जंग-ए-आजादी में मुसलमानों के किरदार को रेखांकित करने वाली किताब लहू बोलता भी है, एक बार फिर चर्चा में है। 5 दिसंबर को हैदराबाद में तेलंगाना के उप मुख्यमंत्री भटटी विक्रमार्क मल्लू इसके अंग्रेजी जिल्द का इजरा करने जा रहे हैं। मशहूर समाजवादी विचारक सैय्यद शाहनवाज अहमद कादरी की इस किताब का हिन्दी और उर्दू जिल्द पहले ही मंजरे आम पर आ चुका है और खासी मकबूलियत हासिल कर रहा है।
अपनी किताब पर बात करते हुए मुसन्निफ सैय्यद शाहनवाज अहमद कादरी ने कहा कि जंग-ए-आजादी की तारीख लिखने में मुस्लिम मुजाहिदों को एक सोची समझी साजिश के तहत पूरी तरह नजरअंदाज किया गया है। जबकि जंग-ए-आजादी में अगर किसी कौम ने सबसे आगे रहकर अंग्रेजों का सामना किया है, तो ये वही कौम है। उन्होंने कहा कि किताब लहू बोलता भी है के जरिये मुल्क के कोने-कोने से जंग-ए-आजादी में अपनी कुर्बानी देने वाले तमाम मुस्लिम मुजाहेदीन के नाम सामने लाने की कोशिश की गई है। इसका पहला जिल्द हिन्दी में शाईया हुआ था, जिसके फौरन बाद उर्दू दां लोगों की मांग पर दूसरा जिल्द उर्दू जबान में शाईया हुआ जिसमें कई छूटे मुजाहेदीन को भी शामिल किया गया है। किताब की मकबूलियत का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि अब इसका अंग्रेजी जिल्द सामने आ रहा है।
अपनी किताब पर बात करते हुए मुसन्निफ सैय्यद शाहनवाज अहमद कादरी ने कहा कि जंग-ए-आजादी की तारीख लिखने में मुस्लिम मुजाहिदों को एक सोची समझी साजिश के तहत पूरी तरह नजरअंदाज किया गया है। जबकि जंग-ए-आजादी में अगर किसी कौम ने सबसे आगे रहकर अंग्रेजों का सामना किया है, तो ये वही कौम है। उन्होंने कहा कि किताब लहू बोलता भी है के जरिये मुल्क के कोने-कोने से जंग-ए-आजादी में अपनी कुर्बानी देने वाले तमाम मुस्लिम मुजाहेदीन के नाम सामने लाने की कोशिश की गई है। इसका पहला जिल्द हिन्दी में शाईया हुआ था, जिसके फौरन बाद उर्दू दां लोगों की मांग पर दूसरा जिल्द उर्दू जबान में शाईया हुआ जिसमें कई छूटे मुजाहेदीन को भी शामिल किया गया है। किताब की मकबूलियत का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि अब इसका अंग्रेजी जिल्द सामने आ रहा है।
बातचीत के दौरान उन्होंने बताया कि बड़े पैमाने पर हिंदूस्तानी तारीख की किताबों और सरकारी गजटों के मुताले और तहकीक के बाद किताब में जंग-ए-आजादी के वक्त जुनूब हिंद के मुस्लिम मुजाहेदीन के आंदोलनों और उनके कारनामों का बहुत ही शानदार तरीके से जिक्र किया गया है। किताब में दो हजार से जाईद मुस्लिम मुजाहेदीन के नाम और उनके कारमानों के साथ ही अंग्रेज सरकार के जुल्मो सितम की दास्तां और मुजाहेदीन की दीदा दिलेरी किताब को दिलचस्प बनाती है।
उन्होंने बताया कि 5 दिसंबर को हैदराबाद में लकड़ी का पुल रोड पर वाके रवीन्द्र भारती ऑडिटोरियम में रेवेन्यू मिनिस्टर पी. श्रीनिवास रेड्डी, सूचना प्रौद्योगिकी, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं संचार मंत्री श्रीधर बाबू, पर्यावरण एवं वन और बंदोबस्ती मंत्री कोंडा सुरेखा, परिवहन और बीसी कल्याण विभाग के मंत्री पोन्नम प्रभाकर, सांसद आर रघुराम रेड्डी और तेलंगाना प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष बी महेश कुमार गौड़ की मौजूदगी में रियासत के नायब वजीरे आला भट्टी विक्रमार्क मल्लू के हाथों किताब के अंग्रेजी जिल्द का इजरा होने जा रहा है।
उन्होंने बताया कि तकरीब को मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के नायब सदर व साबिक रुक्न पार्लियामेंट मौलाना उबैद उल्लाह आजमी, महशूर समाजवादी चिंतक व लेखक रघु ठाकुर, राज्यसभा सदस्य जावेद अली खान, इतिहासविद् व लेखकर सैय्यद नसीर अहमद, समाजसेवी डॉ सुरेश खैरनार, सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता मोहम्मद इरशाद अहमद और पीएमएफ के फाउंडर व अध्यक्ष सिराजुन रहमान खुसूसी तौर पर खिताब करेंगे।