‘गर्मी’ इस साल बना रही नया रिकार्ड, क्या हम दहकती तबाही की जानिब बढ़ रहे हैं

‘Garmi’ is making a new record this year

राजधानी दिल्ली समेत मुल्क की कई रियासत में लोग गर्मी से बेहाल
मौसम के बदले मिजाज से ‘सेव’ की फसल मुतास्सिर, आधी रह गई उपज 

वाशिंगटन : आईएनएस, इंडिया

लगातार बढ़ रही गर्मी एवरेस्ट की बुलंद तरीन चोटी से लेकर गहरे समुंद्रों की तहों तक हर चीज ΄ार अ΄ाने नक़्श छोड़ रही है। हरेभरे जंगल गर्मी की शिद्दत से सूख कर इतनी तेजी से जलने लगे हैं, जैसे किसी ने उन ΄ार तेल छिड़क दिया हो। दुनिया का शायद ही कोई हिस्सा बचा हो, जहां के जंगलों में आग लगने की खबरें न आ रही हो। ये मंजर देखकर लगता है कि हम तेजी से दहकती हुई तबाही की तरफ बढ़ रहे हैं। दुनिया के सबसे ज्यादा आबादी वाले मुल्क भारत ने कहा है कि सौ साल कब्ल, जब से मौसम का रिकार्ड रखा जाने लगा है, अगस्त सबसे ज्यादा गर्म और खुश्क महीना बन गया है। 
    भारत में फसल की ΄ौदावार के लिए ज्यादातर मानसूनी बारिश ΄ार इन्हिसार किया जाता है। मुल्क की 80 फीसद बारिश मानसून के दौरान होती है। भारत के महकमा-ए-मौसीमीयत के मुताबिक अगस्त में, औसतन सिर्फ साढ़े छ: इंच बारिश हुई, जो 2005 के कमतरीन औसत से भी तकरीबन एक इशारीया (एक दशमलव) 2 इंच कम है। जा΄ाान में भी सूरत-ए-हाल भारत से कुछ मुख़्तलिफ नहीं है। मौसमियात से मुताल्लिक जा΄ाानी हुक्काम ने कहा है कि 1898 के बाद से, जब से मुल्क में मौसम का रिकार्ड रखा जाने लगा है, अगस्त का दर्जा हरारत मामूल के औसत से बुलंद रहा है। 
    आस्ट्रेलिया के मौसमियाती इदारे ने अ΄ानी रि΄ोर्ट में बताया कि मौजूदा साल मौसम-ए-गर्मा नए रिकार्ड कायम कर रहा है। यहां जून से अगस्त के दौरान औसत दर्जा हरारत 62 डिग्री से ज्यादा रहा, जिसने इन तीन महीनों को अब तक के गर्मतरीन महीने बना दिया है। परेशानी की बात ये कि सिर्फ गर्मी ही नहीं बढ़ रही है, बल्कि सर्दी की ठिठुरन में भी कमी आ रही है। आस्ट्रेलिया के मौसमियाती इदारे ब्यूरो आफ मेट्रोलोजी के एक बयान में कहा गया कि 1910 से जब से मौसम के आदाद-ओ-शुमार महफूज किए जाने लगे हैं, सर्दियों का औसत दर्जा हरारत भी ऊंचा हो रहा है। साईंसदानों का कहना है कि जमीन के मुसलसल बढ़ते दर्जा हरारत का सबब आब-ओ-हवा की तबदीली है, जिससे जमीन गर्म हो रही है। नतीजतन इस साल का जुलाई का महीना है, जो अब तक की मालूम तारीख का गर्मतरीन महीना बन कर हमारे सामने आ चुका है। 
    साईंसदानों का मजीद कहना है कि दर्जा हरारत की निस्बत कहीं ज्यादा खतरनाक गर्मी की लहरें होती हैं। जैसे-जैसे आब-ओ-हवा तबदील हो रही है, हीट वेव्ज की शिद्दत बढ़ रही है। गर्मी की लहरों का शुमार मोहलिक (जानलेवा) खतरे में किया जाता है जिससे हर साल लाखों इन्सानी जानें चली जाती है। 
    जा΄ाान एक अमीर मुल्क है जहां लोग गर्मी का मुकाबला एयर कंडीशनर्ज से करते हैं, इसके बावजूद जुलाई महीने में यहां भी कम-अज-कम 53 जा΄ाानी हीट वेव्ज से हलाक हो गए और 50 हजार से ज्यादा लोगों को अस्΄ातालों की इमरजेंसी में लाया गया। मेडीकल एक्सपर्ट का कहना है कि गर्मी की लहर में बाहर काम करना कितना खतरनाक हो सकता है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 95 डिग्री में, जब हवा में नमी का तनासुब 100 फीसद हो, मुसलसल छ: घंटे बाहर रहना हलाकत का सबब बन सकता है। अकवाम-ए-मुत्तहिदा (संयुक्त राष्टÑ) के वर्ल्ड मेटरोलोजीकल आर्गेनाईजेशन (डब्लयूएमओ) मैं शदीद गर्मी के शोबे के एक माहिर ने न्यूज एजेंसी कहा कि गर्मी की लहरें अब बहुत खतरनाक होती जा रही हैं। ये ग्लोबल वार्मिंग का तेजी से सामने आने वाला नतीजा है। उनका मजीद कहना था कि हमें ये जहन में रखना चाहिए कि वक़्त के साथ गर्मी की लहरों की शिद्दत बढ़ती जाएगी। उन्होंने कहा कि गर्म होते मौसम का एक बड़ा मनफी (नकारात्मक) असर ΄ाहाड़ों ΄ार जमी बर्फ ΄ार हो रहा है जो तेजी से ΄िाघल रही है। 
    दुनिया के बुलंद ΄ाहाड़ों ΄ार बर्फ की हजारों साल ΄ाुरानी तहें मौजूद हैं, जो अब दर्जा हरारत के बढ़ने से ΄िाघल रही हैं और इस के नतीजे में सैलाब और बाढ़ की शिद्दत और तादाद मुसलसल बढ़ रहे हैं। अमरीका के ज्यूलोजीकल सर्वे की एक रि΄ोर्ट में बताया गया है कि अगर दुनिया के तमाम ग्लेशीयरज ΄िाघल जाएं तो तमाम समुंद्रों की सतह तकरीबन 70 मीटर यानी 230 फुट बुलंद हो जाएगी जिससे दुनिया-भर के तमाम साहिली शहर डूब जाएंगे। हजारों जजीरे गायब हो जाएंगे और कई मुल्क दुनिया के नक़्शे से गायब हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि हमें ये बात भी जहन में रखनी चाहिए कि बर्फ की सफेद रंगत सूरज की रोशनी और हरारत को वा΄िास ΄ालट देती है। बर्फ की तहें जमीन के दर्जा हरारत को एतिदाल ΄ार रखने में मदद देती हैं। जैसे-जैसे ΄ाहाड़ों ΄ार से बर्फ घटती जाएगी और ग्लेशीयरज ΄िाघलते जाएंगे, जमीन का दर्जा हरारत भी बढ़ता जाएगा जिसमें ΄ाहले ही कार्बन गेसों के इखराज के बाइस तेजी से इजाफा हो रहा है।

साल 2023, इन्सानी तारीख का सबसे ज्यादा गर्म साल : योर΄ाी तंजीम

बू्रसेल्ज : योर΄ाी यूनीयन की माहौलियाती (मौसम) एजेंसी के मुताबिक साल 2023 इन्सानी तारीख का सबसे गर्म साल साबित हो सकता है। इस साल गर्मी के मौसम के दौरान दर्जा हरारत (टेंपरेचर) ने साबिका (पूर्व के) सभी रिकार्ड तोड़ दिए हैं। कार्पोनेक्स मौसमियाती तबदीली सर्विस की डि΄टी डायरेक्टर समांथा बरजिस के मुताबिक सतह समुंद्र (सी-लेबल) ΄ार मौजूद इजाफी गर्मी की वजह से हम ये कह सकते हैं कि साल 2023 तारीख का सबसे गर्मतरीन साल होगा। 

सितंबर में भी गर्मी शबाब ΄ार, दिल्ली में दर्जा हरारत 40 डिग्री सेल्सस से पार 

नई दिल्ली : दिल्ली और शुमाली (उत्तरी) हिन्दोस्तान की कई रियासतों में सितंबर के महीने में भी शदीद गर्मी ΄ाड़ रही है। हिन्दोस्तान के महकमा-ए-मौसीमीयत के मुताबिक नई दिल्ली (सफदरजंग में पीर 4 सितंबर को मैक्सीमम दर्जा हरारत 40.1 डिग्री सेल्सस रिकार्ड किया गया, जो 2011 के बाद रिकार्ड सबसे ज्यादा दर्जा हरारत है, और 6 डिग्री ज्यादा है। वहीं अगस्त के बाद राजिस्थान में सितंबर में भी रिकार्ड दर्जा हरारत रिकार्ड किया जा रहा है। मौसमियात के माहिरीन के मुताबिक मौसम के ये बदले हुए ΄ौटर्न मौसमियाती तबदीलीयों का नतीजा हैं। 
    मर्कजी डस्ट कंट्रोल बोर्ड के मुताबिक दिल्ली में हवा के मयार का मजमूई इंडैक्स (एआई) रात 8 बजे 233 रिकार्ड किया गया, जो खराब जुमरे में आता है। वहीं राजिस्थान के चूरू में एक बार फिर मैक्सीमम दर्जा हरारत 40 डिग्री सेल्सस रिकार्ड किया गया, जबकि 4 सितंबर 2023 को ΄ाीलानी में 39.5 डिग्री सेल्सस रिकार्ड किया गया। आईएमडी जय΄ाुर के मुताबिक पिछले दिनों राजिस्थान के कई दूसरे अहम शहरों में भी दर्जा हरारत मामूल से ज्यादा रिकार्ड किया गया।

खराब मौसम के सबब 50 फीसद कम हो गई सेब की ΄ौदावार 

श्रीनगर : वादी कश्मीर में इस साल सेबों की मांग उरूज पर है लेकिन ना साजगार मौसमी सूरत-ए-हाल की वजह से ΄ौदावार में कम से कम 50 फीसद कमी हो गई है। 
    जिÞला बडगाम के तारीखी कस्बा चरार शरीफ से ताल्लुक रखने वाले अब्दुल कय्यूम डार नामी एक बाग मालिक का कहना है कि माह जुलाई में होने वाली बारिशों के नतीजे में बीमारी लगने से फसल तबाह हुई है। उन्होंने बताया कि दरख़्तों ΄ार शगूफे फूटे थे कि बीमारी लगने से मुरझा कर गिर आए। उनका कहना था कि हमने मुताल्लिका महिकमे की हिदायात ΄ार बागों की वक़्त पर दवा ΄ााशी भी की लेकिन शगूफे दरख़्तों से गिरते रहे जिसके नतीजे में ΄ौदावार में कम से कम 50 फीसद कमी हो गई है। 


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