जिल हज्ज-1445 हिजरी
हदीस-ए-नबवी ﷺ
तुम में से सबसे ज्यादा मुझे वो शख्स अजीज है, जिसकी आदत व अखलाख अच्छे हों।
- बुखारी शरीफ
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✅ मुंबई : आईएनएस, इंडिया
मनमाड और भुसावल में गर्वनमैंट रेलवे पुलिस (जीआरपी) ने मुदर्रिसा के पाँच असातिज़ा के ख़िलाफ़ दो मुजरिमाना मुक़द्दमात बंद कर दिए हैं, जिन्हें मई 2023 में गिरफ़्तार किया गया था और उन्हें मुबय्यना तौर पर 59 बच्चों को बिहार से महाराष्ट्र में चाइल्ड लेबर के लिए स्मगल करने के इल्ज़ाम में चार हफ़्तों के लिए जेल भेज दिया गया था।
जीआरपी हुक्काम ने कहा कि इस साल मार्च में मुक़द्दमात को बंद कर दिया गया, जब वो इस नतीजे पर पहुंचे कि एफ़आईआर एक ग़लतफ़हमी की वजह से दर्ज की गई थी। केस के मुताबिक़ 30 मई 2023 को बिहार के अररिया ज़िला से 8 से 17 साल की उम्र के 59 बच्चे मदारिस में इस्लामी तालीम हासिल करने के लिए पुणे और सांगली जाने वाली ट्रेन में सफ़र कर रहे थे। दिल्ली में जुवेनाईल जस्टिस बोर्ड और रेलवे बोर्ड से मुंसलिक एक सीनीयर अफ़्सर की मालूमात पर अमल करते हुए, रेलवे प्रोटेक्शन फ़ोर्स ने एक एनजीओ के साथ भुवासल और मनमाड स्टेशनों पर बच्चों को बचाया।
हुक्काम को शुबा था कि बच्चों को चाइल्ड लेबर के लिए स्मगल किया जा रहा था, इसलिए बच्चों को नासिक और भुवासल के शेल्टर होमज़ में 12 दिनों तक रखा गया। नाराज़ वालदैन ने बच्चों की वापसी का मुतालिबा किया और बाद में नासिक ज़िला इंतिज़ामीया ने उन्हें वापिस बिहार भेज दिया। आरपीएफ़ हुक्काम ने दावा किया कि बच्चों के साथ आने वाले पाँच मदरसे के नुमाइंदे अपने सफ़र के लिए मुनासिब दस्तावेज़ात फ़राहम नहीं कर सके, जिसकी वजह से उनके ख़िलाफ़ ताज़ीरात-ए-हिंद दफ़ा 370 (इन्सानी स्मगलिंग) और 34 (मुशतर्का इरादा) के तहत एफ़आईआर दर्ज की गई।
गिरफ़्तार होने वालों असातजा र इन्सानी स्मगलिंग का इल्ज़ाम है। तहक़ीक़ात के दौरान जीआरपी आफ़िसरान अररिया गए और मुल्ज़िमीन और बच्चों की शनाख़्त की। उन्होंने इस मदरसे का भी मुआइना किया जहां बच्चों को ले जाना था। मनमाड जीआरपी के इन्सपेक्टर शरद जोग ने कहा कि मुनासिब तसदीक़ के बाद, हमने पाया कि कोई इन्सानी स्मगलिंग नहीं हुई है। भुसावल जीआरपी के इन्सपेक्टर विजय घेराडे ने भी कहा कि उन्होंने अदालत में रिपोर्ट दाख़िल की है। पाँच असातिज़ा के मुजरिमाना रिकार्ड को साफ़ कर दिया गया है, लेकिन झूटे इल्ज़ामात ने ज़ाती तौर पर उन पर तबाहकुन असर डाला है।
जीआरपी हुक्काम ने कहा कि इस साल मार्च में मुक़द्दमात को बंद कर दिया गया, जब वो इस नतीजे पर पहुंचे कि एफ़आईआर एक ग़लतफ़हमी की वजह से दर्ज की गई थी। केस के मुताबिक़ 30 मई 2023 को बिहार के अररिया ज़िला से 8 से 17 साल की उम्र के 59 बच्चे मदारिस में इस्लामी तालीम हासिल करने के लिए पुणे और सांगली जाने वाली ट्रेन में सफ़र कर रहे थे। दिल्ली में जुवेनाईल जस्टिस बोर्ड और रेलवे बोर्ड से मुंसलिक एक सीनीयर अफ़्सर की मालूमात पर अमल करते हुए, रेलवे प्रोटेक्शन फ़ोर्स ने एक एनजीओ के साथ भुवासल और मनमाड स्टेशनों पर बच्चों को बचाया।
हुक्काम को शुबा था कि बच्चों को चाइल्ड लेबर के लिए स्मगल किया जा रहा था, इसलिए बच्चों को नासिक और भुवासल के शेल्टर होमज़ में 12 दिनों तक रखा गया। नाराज़ वालदैन ने बच्चों की वापसी का मुतालिबा किया और बाद में नासिक ज़िला इंतिज़ामीया ने उन्हें वापिस बिहार भेज दिया। आरपीएफ़ हुक्काम ने दावा किया कि बच्चों के साथ आने वाले पाँच मदरसे के नुमाइंदे अपने सफ़र के लिए मुनासिब दस्तावेज़ात फ़राहम नहीं कर सके, जिसकी वजह से उनके ख़िलाफ़ ताज़ीरात-ए-हिंद दफ़ा 370 (इन्सानी स्मगलिंग) और 34 (मुशतर्का इरादा) के तहत एफ़आईआर दर्ज की गई।
गिरफ़्तार होने वालों असातजा र इन्सानी स्मगलिंग का इल्ज़ाम है। तहक़ीक़ात के दौरान जीआरपी आफ़िसरान अररिया गए और मुल्ज़िमीन और बच्चों की शनाख़्त की। उन्होंने इस मदरसे का भी मुआइना किया जहां बच्चों को ले जाना था। मनमाड जीआरपी के इन्सपेक्टर शरद जोग ने कहा कि मुनासिब तसदीक़ के बाद, हमने पाया कि कोई इन्सानी स्मगलिंग नहीं हुई है। भुसावल जीआरपी के इन्सपेक्टर विजय घेराडे ने भी कहा कि उन्होंने अदालत में रिपोर्ट दाख़िल की है। पाँच असातिज़ा के मुजरिमाना रिकार्ड को साफ़ कर दिया गया है, लेकिन झूटे इल्ज़ामात ने ज़ाती तौर पर उन पर तबाहकुन असर डाला है।
रियासती हकूमत मदरसों में पढ़ने वाले हिंदू बच्चों को आम स्कूल भेजे
मध्य प्रदेश के सरबराह इतफ़ाल कमीशन (बाल आयोग प्रमुख) का ग़ैर माक़ूल बयान
भोपाल : नेशनल कमीशन फ़ार प्रोटेक्शन आफ़ चाइल्ड राइट्स (एनसीपीआर) यानी क़ौमी कमीशन बराए तहफ़्फ़ुज़ हुक़ूक़ इतफ़ाल के चेयरमैन प्रियंक कानूनगो ने जुमा को मध्य प्रदेश की बीजेपी हुकूमत से कहा कि वो मदरसों में पढ़ने वाले हिंदू बच्चों को आम स्कूलों में भेजे। उन्होंने कहा कि ये इस्लामी इदारे हक़ तालीम (आरटीई) एक्ट के दायरे में शामिल नहीं हैं।प्रियंक कानूनगो ने कहा कि मध्य प्रदेश में 1755 रजिस्टर्ड मदारिस में 9417 हिंदू बच्चे ज़ेर-ए-ताअलीम हैं। इन इदारों में बुनियादी ढाँचे की कमी है, जैसा कि आरटीई एक्ट के तहत लाज़िमी है। ग़ैर रजिस्टर्ड मदारिस में पढ़ने वाले मुस्लिम बच्चों को भी आम स्कूलों में भेजा जाना चाहिए। उन्होंने कहा, मैं मध्य प्रदेश की हुकूमत से दरख़ास्त करता हूँ कि मदरसों में पढ़ने वाले हिंदू बच्चों को वहां से निकाला जाए। कानूनगो ने कहा कि जिस एक्ट के तहत मध्य प्रदेश मुदर्रिसा बोर्ड वजूद में आया है, उसमें मदारिस की तारीफ़ की गई है और वाज़िह तौर पर कहा गया है कि उनमें इस्लामी मज़हबी तालीम दी जानी चाहिए। हक़ तालीम (राईट टू एजुकेशन) एक्ट का सेक्शन एक मदारिस को हक़ तालीम क़ानून के दायरे से बाहर रखता है। उन्होंने कहा कि एनसीपीसीआर की इत्तिला के मुताबिक़ इन मदारिस के असातिज़ा के पास बीएड की डिग्री नहीं है और उन्होंने टीचर की अहलीयत का इमतिहान (टीटी) भी नहीं दिया है।
उन्होंने दावा किया कि मदारिस का बुनियादी ढांचा आरटीई एक्ट के मुताबिक़ नहीं है, मदारिस में सिक्योरिटी के इंतिज़ामात भी पुख़्ता नहीं हैं। बच्चों के हुक़ूक़ के इदारे के सरबराह ने कहा कि तालीम का हक़ एक्ट वाज़िह तौर पर कहता है कि हुकूमत स्कूलों के क़ियाम और बच्चों को तालीम देने का काम करेगी, ऐसे में मुदर्रिसा बोर्ड को फ़ंडज़ देना उन ग़रीब बच्चों के हक़ का पैसा मदारिस को देना है, जो बच्चों को तालीम के हक़ से महरूम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इसलिए हुकूमत को इस पूरी स्कीम पर ग़ौर करना चाहिए और फ़ौरी तौर पर मदरसों से हिंदू बच्चों को निकाल कर आम स्कूलों में भेजना चाहिए।
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