिद पर हमले में दर्जनों अफ़राद को फायरिंग कर हलाक किया गया, उसी दिन मुल्क के शुमाल मशरिक़ (उत्तर-पूर्व) में एक कैथोलिक चर्च पर भी हमला किया गया जिसमें कम अज़ कम 15 अफ़राद हलाक हो गए। हमले के वक्त चर्च के अंदर एक प्रोग्राम मुनाक़िद किया जा रहा था। हुक्काम ने दोनों हमलों के दरमयान बाज़ाबता तौर पर किसी ताल्लुक़ की कोई बात नहीं की है। ताहम मुक़ामी मीडीया ने इस हवाले से सवाल ज़रूर उठाए हैं कि ये कहीं किसी एक मरबूत साज़िश का हिस्सा तो नहीं है। 

पहले भी हो चुके हैं हमले

    बरकीना फासो में मज़हबी मुक़ामात और शख़्सियात पर हमले कोई नई बात नहीं है। माज़ी में भी ऐसे हमले कई बार हो चुके हैं। इन्सानी हुक़ूक़ के कारकुनों का कहना है कि बरकीना फासो का बोहरान (संकट) दुनिया के सबसे ज़्यादा नज़रअंदाज किए जाने वाले बोहरानों में से एक है। कई बरसों से जारी तशद्दुद के सबब बढ़ते अदम तहफ़्फ़ुज़ ने 20 लाख से ज़्यादा लोगों को अपने घरों से निकलने पर मजबूर कर दिया है। अक़वाम-ए-मुत्तहिदा (संयुक्त राष्ट्र) का तख़मीना (अंदाज) है कि पाँच साल से कम उमर के बच्चों में से एक चौथाई की कम ग़िजाईयत (भूख) के सबब मौत हो गई। दो बरस क़बल फ़ौज ने बागियों के ख़िलाफ़ जंग जीतने का वाअदा करते हुए इक़तिदार पर क़बज़ा कर लिया था, लेकिन तशद्दुद बदस्तूर जारी है।


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