काअबा शरीफ की चाबी रखने वाले डाक्टर सालेह ऑल शीबी इंतेकाल कर गए

जिल हज्ज-1445 हिजरी

हदीस-ए-नबवी ﷺ

तुम जहां भी हो, अल्लाह से डरते रहो और बुराई सरजद हो जाने के बाद नेकी करो ताकि वो उस बुराई को मिटा दे और लोगों के साथ हुश्ने इख्लाक से पेश आओ। 

- जामह तिर्मिजी

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काअबा शरीफ की चाबी रखने वाले डाक्टर सालेह ऑल शीबी इंतेकाल कर गए

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✅ रियाद : आईएनएस, इंडिया 

मक्का मुकर्रमा में बैतुल्लाह ख़ाना काअबा के मर्कज़ी कलीद बर्दार (मुख्य वाहक, की बियरर) डाक्टर सालेह बिन जैनुल आबेदीन ऑल शीबी का गुजिश्ता शब मक्का में इंतिक़ाल हो गया। उनकी नमाजे जनाजा हफ़्ते के रोज़ फ़ज्र की नमाज़ के बाद अदा कर दी गई। 
    सालिह ऑल शीबी फ़तह मक्का के बाद से 77 वीं जबकि कसी बिन कलाब के दौर से बैतुल्लाह के 109 वें कलीद बर्दार थे। ये शीबा बिन उसमान बिन अबी तलहा की नसल में से हैं, जिन्हें पैग़ंबर खुदा 000 ने कहा था कि 'ए तलहा की ऑल, काबे की चाबी हमेशा तुम्हारे पास रहेगी और किसी ज़ालिम के अलावा तुमसे कोई ये नहीं ले सकेगा।۔ सालिह ऑल शीबी 1366 हिज्री को मक्का में पैदा हुए। उनका ख़ानदान सदियों से बैतुल्लाह की चाबी का रखवाला है। उन्होंने उम्मूल क़ुरा यूनीवर्सिटी से इस्लामिक स्टडीज़ में पीएचडी की डिग्री हासिल कर रखी थी। उन्होंने कई साल यूनीवर्सिटी में बतौर मुदर्रिस फ़राइज़ अंजाम दिए जिसके बाद 1980 में उन्हें उनके ताया शेख़ अबदुल क़ादिर ऑल शीबी की जगह बैतुल्लाह के मर्कज़ी कलीद बर्दार की ज़िम्मेदारियाँ सौंपी गई। 
    मस्जिद अल हराम में बैतुल्लाह के मर्कज़ी कलीद बर्दार के तौर पर सरगर्मीयों की अदाई के दौरान सालिह ऑल शीबी ने काअबा की हिफ़ाज़त और सफ़ाई के उमूर तहे दिल से अंजाम दिए। उन्होंने बज़ात-ए-ख़ुद 100 से ज़ाइद बार काअबा की सफ़ाई और धुलाई में हिस्सा लिया। इसके अलावा उन्होंने तदरीस के मैदान में इस्लामी मौज़ूआत पर कई कुतुब और रिसर्च आर्टीकल भी लिखे हैं।

अल माअला कब्रिस्तान में किया सुपुर्दे खाक

    ख़ाना काअबा के कलीद बर्दार शेख़ डाक्टर सालिह 79 साल की नमाज़ जनाज़ा सनीचर को मस्जिद उल-हराम में अदा करने के बाद अल माअला क़ब्रिस्तान में उन्हें सपुर्द-ए-ख़ाक किया गया। अख़बार 24 के मुताबिक़ इदारा उमूर हरमैन शरीफ़ैन की जानिब से उनके इंतिक़ाल पर ताज़ियत का इज़हार किया गया।
    शेख़ सालेह को बैतुल्लाह शरीफ के कलीद बर्दारों के सरबराह के तौर पर 1980 में उनके चचा शेख़ अबदुलक़ादिर अल शीबी के इंतिक़ाल के बाद तयनात किया गया था। इस मन्सब पर वा आख़िरी उम्र तक फ़ाइज़ रहे। अल शीबी के पास ख़ाना काअबा के दरवाज़े की कलीद (चाबी) होती है। वो ग़ुसल के वक़्त दरवाज़ा खोलते थे। इसके अलावा गिलाफ़ काअबा की तबदीली के वक़्त भी वो इस अमल की सरबराही करते थे। 
    कलीद काअबा (काअबा शरीफ की चाबी) 35 सेंटीमीटर लंबी होती है जो फ़ौलाद से बनी है। फ़तह मक्का के बाद नबी अकरमﷺ ने काअबा के मुतवल्ली जलील-उल-क़दर सहाबी शीबा बिन उसमान बिन अबी तलहा को दी जिसके बाद से आज तक ये चाबी इसी ख़ानदान यानी ऑल शीबा के पास है।

मौसम-ए-गर्मा तक हरमैन शरीफैन में ख़ुतबा जुमा और नमाज़ का दौरानिया 15 मिनट होगा

काअबा शरीफ की चाबी रखने वाले डाक्टर सालेह ऑल शीबी इंतेकाल कर गए
    सऊदी आला हुक्काम ने मस्जिद उल-हराम और मस्जिद नबवी  में जुमा का ख़ुतबा और नमाज़ का दौरानिया 21 जून से मौसिम-ए-गर्मा के इख्तेताम तक पंद्रह मिनट तक करने की हिदायत जारी की है। हिदायत में कहा गया कि पहली अज़ान और दूसरी अज़ान के दरमयान वक़्त का दौरानिया दस मिनट करके नमाज़ के लिए पहली अज़ान की वक़्त में ताख़ीर की जाए। 
    एसपीए के मुताबिक़ इस बात का ऐलान मस्जिद उल-हराम और मस्जिद नबवी  के मज़हबी उमूर के सरबराह शेख़ अबदुर्रहमान अलसदीस ने किया। शेख़ अलसदीस ने शाही हुकमनामे को सराहते हुए कहा कि 'ये सऊदी क़ियादत की तरफ़ से हुज्जाज की अच्छी सेहत, आराम और हिफ़ाज़त को यक़ीनी बनाने के अज़म की अक्कासी करता है। याद रहे मक्का और मदीना में इन दिनों शदीद गर्मी पड़ रही है। सुबह ग्यारह बजे से दोपहर चार बजे तक गर्मी की शिद्दत बढ़ जाती है।


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