बच्चों के रोने की रिकार्डिंग इस्तिमाल कर फ़लस्तीनीयों को निशाना रहा इसराईल

शव्वाल -1445 हिजरी

कर्ज की जल्द से जल्द करें अदायगी 

'' हजरत अबू मूसा अश्अरी रदिअल्लाहू अन्हु से रिवायत है कि जनाब नबी-ए-करीम ﷺ ने इरशाद फरमाया- कबाईर (बड़े) गुनाहों के बाद सबसे बड़ा गुनाह यह है कि कोई शख्स मर जाए और उस पर देन यानी किसी का मी हक हो और उसके अदा करने के लिए वह कुछ न छोड कर जाए। ''
- अबु दाउद

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बच्चों के रोने की रिकार्डिंग इस्तिमाल कर फ़लस्तीनीयों को निशाना रहा इसराईल

✅ ग़ज़ा : आईएनएस, इंडिया

इसराईली फ़ौज ने ग़ज़ा के नसेरात कैंप में सफ़्फ़ाकियत (क्रूरता) की इंतिहा कर दी, फौज अब बच्चों के रोने और ख़वातीन की चीख़-पुकार की रिकार्डिंग का इस्तिमाल कर फ़लस्तीनीयों को निशाना बना रही है। फ़लस्तीनीयों को निशाना बनाने के लिए रात की तारीकी में फ़िज़ा में उड़ते क्वाड कापटर ड्रोन्ज से बच्चों के रोने और ख़वातीन की चीख़-पुकार की आवाज़ें चलाई गईं। जब लोग इन आवाज़ों को असल समझ कर मदद के लिए घरों से निकले तो उन्हें फ़िज़ा में उड़ते ड्रोन्ज ने निशाना बनाया। 
    यूरो मेड हियूमन राइट्स मॉनीटर के मुताबिक़ इतवार और पीर को रात गए कैंप में ख़वातीन और बच्चों की चीख़-ओ-पुकार सुनाई दी, जब कुछ रिहायशी ये आवाज़ें सुनकर मदद करने के लिए घरों से निकले तो इसराईली ड्रोन्ज ने उन पर हमला कर दिया। यूरो मेड मॉनीटर की जानिब से जमा किए गए ऐनी शाहिदीन (चश्मदीद) के बयानात एक इंतिहाई ख़ौफ़नाक तस्वीर पेश करते हैं। एक नौजवान ने अपने साथ होने वाले वाकिये को याद करते हुए काँपती आवाज़ में बताया कि उसने रात के वक़्त मदद माँगती सुनीं; लेकिन जब वो बाहर गया तो वहां कोई भी नहीं था, इससे क़बल कि उसे धोके का अंदाज़ा होता, वहां फायरिंग शुरू हो गई जिसकी वजह से अपनी जान बचाने के लिए उसे वहां से भागना पड़ा। एक 60 साला ख़ातून ने बताया कि पहले फायरिंग की तेज़ आवाज़ें आई जिसके बाद ख़वातीन की आह-ओ-बका सुनाई देने लगी जिसमें वो कह रही थीं कि उनके बच्चे ज़ख़मी हैं और वो लोगों से मदद माँगती रही। ख़ातून ने बताया कि आवाज़ें 10 से 15 मिनट तक जारी रहीं लेकिन हम में से कोई भी बाहर नहीं निकला, क्योंकि उस वक़्त तक रात काफ़ी गुज़र चुकी थी और हमें मालूम था ये आवाज़ें दरअसल रिकार्डिंग है। 

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    कैंप के एक और रिहायशी ने फायरिंग के हवाले से बताया कि मैं तो घर के अंदर चला गया लेकिन दो लोग जो मेरे बिलकुल सामने खड़े थे वो शदीद ज़ख़मी हो गए, मुस्तक़िल फायरिंग की वजह से हम कुछ कर भी नहीं सकते थे इस वजह से हमने एम्बूलैंस बुलाई जो उन्हें लेकर गई, कई लोग आवाज़ों को सुनकर मदद के लिए निकले थे।

हमलों में अब तक कम अज़ कम 34,012 जांबाहक़ : वज़ारत-ए-सेहत

ग़ज़ा में वज़ारत-ए-सेहत ने जुमे को बताया कि इसराईल और फ़लस्तीनी मुज़ाहमत कारों के दरमयान छः माह से ज़ाइद अर्से से जारी जंग के दौरान इलाक़े में कम अज़ कम 34,012 अफ़राद हलाक हो चुके हैं। वज़ारत के एक बयान में कहा गया है कि इस तादाद में गुज़शता 24 घंटों के दौरान होने वाली कम अज़ कम 42 हलाकतें शामिल हैं। वज़ारत ने मज़ीद कहा कि सात अक्तूबर को हम्मास के इसराईल पर हमले के बाद से ग़ज़ा की पट्टी में 76,833 अफ़राद ज़ख़मी हो चुके हैं।

मेडिकल डिवाईस की मरम्मत के लिए जान जोखिम में डालकर अर्दनी डाक्टर पहुंचा ग़ज़ा 

एक अदनी डाक्टर उसमान अलसम्मादी अपनी जान ख़तरे में डाल कर सीटी स्कैन मशीन को ठीक करने के लिए अरदन से ग़ज़ा की पट्टी तक जाने में कामयाब हो गए। मशीन कुछ अर्से से टूटी हुई थी। इसराईली फ़ौज की बरबरीयत के आग़ाज़ के बाद ग़ज़ा की पट्टी में ये सिर्फ एक ही मशीन बची थी। अर्दनी डाक्टर उसमान ने कहा कि वो ग़ज़ा के योरपी हस्पताल गए और इंजीनीयरिंग और मेंटेंन्स डिपार्टमैंट के अहलकारों के साथ ग़ज़ा की वाहिद सीटी मशीन को दुबारा शुरू करने में कामयाब रहे। 

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    मशीन बंद हो गई थी और उसे देख-भाल और मरम्मत की ज़रूरत थी। डाक्टर ने कहा वो अरदन में तकनीकी माहिरीन और माहिरीन के एक ग्रुप की भरपूर कोशिश के बाद डिवाईस के लिए मतलूबा पुर्जे़ हासिल करने में कामयाब हुए। डाक्टर उमान ने डिवाईस की देख-भाल का एक वीडीयो क्लिप शाइआ किया जिसमें उन्होंने हर उस शख़्स के लिए शुक्रिया और तारीफ़ का पैग़ाम भेजा, जिसने मुतास्सिरा शोबे को इमदाद पहुंचाने में तआवुन किया। डाक्टर उस्मान ने ग़ज़ा की पट्टी के लोगों को ख़ुशख़बरी भी सुनाई और इंडोनेशिया के हस्पताल को एक नया इलैक्ट्रिक जनरेटर फ़राहम करने का ऐलान किया।


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