इसराईली हमले में जांबाहक़ होने वाली ख़ातून के रहम में मौजूद बच्ची को बचा लिया गया

शव्वाल -1445 हिजरी

दूसरों के ऐबों को जाहिर न करो 

'' हजरत उक्बा बिन आमिर रदि अल्लाहो अन्हु से रवायत है कि जनाब रसूल अल्लाह ﷺ ने फरमाया, जो शख्स किसी का काई ऐब देखे और फिर उसे छुपा ले, यानी दूसरों पर उसके जाहिर न करे तो सवाब में ऐसा होगा, जैसे किसी ने जिंदा दफन हुए किसी की जान बचा ली और कब्र से उसको जिंदा निकाल लाया। '' 

- तिर्मिजी शरीफ

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इसराईली हमले में जांबाहक़ होने वाली ख़ातून के रहम में मौजूद बच्ची को बचा लिया गया


✅ ग़ज़ा : आईएनएस, इंडिया 

इसराईल के फ़िज़ाई हमले में मारी जाने वाली एक ख़ातून के रहम में मौजूद बच्ची को बचा लिया गया है। न्यूज एजेंसी के मुताबिक़ ख़ातून अपने ख़ाविंद और बेटी के साथ इसराईल के फ़िज़ाई हमले में मारी गईं थीं। रात को होने वाले फ़िज़ाई हमले में 19 अफ़रद हलाक हुए थे। फ़लस्तीनी वज़ारत-ए-सेहत के हुक्काम के मुताबिक़ मरने वालों में एक ही ख़ानदान के 13 बच्चे भी शामिल थे। मुर्दा ख़ातून के बच्चे की डिलीवरी एमरजैंसी में सी सेक्शन के ज़रीये हुई। 
इसराईली हमले में जांबाहक़ होने वाली ख़ातून के रहम में मौजूद बच्ची को बचा लिया गया

    मुहम्मद सलमा नामी डाक्टर के मुताबिक़ बच्ची की हालत मुस्तहकम (स्थिर) है। बच्ची की वालिदा मौत के वक़्त 30 हफ़्तों की हामिला थीं। बच्ची को रफा के एक हस्ताल के इंक्यूबेटर में एक और नोमोलूद के साथ रखा गया है, जहां उनके सीने पर बंधी पट्टी में लिखा हुआ है कि शहीद सब्रीन अलस्कानी की बच्ची। नोमोलूद बच्ची के चचा रामी उल शेख़ का कहना है कि सब्रीन अलस्कानी की दूसरी बेटी मुल्क, जो उनके साथ इसराईली हमले में मारी गई, चाहती थी कि अगर उनकी बहन पैदा हो तो उनका नाम रवा रखा जाए। रामी उल शेख़ का कहना था कि मुल़्क बहुत ख़ुश थी कि उनकी बहन इस दुनिया में आ रही है। डाक्टर सलमा के मुताबिक़ नोमोलूद बच्ची तीन से चार हफ़्तों तक हस्पताल में रहेगी। उसके बाद हम देखेंगे कि बच्ची को कब डिस्चार्ज करेंगे और वो कहाँ जाएगी, अपनी ख़ाला के पास या चचा के पास या अपने दादा या नाना के पास, ये बहुत बड़ा अलमीया है। क्योंकि अगर ये बच्ची ज़िंदा रहती है तो वो यतीम पैदा हुई है। 

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    फ़लस्तीनी हुक्काम सेहत के मुताबिक़ अब्दुल्लाह घराने से ताल्लुक़ रखने वाले 13 बच्चे हलाक हुए थे। इस हमले में दो ख़वातीन भी हलाक हुई थीं। रफा में हलाकतों के हवाले से इसराईली फ़ौज के तर्जुमान ने कहा कि ग़ज़ा में अस्करीयत पसंदों के मुख़्तलिफ़ एहदाफ़ बशमूल फ़ौजी कम्पाऊंडज़, लॉन्च पोस्ट्स और मुसल्लह अफ़राद को निशाना बनाया गया। सुकर अब्दुल्लाह जिनका ख़ानदान मरने वालों में शामिल था, ने कहा कि क्या आपने इन तमाम हलाक होने वालों में एक मर्द भी देखा, ये तमाम ख़वातीन और बच्चे हैं। मेरी तमाम शिनाख़्त मेरे बीवी बच्चों और हर एक के साथ मिट गई है। 

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    मुहम्मद अलबहीरी ने बताया कि उनकी बेटी और नवासे अभी भी मलबे तले दबे हुए हैं। उन्होंने कहा कि ये उदासी और अफ़्सुर्दगी का एहसास है, इस ज़िंदगी में हमारे पास रोने के लिए कुछ नहीं बचा, हमारा क्या एहसास होगा, जब आप अपने बच्चों को खो देते हैं, जब आप अपने प्यारों को खो देते हैं, आपका क्या एहसास रहेगा। 



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