सफर उल मुजफ्फर - 1446 हिजरी
हदीस-ए-नबवी ﷺ
जिसने अस्तग़फ़ार को अपने ऊपर लाज़िम कर लिया अल्लाह ताअला उसकी हर परेशानी दूर फरमाएगा और हर तंगी से उसे राहत अता फरमाएगा और ऐसी जगह से रिज़्क़ अता फरमाएगा जहाँ से उसे गुमान भी ना होगा।
- इब्ने माजाह
✅ एमडब्ल्यू अंसारी : भोपाल साबिक़ वज़ीर-ए-क़ानून-ओ-समाजी फ़लाह-ओ-बहबूद, सुप्रीमकोर्ट के सीनीयर वकील सलमान खुर्शीद के साथ
साबिक़ डीजीपी, आईपीएस एमडब्लयू अंसारी ----------------------------------------
नहीं हो पा रहा अमल दरआमद
आईआईसीसी के अग़राज़-ओ-मक़ासिद को पूरा नहीं किया जा सका है, आईआईसीसी के मक़ासिद में नौजवानों की तालीमी और कैरियर रहनुमाई के अलावा भारतीय मुस्लमानों की समाजी, तालीमी और इक़तिसादी पसमांदगी को दूर करने जैसे काम शामिल है। सलमान खुर्शीद के इंतेखाब से उम्मीद जताई जा रही है कि वे इस तरफ़ ख़ुसूसी तवज्जा देंगे। नीज़, अपने मंशूर (इश्तेहार) में भारतीय मुस्लमानों की फ़लाह-ओ-कामरानी की जो बातें कही गई थी, उन्हें भी पूरा किया जाएगा।
➧ नई नसल को मुजाहेदीन-ए-आजादी की हयात से रोशनाश कराने का किया अज्म
इस वक़्त मुल्क़ में मुस्लमानों की क्या हालत है, यह किसी से छुपा नहीं है। मुस्लमान खुद को सताया हुआ महसूस कर रहा है। ये कहना भी ग़लत नहीं होगा कि क़ानून बनाकर मुस्लमानों को परेशान किया जा रहा है और ये सिलसिला कई सालों से जारी है। अपने ही मुल्क भारत में मुस्लमानों की शिनाख़्त ख़त्म करने की कोशिशें की जा रही हैं जिस पर क़दग़न लगाने के लिए आईआईसीसी जैसा प्लेटफ़ार्म अहम किरदार अदा कर सकता है। यहां से उठाई जाने वाली आवाज की गूंज भारत के साथ-साथ दुनियाभर में गूंजेगी।
कभी सीएए तो कभी एनआरसी, यूएपीए हो या ट्रिपल तलाक़, हिजाब मुआमला हो या फिर हाल ही में लाया हुआ वक़्फ़ बिल। इसी तरह मुस्लमानों के साथ होते मआब लंचिंग के मुआमले, ग़रज़ ये कि मुस्लमानों के ख़िलाफ़ इस तरह के कई हरबे इस्तिमाल किए जा रहे हैं, मुस्लिम लीडरान को भी तरह-तरह से हिरासाँ किया जा रहा है जिससे आईआईसीसी के ज़रीये क़ानूनी तौर पर आईन के मुताबिक़ अपनी आवाज़ हुकूमत तक पहुंचाई जा सकती है।
अकलीयतों की फ़लाह के लिए मुल्क की रियास्तों में हज कमेटी, उर्दू अकेडमी, मुदर्रिसा बोर्ड, अकलीयती मालीयाती तरक़्क़ी कार्पोरेशन जैसे इदारे क़ायम तो हैं लेकिन हुकूमत की अदम तवज्जही के सबब ये सारे इदारे बीमार हैं जिन्हें ईलाज की सख़्त ज़रूरत है।
कभी सीएए तो कभी एनआरसी, यूएपीए हो या ट्रिपल तलाक़, हिजाब मुआमला हो या फिर हाल ही में लाया हुआ वक़्फ़ बिल। इसी तरह मुस्लमानों के साथ होते मआब लंचिंग के मुआमले, ग़रज़ ये कि मुस्लमानों के ख़िलाफ़ इस तरह के कई हरबे इस्तिमाल किए जा रहे हैं, मुस्लिम लीडरान को भी तरह-तरह से हिरासाँ किया जा रहा है जिससे आईआईसीसी के ज़रीये क़ानूनी तौर पर आईन के मुताबिक़ अपनी आवाज़ हुकूमत तक पहुंचाई जा सकती है।
अकलीयतों की फ़लाह के लिए मुल्क की रियास्तों में हज कमेटी, उर्दू अकेडमी, मुदर्रिसा बोर्ड, अकलीयती मालीयाती तरक़्क़ी कार्पोरेशन जैसे इदारे क़ायम तो हैं लेकिन हुकूमत की अदम तवज्जही के सबब ये सारे इदारे बीमार हैं जिन्हें ईलाज की सख़्त ज़रूरत है।
मुल्क के मौजूदा हालात को देखते हुए यह कहना भी गलत नहीं होगा कि मुस्लमान सियासत का वो यतीम बच्चा है, जिसे इलेक्शन आने पर सभी पार्टियां गले तो लगाती हैं, मगर इंतिख़ाबात के बाद उसे वापिस यतीम-ख़ाने में छोड़ दिया जाता है। इसकी ताज़ा मिसाल मर्कज़ी इंतिख़ाबात के बाद बनाई गई काबीना में देखी जा सकती है, जहां 72 वुज़रा में से एक भी वज़ीर अक़लीयती बिरादरी से नहीं है। अक़लीयतों और ख़ासकर मुस्लमानों को आबादी के तनासुब से हुकूमत और दीगर महिकमों में हिस्सादारी नहीं मिल रही है।
ये मुसन्निफ के अपने ख्याल हैं
एक अपील
उर्दू जबान की बका व फरोग के लिए साल 2018 से अंसार एजूकेशनल एंड सोशल वेलफेयर सोसायटी की कोशिशें जारी है। 2021 से बाकायदा एक मुहिम के तौर पर सोसायटी की टीम मूसर अंदाज में उर्दू की बका व फरोग के लए काम कर रही है ताकि उर्दू जबान को मुल्क में वो मुकाम व मर्तबा हासिल हो सके, जो उसका बुनियादी हक है।
मुल्क में ऐसे बेशुमार शोअरा, उदबा व मुसन्निफ हुए हैं, जिन्होंने तहरीक आजादी के साथ-साथ उर्दू के लिए नुमाया खिदमात अंजाम दीं है। इनमें गैर मुस्लिम शोअरा, उदबा व मुसन्निफीन भी शामिल हैं, जो मुजाहिद आजादी भी रहे हैं, मसलन मुंशी नवल किशोर, नारायण चकबस्त, जगन्नाथ आजाद, कुंवर महेंद्र सिंह बेदी वगैरह। मगर अफसोस, हम चंद ही लोगों के नामों को जानते हैँ हालांकि ऐसे मुजाहिदीन की एक बड़ी तादाद है जो गुमानामी के अंधेरे में गुम है। मोअद्दबाना गुजारिश है कि ऐसे गुमनाम मुजाहेदीन आजादी, अदीब और शोअरा हजरात से मुताल्लिक छोटी से छोटी जानकारी, दस्तावेजात, तसावीर वगैरह, जो आपके पास है, हमें दस्तयाब कराएं ताकि उर्दू की बेहतरी के लिए हमारे काम को फरोग मिल सके।
इसके अलावा उर्दू के दरपेश मसाईल उर्दू इदारों को ग्रांट न मिलना, निसाब की किताबों का मसला, असातजा की तकर्रुरी वगैरह को लेकर भी आप अपने मश्वरों से सोसायटी को नवाजे। ऐन नवाजिश होगी।
पता : बेनजीर अंसार एजूकेशनल एंड सोशल वेलफेयर सोसायटी
उसिया, रिसार्ट क्वींस होम, कोह-ए-फिजा, अहमदाबाद पैलेस रोड, भोपाल पिन 462001
ई-मेल BENAZEERANSAR256@GMAIL.COM
mwansari1984@gmail-com
Mob. Mohd. Ateeq 6232050632
Tasneem Habib 9424467601