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गुलाम रसूल मोवा मस्जिद के मुतवल्ली मुंतखिब

शअबान उल मोअज्जम -1445 हिजरी

बंदों के हुकूक की माफी के लिए सिर्फ तौबा काफी नहीं

'' हजरत अबु हरैरह रदि अल्लाहो अन्हु से रियायत है कि नबी ए करीम सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम ने इरशाद फरमाया, जिसके जिम्मे उसके मुसलमान भाई का कोई हक हो, चाहे वो आबरू का हो या किसी और चीज का, उसे आज ही माफ करा लेना चाहिए। इससे पहले कि न दीनार होगा और न दिरहम होगा। (इससे मुराद कयामत का दिन है, यानी वहां हुकूक की अदायगी के लिए रुपया-पैसा न होगा।) "                
- बुखारी शरीफ

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गुलाम रसूल मोवा मस्जिद के मुतवल्ली मुंतखिब, Mutawalli Muntakhib of Ghulam Rasool Mova Masjid

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✅ नई तहरीक : रायपुर

मोवा मस्जिद में हुए इंतेखाबी अमल में मौजूदा मुतवल्ली शेख गुलाम रसूल (दादा भाई) पांच इजाफाई वोट के साथ दोबारा मुतवल्ली चुने गए। मोवा मस्जिद में यह पहला मौका है जब मुतवल्ली के लिए चुनाव हुआ। 
    मोवा मस्जिद में गुजिश्ता दिनों वक़्फ़ बोर्ड की निगरानी में इंतेखाब कराया गया जिसमें मुतवल्ली ओहदे के लिए 2 उम्मीदवारों ने दावेदारी की थी। इंतेखाब के लिए छत्तीसगढ़ वक़्फ़ बोर्ड की जानिब से एक चुनाव कमेटी तश्कील दी गई थी। मस्जिद के जमाती वव नमाजियों  के आधार कार्ड की बिना पर 1 से 11 फरवरी तक मस्जिद कैंपस में वोटर लिस्ट बनाई गई। लिस्ट में तकरीब 736 वोटर्स ने अपना नाम दर्ज कराया। वोटर लिस्ट मुकम्मल होने के बाद इंतेखाबी अमल शुरू हुआ। साबिक मुतवल्ली शेख गुलाम रसूल के अलावा शेख आवेश (रिंकू भाई) ने मुतवल्ली ओहदे के लिए अपनी दावेदारी पेश की। 


    मोवा मस्जिद में पहली बार हो रहे इंतेखाब को लेकर वोटर्स में काफी जोश देखने को मिला। यही वजह रही कि 736 में से 694 वोटर्स ने अपने वोट का इस्तेमाल किया। 1 वोट जाया हो गया। 
    वोटों की गिनती से पता चलता है कि दोनों उम्मीदवारों के बीच कांटे की टक्कर रही। हार व जीत का फर्क महज 5 वोटों का रहा। वोटो की गिनती के बाद वक़्फ़ बोर्ड की जानिब से बनाई गई कमेटी व ओहदेदारों ने शेख गुलाम रसूल को मुतवल्ली ओहदे की जिम्मेदारी सौंपी। 

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