26 मुहर्रम-उल-हराम 1445 हिजरी
पीर, 14 अगस्त, 2023
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अकवाले जरीं‘मेरी उम्मत में से सबसे पहले मेरे पास हौजे कौसर पर आने वाले वो होंगे जो मु्रासे और मेरे अहले बैत से मोहब्बत करने वाले हैं।’
-जामाह उल हदीस
नई तहरीक : रायपुर
सुरैय्या बदरुद्दीन तैय्यबजी हैदराबाद की रहने वाली पहली खातून आईजी आफिसर थीं, जो सन् 1947 में पीएमओ आफिस में तैनात थीं। सुरैय्या तैय्यब जी का पूरा खानदान ही हिंदूस्तान की जंगे आजादी का दीवाना था। सन् 1902 में सुरैय्या तैय्यब जी के शौहर बदरुददीन तैय्यब जी हिंदूस्तान में पहले चीफ जस्टिस थे, जिन्होंने बाद में नौकरी से इस्तीफा देकर कांग्रेस के संगठन और आंदोलन में अपनी पूरी जिंदगी न्यौछावर कर दी। वे कांगे्रस के सदर भी रहे।सुरैय्या तैय्यब जी मशहूर मुजाहिद मौलवी अलाउद्दीन और अकबर हैदरी की भांजी थीं। मौलवी अलाउद्दीन शाह को सन् 1857 में कालापानी की सजा दी गई थी।
सुरैय्या तैय्यब जी वो पहली मुस्लिम खातून हैं, जिन्हें हिंदूस्तान के नेशनल फ्लैग डिजाईन करने का सर्फ हासिल है। महात्मा गांधी के कहने पर सुरैय्या तैय्यब जी ने मुल्क का नेशनल फ्लैग डिजाईन किया था जो अब तक चला आ रहा है। हालांकि मुल्क के मोअर्रिखों (इतिहासकारों) ने आगे चलकर इस फ्लैग को दीगर के नाम से जोड़ दिया था। जबकि पिंगा जी वेंकैया जी ने होमरूल लीग और कांग्रेस का फ्लैग, जिस पर चरखा बना था, डिजाईन किया था। ये बात पटटाभि सीता रामैया ने कांगेस कमेटी की मीटिंग में कही थी, जिसे फ्रीडम स्ट्रगल आफ इंडिया 1857 में मशहूर मोअर्रिख ताराचंद ने भी लिखा है।
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सुरैय्या तैय्यब जी द्वारा नेशनल फ्लैग, जिस पर अशोक का प्रतीक धर्म चक्र बना है, डिजाईन किया गया था, उसे मशहूर अंगे्रज राइटर ट्रेवल रायल ने अपनी बुक ‘दी लास्ट डेज आफ दी राज’ में भी लिखा है। इसमें कहीं शक नहीं कि नेशनल फ्लैग सुरैया तैय्यब जी ने ही डिजाईन किया था। इस ांडे के खिलाफ सन् 1947 में हिंदू महासभा और राष्टÑीय स्वयंसेवक संघ के लोगों ने कांग्रेस दफ्तर के सामने प्रदर्शन व धरना दिया था और ांडे को जला दिया था। इस मुखालफत के बाद ही नेहरु सरकार ने आरएसएस पर बैन लगाया दिया था।
ब शुक्रिया
सैय्यद शहनवाज अहमद कादरी
कृष्ण कल्कि
‘लहू बोलता भी है’
(जंग-ए-आजादी के मुस्लिम मतवालों की दास्तां)
प्रकाशक : लोकबंधु राजनारायण के लोग
कंधारी लेन, 36 कैंट रोड, लखनऊ
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