जुल्म सहना भी जुर्म है : आलिमा गुल निशा

मोहर्रम-उल-हराम - 1446 हिजरी

  हदीस-ए-नबवी ﷺ  

ह्य अल्लाह ताअला जिसके साथ खैर व भलाई करना चाहता है, उसे बीमारी की तकलीफ और दीगर मुसीबतों में मुब्तिला कर देता है।ह्य

- सहीह बुख़ारी


अलदद सोसायटी ने किया शोहदा-ए-कर्बला को किया याद 
सेक्टर-6 में मुनाकिद हुई तकरीब
तकरीर-ओ-नात-ओ सलाम के बाद की गई दुआएं

अलमदद सोसायटी ने किया शोहदा-ए-कर्बला को किया याद

✅ नई तहरीक : भिलाई

अल मदद एजुकेशन एंड वेलफेयर सोसाइटी की जानिब से तकरीब ह्ययाद-ए-इमाम हुसैनह्ण मुनाकिद गई। जामा मस्जिद, सेक्टर-6 के कम्युनिटी हॉल में मुनाकिद तकरीब में कर्बला के शहीदों का जिक्र करने के साथ ही उनकी शहादत को याद किया गया। नात शरीफ पेश की गई और फातिहा ख्वानी हुई। मदरसों में तालीम हासिल कर रहे बच्चों के अलावा तकरीब में मौजूद लोगों के बीच हलीम तकसीम किया गया। 
    सोसाइटी की सदर अंजुम अली ने बताया कि तकरीब में 100 से जाईद लोगों ने शिरकत की। कुरआन शरीफ की तिलावत से हुई शुरुआत के बाद आलिमा गुलनिशा ने शहीदाने-कर्बला के वाकयात बयान किए। उन्होंने कहा कि इमाम हुसैन ने जुल्म के खिलाफ आवाज उठाई, इसलिए आज 1400 साल के बाद भी दुनिया उनका नाम लेती है। उन्होंने कहा कि खुद पर जुल्म सहना भी जुर्म है। उन्होंने सभी से मिलजुल कर रहने की अपील की। इस दौरान मुल्क में अमन व सलामती की दुआएं की गई। मदरसे से पहुंचे 50 बच्चे, बैतुल माल कमेटी और हजरत बीबी फातिमा जहरा कमेटी के लोगों ने तकरीब की सताईश की। सभी के बीच कर्बला के शहीदों की याद में हलीम तकसीम किया गया।
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हाजियों का किया इस्तकबाल

एक दीगर प्रोग्राम में अल मदद एजुकेशन एंड वेलफेयर सोसाइटी की जानिब से हज व उमराह के मुबारक सफर से लौटे आजमीनों का इस्तकबाल किया गया। इनमें मोहम्मद शब्बीर, जहीरून, उमर खान, नफीसा, रुखसाना हुडको, मेहरुन्निसा सेक्टर-4, अजरा सेक्टर-7, मोहम्मद रिजवान सेक्टर-4, साजिद, मजीद, नवाब मर्चेंट और सबाउल्लाह हुडको शामिल हैं।
अलमदद सोसायटी ने किया शोहदा-ए-कर्बला को किया याद

    तकरीब की कामयाबी में अल मदद सोसाइटी की ओर से शाहीन खान, फरीदा अली, सीमा खान, नाहिदा खान, लीना तजमीन, नर्गिस, आयशा आलम, शम्शुन, कमर सुल्ताना, अनीस फातिमा, फरहीन, नीलोफर खान, रुखसाना सिद्दीकी, जुल्फी, एसएन शेख, कौसर खान और दीगर ने अहम किरदार अदा किया।

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