जीकाअदा-1445 हिजरी
हदीस-ए-नबवी ﷺ
मिश्कवात (जिल्द 2, सफा 419)
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अक़वाम-ए-मुत्तहिदा (संयुक्त राष्ट्र) ने कहा है कि अगर इसराईल हम्मास तनाज़ा माज़ी की रफ़्तार से बरक़रार रहा तो ग़ज़ा के तबाहशुदा मकानात की तामीर का मरहला अगली सदी तक तवील हो सकता है। न्यूज एजेंसी के मुताबिक़ इस ख़दशे का इज़हार अक़वाम-ए-मुत्तहिदा ने मंगल को जारी अपनी एक रिपोर्ट में किया है।
गुजिश्ता कई माह से जारी इसराईली फ़ोर्सिज़ की बमबारी के नतीजे में ग़ज़ा की पट्टी में अरबों डालर का नुक़्सान हो चुका है और यहां के कई ग़नजान आबाद इलाक़ों की ऊंची इमारात अब मलबे का ढेर बन गई है। फ़लस्तीनी हुक्काम की जानिब से जारी आदाद-ओ-शुमार (आंकड़ों) के मुताबिक़ गुजिश्ता बरस सात अक्तूबर को हम्मास के इसराईल पर मोहलिक (जानलेवा) हमलों के बाद से इसराईली बमबारी के नतीजे में लगभग 80 हज़ार घर तबाह हो चुके हैं और दसियों हज़ार अफ़राद मारे गए हैं। अक़वाम-ए-मुत्तहिदा के डेवलपमेंट प्रोग्राम (यूएनडीपी) की इस जायज़ा रिपोर्ट में कहा गया है कि 'ग़ज़ा की पट्टी के तबाह-हाल मकानात की तामीर-ए-नौ (नव निर्माण) में 80 बरस का अरसा लग सकता है।
यूएनडीपी ने अपनी रिपोर्ट में हालिया तनाज़ा और माज़ी के रुझान को मद्द-ए-नज़र रखते हुए इस जंग के समाजी-ओ-मआशी पहलुओं और असरात का तजज़िया किया है। यूएनडीपी के मुंतज़िम (प्रबंधक) ने कहा है कि इस मुख़्तसर से दौरानीये में बेपनाह इन्सानी नुक़्सानात, बड़े पैमाने पर तबाही, ग़ुर्बत में तेज़ी से इज़ाफ़ा मुस्तक़बिल में बोहरानों के एक सिलसिले को जन्म देगा और ये कई नसलों का मुस्तक़बिल ख़तरे में डालेगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि नौ माह के अर्से में ग़ज़ा की आबादी में ग़ुर्बत 38 इशारीया (दशमलव) 8 से बढ़कर सन 2023 के अवाख़िर में 60 इशारीया 7 फ़ीसद तक पहुंच चुकी थी जिसका वाज़िह मतलब ये है कि मुतवस्सित तबक़े का बड़ा हिस्सा ख़त-ए-ग़ुर्बत से नीचे जा रहा है।
छः लाख बच्चों का शहर है रफा, गजा में इनके लिए कोई जगह नहीं
अक़वाम-ए-मुत्तहिदा के बच्चों के इदारे यूनीसेफ की सरबराह ने पीर के रोज़ ख़बरदार किया कि इसराईली फ़ोर्सिज़ की ज़मीनी कार्रवाई से रफा में पनाह लेने वाले लाखों बच्चों को 'तबाहकुन ख़तरात लाहक़ होंगे। अक़वाम-ए-मुत्तहिदा की एजेंसी ने ये बयान इसराईल की जानिब से किसी मुम्किना ज़मीनी हमले से क़बल रफा के कुछ मज़ाफ़ाती इलाक़े ख़ाली करने के हुक्म के बाद जारी किए है। यूनीसेफ की एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर, कैथरीन रसूल ने कहा कि रफा में ज़्यादातर बच्चे ज़ख़मी, बीमार, ग़िजाईयत की कमी और सदमे का शिकार हैं या किसी माज़ूरी के साथ ज़िंदगी गुज़ार रहे हैं। एक अंदाज़े के मुताबिक़ अक्तूबर में जुनूब की तरफ़ इनख़ला (निकास) के अहकामात के बाद, बारह लाख फ़लस्तीनी रफा में पनाह लिए हुए हैं, जहां कभी लगभग ढाई लाख लोग रहा करते थे।
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