मुस्लिम राष्ट्रीय मंच, अंजुमन इस्लाहुल मुस्लेमीन व मदरसा सेल की कयादत में जुमा की नमाज के बाद निकाली आक्रोश रैली
सफर उल मुजफ्फर - 1446 हिजरी
हदीस-ए-नबवी ﷺ
जो कोई अल्लाह और आख़ेरत के दिन पर ईमान रखता हो, वो अच्छी बात ज़बान से निकाले वरना खामोश रहे।
- सहीह बुखारी
✅ नई तहरीक : दुर्ग
पैगंबर-ए-इस्लाम हजरत मुहम्मद ﷺ की शान में नाजेबा बातें कहने वाले संत रामगिरी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का मुतालबा करते हुए मुस्लिम राष्ट्रीय मंच, तलबा, अंजुमन इस्लाहुल मुस्लेमीन व मदरसा सेल के जिलई सदर खालिक रिजवी की कयादत में जुमा की नमाज के बाद एहतेजाजी रैली निकाली गई।
तकिया पारा, मुस्लिम सराय से निकली रैली पैदल मार्च करते हुए कलेक्ट्रोरेट पहुंची जहां कौमी सदर के नाम कलेक्टर को मेमोरेंडम सौंपकर पैगंबर-ए-इस्लाम ﷺ की शान में गुस्ताखी करने वाले संत के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का मुतालबा किया। इस मौके पर जामा मस्जिद, तकिया पारा, अक्सा मस्जिद, डिपरा पारा व गांधी नगर मस्जिद के इमाम-ओ-खतीब के अलावा कसीर तादाद में तलबा व आम शहरी मौजूद थे। इनमें खालिक रिजवी, जामा मस्जिद के सदर रिजवान खान, तकिया पारा के सदर शरीफ खान, अंजुमन के सदर अजहर, रजा खोखर, जुनेद लाल आजमी, वसीम सेठी, अनीस खान, इश्हाक अली, सगीर अहमद, अब्दुल मुकीम, तबरेज खान, अरमान आलम, लतीफ खोखर, जाकिर खोखर, मोहम्मद कैफ, नासिर खोखर, अमजद अली, सैय्यद रज्जब अली, जावेद रजा, हैदर अली, इमरान, हसन पुवार वगैरह शामिल हैं।
खिलाफत कमेटी का जुलूस-ए-मुहम्मदी ﷺ : चन्द्रशेखर आज़ाद होंगे मेहमान खुसूसी
✅ मुंबई : आईएनएस, इंडिया
इस साला ईद-ए-मिलाद उन्नबी ﷺ के मौके पर ऑल इंडिया ख़िलाफ़त कमेटी के ज़ेर-ए-एहतिमाम जुलूस मुनाक़िद किया जाएगा। जुलूस की रिवायत हमेशा से यही रही है कि मुआशरे व मुल्क की ऐसी शख़्सियात को यहां मेहमान-ए-ख़ोसूसी के तौर पर मदऊ किया जाता है, जिसके सबब मुल्क और दूसरे मज़ाहिब के माबैन उखुवत क़ायम हो। उसी मक़सद को मद्द-ए-नज़र रखते हुए ख़िलाफ़त कमेटी ने आज़ाद समाज पार्टी (राम) के रहनुमा और उतर प्रदेश के नगीना लोक सभा हलक़ा से रुक्न पार्लियामेंट चन्द्र शेखर आज़ाद को दावत दी है।जंग-ए-आजादी में खिलाफत हाउस का रहा था अहम किरदार
यही नहीं, ख़िलाफ़त हाउस महात्मा गांधी, पण्डित जवाहर लाल नहरू, उनके अफ़राद, सरदार पटेल, अली बिरादरान, मौलाना अबुल-कलाम आज़ाद, हकीम अजमल ख़ान, डाक्टर अंसारी जैसी मुतअद्दिद कद्दावर शख़्सियात की सरगर्मियों का मर्कज़ रहा और ये बात पूरे वसूक़ के साथ कही जा सकती है कि हिन्दोस्तान की जहद आज़ादी की कोई भी तारीख़ ख़िलाफ़त तहरीक के और ख़िलाफ़त हाउस के तज़किरे के बग़ैर मुकम्मल नहीं हो सकती।
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