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मुस्लमानों में बहुविवाह का अनुपात बहुत कम : मौलाना अतीक बस्तवी

23 मुहर्रम-उल-हराम 1445 हिजरी
जुमा, 11 अगस्त, 2023
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अकवाले जरीं
‘मेरी उम्मत में से सबसे पहले मेरे पास हौजे कौसर पर आने वाले वो होंगे जो मु्र­ासे और मेरे अहले बैत से मोहब्बत करने वाले हैं।’
- जामाह उल हदीस 

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शरीयत के खिलाफ फैलाई जा रही गलत-फहमियों को दूर करने की कोशिश 

लखनऊ : आईएनएस, इंडिया 

एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए मौलाना अतीक अहमद बस्तवी ने निकाह की कानूनी और शरई हैसियत के उनवान (शीर्षक) से मुनाकिदा (आयोजित) सेमीनार में कहा कि मुस्लमानों में तादाद-ए-अज्दवाज (बहु विवाह) का तनासुब (अनुपात) दीगर मआशरों और तबकात के मुकाबले बहुत कम है। वे नदवा की शरिया एकेडमी फार रिसर्च एंड स्टडीज के जेर-ए-एहतिमाम एक सेमीनार से खिताब कर रहे थे। 
The proportion of polygamy among Muslims is very low: Maulana Atiq Bastavi

    दरहकीकत एकेडमी की तरफ से वकीलों के लिए महीने में एक-बार एक प्रोग्राम मुनाकिद किया जाता है, जिसमें शरीयत के खिलाफ फैलाई जा रही गलत-फहमियों को दूर करने की कोशिश की जाती है। प्रोग्राम की सदारत करते हुए मौलाना बस्तवी ने कहा कि इस्लामी शरीयत में एक ही निकाह है, और चार की गुंजाइश है। बाअज हालात में एक से जाइद शादियों की जरूरत होती है, इसलिए ये गुंजाइश रखी गई है। उन्होंने बताया कि एक से जाइद शादियों के लिए इन्साफ की शर्त है। 

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    मौलाना ने कहा कि ये झूठा प्रोपेगंडा किया जाता है कि मुस्लमान एक से ज्यादा शादियां करते हैं। जबकि इस हवाले से कई रिपोर्टस बताती हैं कि मुस्लमानों में तादाद-ए-अज्दवाज की औसत शरह (दर) दीगर मजाहिब के मुकाबले कम है। डाक्टर कमाल अहमद खान ने मुल्क के आईन में शादी की हैसियत पर रोशनी डाली। उन्होंने अदालतों के फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि निकाह को एक मुआहिदा समझा जाता है लेकिन ये एक अक्द भी है और इबादत भी। इस तरह निकाह शरीयत का एक लाजिÞमी हिस्सा है। दार-उल-उलूम नदवतुल उलमा के प्रोफेसर डाक्टर मुहम्मद अली नदवी ने शरीयत में निकाह की हैसियत पर अपनी तहकीक पेश की। रिटायर्ड जस्टिस एसएम हसीब ने कहा कि जब उलमाए किराम शरीयत के साथ-साथ कानून की बुनियादी बातों से भी आगाह होंगे तब ही वो मुआशरे में फैली गलत-फहमियों को सही तरीके से दूर कर सकेंगे।

रूहानी इलाज
बच्चे की पैदाईश के फौरन बाद अव्वल-आखिर एक-एक बार दरुद पाक के साथ 7 बार ‘या बर्रु’ पढ़कर बच्चे पर दम कर दें। इन्शा अल्लाह बालिग होने तक बच्चा आफतों से हिफाजत में रहेगा। 
- मदनी पंजसूरह

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