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जन्नती औरतों की सरदार हैं, हजरते फातिमा


अंजुमन इस्लाहुल मुस्लेमिन कमेटी की जानिब से तकियापारा स्कूल मैदान में मुनाकिद तकरीरी प्रोग्राम का 6वां दिन
 

नई तहरीक : दुर्ग

मोहर्रमुल हराम के मौके पर अंजुमन इस्लाहुल मुस्लेमीन कमेटी की जानिब से तकियापारा स्कूल मैदान में दस रोजा तकरीरी प्रोग्राम मुनाकिद किया गया है। प्रोग्राम के छठे रोज कौम से खिताब करते हुए हजरत नादिर हुसैन ने कहा, हजरते फातिमा (रदिअल्लाहो अन्हा) पैगंबर-ए-इस्लाम सल्लल्लाहो अलैह वसल्लम की सबसे लाडली बेटी हैं। आप सल्लल्लाहो अलैह वसल्लम हजरत फातिमा रदि अल्लाहो अन्हो से इतनी मोहब्बत करते थे कि जब भी मुलाकात होती, आप सल्लल्लाहो अलैह वसल्लम हजरत फातिमा रदि अल्लाहो अन्हो के माथे को चूम लेते। हजरत फातिमा रदि अल्लाहो अन्हा इतनी मुबारक बेटी थीं कि आपकी पैदाइश का वक्त हुआ तो अल्लाह ताअला ने आसमान से आप रदि अल्लाहो अन्हो की खिदमत के लिए नबियों की माओं और उनकी बीवियों को भेज दिया था। पैगंबर-ए-इस्लाम सल्लल्लाहो अलैह वसल्लम फरमाते  हैं, मेरी बेटी फातिमा इंसानी शक्ल में जन्नती हूर की तरह है। सल्लल्लाहो अलैह वसल्लम को हजरत फातिमा से इतनी मोहब्बत थी कि आप सल्लल्लाहो अलैह वसल्लम फरमाते हैं, जिसने मुझे दोस्त रखा, उसने फातिमा को दोस्त रखा। आगे फरमाते हैं, फातिमा के राजी होने से अल्लाह राजी होता है। फातिमा के नाराज होने से अल्लाह नाराज होता है। 

हजरत फातिमा रदि अल्लाहो अन्हो ने पूरी जिंदगी अल्लाह की इबादत, सब्र और शुक्र में गुजार दी। आपके बेटे हजरत इमामे हसन  रदि अल्लाहो अन्हो फरमाते हैं, मेरी अम्मी रात में जब भी इबादत करती, अल्लाह से अपने लिए कुछ न मांगती। हमेशा पैगंबर-ए-इस्लाम सल्लल्लाहो अलैह वसल्लम की उम्मत की बख्शिश की दुआ करतीं। आपकी ये शान है कि नबी फरमाते हैं, दुनियाभर के लोगों का खानदान बेटों से चलता है लेकिन मेरा खानदान रहती दुनिया तक मेरी बेटी फातिमा से चलेगा। आपकी ये शान थी, कि आप जब भी अल्लाह से कोई भी दुआ करती, फौरन कुबूल हो जाती। आप शर्म और हया की मिसाल थीं। पूरी जिंदगी आपके घर वालों के अलावा किसी ने आपका चेहरा तक नही देखा था। आप गरीबों का खूब ख्याल किया करती थीं। आपने एक बार अपने गरीबी के वक्त पानी पी कर रोजा रखा। जब रोजा खोलने का वक्त हुआ, आपके दरवाजे पर कोई भीख मांगने वाला आ गया। आप ने अपने रोजा खोलने का सारा सामान मांगने वाले को दे दिया। खुद पानी और खजूर से रोजा खोला। आपने अपनी पूरी जिंदगी ऐसी सादगी से गुजारी, जिसकी मिसाल नहीं मिलती। पैगंबर-ए-इस्लाम सल्लल्लाहो अलैह वसल्लम की बेटी होकर अली के घर में खुद चक्की पीसतीं, घड़े में पानी भरतीं। गरीबी की वजह से आपके घर कई कई रोज तक खाना न बनता। फिर भी अल्लाह का शुक्र अदा करतीं। एक तरफ अपने बाबा पैगंबर-ए-इस्लाम सल्लल्लाहो अलैह वसल्लम का ख्याल करतीं तो दूसरी तरह अपने शौहर की खिदमत करतीं। आप रदि अल्लाहो अन्हो ने दुनिया को पैगाम दिया कि हर हाल में अल्लाह का शुक्र अदा करो। आप रदि अल्लाहो अन्हा ने गरीबों की मदद की, बेसहारें को सहारा दिया। आप रदि अल्लाहो अन्हो ने औरतों को पर्दे में रहने की ताअलीम दी। आज दुनिया में जो भी खवातीन नकाब में रहती हैं, ये हजरते फातिमा रदि अल्लाहो अन्हा की देन है।


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