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ख़ाना-ए-काअबा की चाबी 78 वें नए कलीद बर्दार के हवाले कर दी गई

जिल हज्ज-1445 हिजरी

हदीस-ए-नबवी ﷺ

तुम में से सबसे ज्यादा मुझे वो शख्स अजीज है, जिसकी आदत व अखलाख अच्छे हों। 

- बुखारी शरीफ

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रियाद : आईएनएस, इंडिया 

ख़ाना-ए-काअबा के कलीद बर्दार (शेख़ डाक्टर सालेह अल शीबी) के इंतिक़ाल के बाद ये ज़िम्मेदारी शेख़ अब्दुल लोहाब बिन जैनुल आबेदीन अल शीबी को सौंप दी गई है। अख़बार 24 के मुताबिक़ फ़तह मक्का के बाद अब तक कलीद बर्दारों में शेख़ अब्दुल लोहाब अल शीबी का 78 वां नंबर है, जिन्हें ये ज़िम्मेदारी सौंपी गई है। 
    गुजिशता दिनों ख़ाना काअबा के 77 वें कलीद बर्दार शेख़ डाक्टर सालेह अल शीबी का 80 बरस की उम्र में इंतिक़ाल हो गया था जिन्हें मक्का के मारूफ़ क़ब्रिस्तान मुअल्ला में सपुर्द-ए-ख़ाक किया गया। वाजेह रहे कि 'सादन उस शख़्स को कहा जाता है जिसके पास काअबा शरीफ़ की चाबी होती है। काअबा के क़ुफ़ुल को खोलना, बंद करना और अंदरूनी-ओ-बैरूनी सफ़ाई वो गिलाफ़ काअबा की तबदीली-ओ-दीगर उमूर भी सादन यानी कलीद बर्दार (चाबी रखने वाले) के जिम्मे होते हैं। 
    फ़तह मक्का के बाद शहनशाह-ए-कौनैनﷺ ने बनू शीबा को चाबी सौंपी और उन्हें ये ज़िम्मेदारी अता की थी। उस वक़्त से अब तक कलीद बर्दारी की ज़िम्मेदारी ऑल शीबा के पास ही है।

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ऊंटनी 550 किलो मीटर सफ़र तै कर मालिक के वापिस आ गई

एक ऊंटनी जो अपने बाड़े से अचानक गुम हो गई थी, अपने मालिक के पास 550 किलोमीटर का सफर तय कर वापस आ गई। ऊंटनी के मालिक साबिक सऊदी स्कूल टीचर ने बताया कि उसकी गुम होने वाली ऊंटनी 550 किलो मीटर का सफ़र तै करके उसके पास वापस लौट आई है। रिपोर्ट के मुताबिक़ 'हज़्ज़ाल इलश्करा नामी सऊदी शहरी जो रिटायर्ड स्कूल टीचर हैं, ने बताया कि उन्होंने आला तालीम लंदन से हासिल की जिसके बाद वे ममलकत में शोबा तदरीस से मुंसलिक हो गए। 
    स्कूल की डयूटी से फ़ारिग़ होने के बाद रोज़ाना अपनी ऊंटनी से मिलने और उसकी देख-भाल के लिए बाड़े जाते जहां काफ़ी वक़्त ऊंटनी के साथ गुज़ारा करते थे। सऊदी शहरी का कहना था एक दिन बाड़े गया तो मालूम हुआ कि ऊंटनी वहां नहीं है जिसे सहराई इलाक़े में काफ़ी तलाश किया मगर उसका कोई सुराग़ नहीं मिला। एक दिन अचानक ऊंटनी एक रेवड़ के साथ इलाक़े में आई। जैसे ही मैंने उसका नाम लेकर उसे पुकारा तो वो दौड़ती हुई आई और अपना सर मेरे कंधे पर रख दिया। बाद में मालूम हुआ कि उसे सूडानियों ने किसी से ख़रीदा था जो उसे अपने इलाक़े में ले गए थे।

हुज्जाज के साथ जालसाज़ी, 16 मिस्री टूरिस्ट कंपनियों के लाईसेंस मुअत्तल

क़ाहिरा : मिस्री वुज़रा काउंसिल ने हुज्जाज के साथ जालसाज़ी के इल्ज़ाम में 16 सयाहती कंपनियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई करते हुए उनके लाईसेंस मुअत्तल कर दिए। ज़िम्मेदारों से मज़ीद तहक़ीक़ात के लिए उन्हें इदारा प्रासीक्यूशन के हवाले कर दिया गया है। 
    अख़बार 24 ने मिस्री ज़राइआ इबलाग़ के हवाले से बताया कि इन कंपनियों ने हुज्जाज से धोकेबाज़ी की और उन्हें ग़ैर हज के लिए गै़रक़ानूनी तरीक़े से ले गए। कमेटी ने अपनी सिफ़ारिशात में मज़ीद कहा कि इस किस्म की धोकेबाज़ी के मुकम्मल सद्द-ए-बाब की ज़रूरत है ताकि मुस्तक़बिल में कोई और ऐसा करने का सोच भी ना सके। कमेटी का मज़ीद कहना था कि इबतिदाई तहक़ीक़ाती रिपोर्ट में ये बात सामने आई कि इन कंपनियों ने गै़रक़ानूनी हुज्जाज को सफ़री सहूलत फ़राहम करने का वाअदा किया लेकिन उन्हें हज के हवाले से किसी किस्म की ख़िदमात फ़राहम नहीं की। इन कंपिनयों के ख़िलाफ़ फ़ौरी कार्रवाई करते हुए उन पर जुर्माने आइद करने और मरने वालों के लवाहिक़ीन को मुआवज़ा अदा करने कहा है। 
    मिस्री वज़ीर-ए-आज़म का कहना था 'हज मिशन के साथ राबिता है और आला सतह पर काम कर रहे हैं। अब तक हज मिशन के ज़रीये फ़रीज़ा हज पर जाने वाले हुज्जाज में 31 हुज्जाज की तिब्बी मौत की तसदीक़ हुई है, वो काफ़ी बीमार थे। अलावा इसके मिस्री वज़ीर-ए-ख़ारजा का कहना था कि सानिहा में जिन हुज्जाज की हलाकतें हुई हैं उनमें से बेशतर गै़रक़ानूनी थे जिन्हें सयाहती
कंपनियों की जानिब से किसी किस्म की सर्विसिज़ फ़राहम नहीं गईं।

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