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बुलडोज़र जस्टिस : गुजिश्ता दो सालों में ढहा दिए गए डेढ़ लाख आशियाने

 रबि उल अल 1446 हिजरी 

  फरमाने रसूल ﷺ   

आदमी को झूठा होने के लिए यही काफी है कि वह हर सुनी-सुनाई बात बिना तहकिक किए बयान कर दे।

- मिशकवत

बुलडोज़र जस्टिस : गुजिश्ता दो सालों में ढहा दिए गए डेढ़ लाख आशियाने

✅ नई दिल्ली : आईएनएस, इंडिया 

उतर प्रदेश, मध्य प्रदेश और उत्तराखंड ऐसी रियास्तें हैं, जहां अदालतों के इन्साफ़ से पहले ही रियास्ती हुकूमतों ने बुलडोज़र के जरिये फ़ैसले सुनाए। ज़्यादातर मुआमलों में मुस्लिम बस्तियों या मुस्लमानों के कारोबारी इलाक़ों को निशाना बनाया गया। कई मुआमलों में मुतास्सिरीन ने अदालतों के दरवाज़े खटखटाए लेकिन हुकूमतों ने मकानात और दूकानों को गै़रक़ानूनी तामीर क़रार देकर कार्रवाई का दिफ़ा किया। 
    वहीं कई मुआमलों में ऐसा हुआ कि अदालत की रोक से पहले ही बस्तियों को मैदान में तबदील कर दिया गया। बुलडोज़र जस्टिस में सबसे आगे किसी का नाम आता है तो वो उत्तरप्रदेश की बीजेपी इक़तिदार वाली योगी हुकूमत का है। योगी हुकूमत ने लखनऊ के अकबर नगर में एक बड़े पैमाने पर बेदख़ली मुहिम चलाई। इस कार्रवाई में 1800 ढाँचों को मुनहदिम कर दिया गया। इस बुलडोज़र जस्टिस में 1,169 मकानात और 101 तिजारती इदारे शामिल थे। योगी हुकूमत का अकबर नगर के इस इलाक़े को तरक़्क़ी देने का मन्सूबा है। 

     अकबर नगर के मुतास्सिरा रिहायशियों का दावा है कि वो कई दहाईयों से डेवलपमेंट अथार्टी के बनने से पहले से वहां मुक़ीम हैं। अकबर नगर में बुलडोज़र कार्रवाई का हुकूमत ने जो जवाज़ दिया, वो काबिल-ए-ग़ौर है। हुकूमत का दावा है कि यहां तामीरात तजावुज़ात (अतिक्रमण) हैं। हुकूमत का मानना है कि इस इलाक़े पर दरिया का अहाता किया गया था जिसमें दरिया को लैंड माफ़िया के साथ-साथ रोहंगया और बंगला देशी दरअंदाज़ों की तरफ़ से गै़रक़ानूनी तामीरात का सामना करना पड़ा। 

मध्य प्रदेश में मुस्लमानों के घरों को मिस्मार कर दिया गया



उतर प्रदेश नहीं मध्य प्रदेश हुकूमत भी बुलडोज़र जस्टिस के इस खेल में पेश पेश रही। यहां सीधे तौर पर मुस्लमानों को निशाना बना कर कार्रवाई की गई। मंडला जिले में 15 जून 2024 को मुस्लमानों के 11 घरों को पूरी तरह से मिस्मार कर दिया गया। पुलिस ने दावा किया कि इन मुस्लमानों के रेफ्रीजरेटरज़ में गाय का गोश्त मिला था। बुलडोज़र के इस राज से मुल्क की क़ौमी दार-उल-हकूमत दिल्ली भी अछूती नहीं रही। यहां पीडब्ल्यूडी ने 14 मई 2023 को धौला कुआं में कई झोंपड़ियों को मुनहदिम कर दिया जिसके बाद सैकड़ों लोग बे-घर हो गए। 
    हाउसिंग एंड लैंड राइट्स नेटवर्क के आदाद-ओ-शुमार के मुताबिक़, मुक़ामी, रियास्ती और मर्कज़ी सतह पर हुक्काम ने 2022 और 2023, इन दो सालों में लाखों मकानात को मुनहदिम किया। उसके मुताबिक़ तक़रीबन 1,53,820 घरों को मिस्मार किया गया जिसके नतीजे में 7.38.438 से ज़्यादा अफ़राद को जबरी बेदख़ल किया गया। 2017 से 2023 तक 1.68 मिलियन से ज़्यादा लोग बुलडोज़र कार्रवाई से मुतास्सिर हुए। 2019 तक घरों को मिस्मार करने के आदाद-ओ-शुमार 1,07,625 तक पहुंच गए। ये तादाद बढ़कर 2022 में 2,22,686 तक 2023 में 5,15,752 तक पहुंच गई। 
    गुज़श्ता दो सालों में 59 फ़ीसद बे दखलियां कच्ची आबादियों या ज़मीन की मंज़ूरी, तजावुज़ात हटाने या शहर की ख़ूबसूरती की आड़ में हुई हैं। ताज़ीरी इन्हिदाम के मुआमलात में जहां जवाज़ मुबहम हैं, जैसे तजावुज़ात को हटाना या शहर की ख़ूबसूरती के लिए रियासत अक्सर सफ़ाई के बहाने का सहारा लेती है। 

ताज़ीरी मुकामात भी ढहाए गए 

    मध्य प्रदेश के खरगोन में जीरा पूर गांव जैसे मुक़ामात पर कई मुआमलात इस तरह की मिस्मारी से मुंसलिक दिखाई देते हैं। इसी फेहरिस्त में उत्तरप्रदेश का प्रयाग राज, सहारनपुर, हरियाणा में नूह और दिल्ली में जहांगीर पूरी इलाक़ा शामिल हैं। इन मुआमलात में सरकारी एजेंसियों ने दावा किया कि वो सरकारी ज़मीन से गै़रक़ानूनी तामीरात हटा रहे हैं , लेकिन इस बल्डोज़ कार्रवाई का बग़ौर मुताला किया जाए तो पता चलता है कि ये कार्यवाहीयां मख़सूस मज़हब के लोगों को निशाना बना कर की गई हैं। 20 अप्रैल 2022 को हनूमान जयंती के जुलूस के दौरान हुई झड़पों के बाद शुमाली दिल्ली म्यूनसिंपल कारपोरेशन (एनडीएमसी) ने जहांगीर पूरी में बुलडोज़र कार्रवाई की। इसके लिए सीआरपीएफ़ की 12 कंपनियों की मदद ली गई। इस कार्रवाई में तक़रीबन 25 दुकानों को मिस्मार कर दिया गया। जहांगीर पूरी में बुनियादी तौर पर मुस्लमानों के मकानात को तजावुज़ात हटाने की आड़ में तबाह कर दिया गया। इसी तरह, मध्य प्रदेश के खरगोन में, अप्रैल 2022 में रामनवमी और हनूमान जयंती की तक़रीबात के दौरान फूट पड़े फ़िर्कावाराना तशद्दुद के बाद मुस्लमानों के घरों पर बुलडोज़र चलाया गया। इस कार्रवाई में प्रधान मंत्री आवास योजना के तहत तामीर-कर्दा एक घर को मिस्मार किया गया। इसके अलावा मुस्लमानों के 15 मकानात और 29 दुकानों को मुनहदिम कर दिया गया। अगरचे क़ानून में एक ताज़ीरी इक़दाम के तौर पर जायदाद को मुनहदिम करने की दफ़आत शामिल नहीं हैं, लेकिन ये अमल बीजेपी की हुकूमत वाली रियास्तों में तेज़ी से आम हो गया है। 
    वाजेह रहे कि सुप्रीमकोर्ट में जमीयत-ए-उलमा हिंद और दीगर की जानिब से बुलडोज़र जस्टिस के ख़िलाफ़ अर्ज़दाशत दायर की गई थी जिस पर समाअत करते हुए सुप्रीमकोर्ट ने पूछा कि किसी का घर कैसे गिराया जा सकता है, क्या सिर्फ इसलिए कि वो मुल्ज़िम है, सुप्रीमकोर्ट ने कहा था कि अगर कोई मुजरिम भी है, तब भी उसे क़ानून के ज़रीया तयशुदा तरीका-ए-कार पर अमल किए बग़ैर मुनहदिम नहीं किया जा सकता। सुप्रीमकोर्ट ने इस बात पर ज़ोर दिया है कि इस अमल को हमवार किया जाना चाहिए और मज़ीद कहा है कि इसमें एक बेक़सूर बाप का बेटा हो सकता है या उसके बरअक्स और दोनों को एक-दूसरे के जुर्म की सज़ा नहीं दी जानी चाहिए। 
    सुप्रीमकोर्ट ने इस बात पर ज़ोर दिया है कि ग़ैर मनक़ूला जायदादों को सिर्फ दर्ज जे़ल तरीका-ए-कार से ही मिस्मार किया जा सकता है। सुप्रीमकोर्ट की बेंच ने समाअत के दौरान कहा कि अगर अमल को हमवार किया जाए तो सही तरीका-ए-कार अमली तौर पर काम करेगा। अब सबसे बड़ा सवाल ये है कि सुप्रीमकोर्ट के इस तबसरे और हिदायात के बाद क्या मुतास्सिरीन के तबाह आशियानों को फिर से तामीर किया जाएगा, क्या बे-घर हुए मुतास्सिरीन को दुबारा छत मयस्सर हो पाएगी। 


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