रबि उल अल 1446 हिजरी
फरमाने रसूल ﷺ
आदमी को झूठा होने के लिए यही काफी है कि वह हर सुनी-सुनाई बात बिना तहकिक किए बयान कर दे।
- मिशकवत
✅ लखनऊ : आईएनएस, इंडिया रियासत उत्तरप्रदेश के सुलतान पूर में हुए एनकाउंटर पर सियासी सरगर्मियां तेज़ हैं, समाजवादी पार्टी योगी हुकूमत पर ज़ात पात के नाम पर एनकाउंटर का इल्ज़ाम लगा रही है। इन सबके बरअक्स चंद मीडीया रिपोर्टस में ये दावा किया गया है कि 2017 से 2023 तक योगी हुकूमत के दौरान यूपी पुलिस-एसटीएफ़ के ज़रीया सबसे ज़्यादा एनकाउंटर मुस्लमानों का किया गया है।
उतर प्रदेश में एनकाउंटर के हवाले से मीडीया रिपोर्टस में दावा किया गया है कि रियासत में 2017 से 2023 के दरमयान कुल 183 मुजरिम मारे गए हैं। अगर मीडीया रिपोर्टस के आदाद-ओ-शुमार पर नज़र डालें तो एनकाउंटर में मारे गए इन 183 मुजरिमों में से 61 मुस्लमान, 18 ब्रहमन, 16 ठाकुर, 15 जाट और गुर्जर, 14 यादव, 13 दलित, 3 क़बाइली, 2 सिख, 7 ओबीसी और ।34 दीगर शामिल हैं। इसके साथ ही मार्च 2017 से अगस्त 2024 तक उतर प्रदेश में 207 मुजरिमों को एनकाउंटर में मारा गया है। यूपी एसटीएफ़ ने मई 2023 से 5 सितंबर 2024 तक एनकाउंटरस में कुल 9 मुजरिमों को हलाक किया। इसके साथ ही मीडीया रिपोर्टस में इन एनकाउंटरस के आदाद-ओ-शुमार पर समाजवादी पार्टी, बीजेपी और कांग्रेस के रद्द-ए-अमल भी सामने आए हैं।
इन आदाद-ओ-शुमार पर समाजवादी पार्टी के तर्जुमान मनोज काका ने कहा कि पूरा मुल़्क इन आदाद-ओ-शुमार को देख रहा है। यूपी में होने वाले एनकाउंटर पर क़ौमी इन्सानी हुक़ूक़ कमीशन ने कहा है कि सबसे ज़्यादा फ़र्ज़ी एनकाउंटर यूपी में हुए हैं। दुनिया-भर से जो आदाद-ओ-शुमार आए हैं, उससे ज़ाहिर होता है कि इसके लिए किसी सबूत की ज़रूरत नहीं है। ज़ात से बड़ा सवाल ये है कि आप मासूम लोगों को मार रहे हैं, मुजरिमों को नहीं, और मंगेश यादव उसकी रोशन मिसाल हैं। पुलिस ने कई ऐसे मुस्लमान को भी एनकाउंटर में हलाक किया है जो किसी जुर्म में मुलव्वस नहीं थे। समाजवादी पार्टी के तर्जुमान ने कहा कि आदाद-ओ-शुमार आए हैं, कि 61 मुस्लमान मारे गए हैं। मेरा सवाल ये है कि सबसे ज़्यादा एनकाउंटर क्यों हुए।
समाजवादी पार्टी सरबराह अखिलेश यादव भी मुसलसल ये कह रहे हैं कि निचले तबक़े के लोगों को फंसाया जा रहा है और उनका एनकाउंटर किया जा रहा है, उन लोगों का मुक़ाबला करते वक़्त पुलिस के हाथ काँपते हैं जो आला बिरादरी से ताल्लुक़ रखने वाले मुजरिम हैं। अगर एनकाउंटर किसी मुजरिम का है तो हम उसकी हिमायत नहीं करेंगे लेकिन अगर आप एनकाउंटर ज़ात की बुनियाद पर करते हैं तो ये बदक़िस्मती है। इसके साथ ही बीजेपी के तर्जुमान राकेश त्रिपाठी ने इस मुआमले पर कहा कि अप्पोज़ीशन को इन आदाद-ओ-शुमार को ग़ौर से देखना चाहिए। अपोज़ीशन कहती थी कि सबसे ज़्यादा एनकाउंटर यादवों के साथ हुए हैं।