18 मुहर्रम-उल-हराम 1445 हिजरी
इतवार, 6 अगस्त, 2023
अकवाले जरीं
‘नमाजों में एक नमाज ऐसी है, जो किसी से छूट जाए तो गोया उसका घर-बार सब बर्बाद हो गया। वो नमाज, नमाजे असर है।’
- सहीह बुखारी
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इलाहाबाद : आईएनएस, इंडिया
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक हालिया फैसले में कहा है कि 18 साल से कम उमर का बच्चा लिव इन रिलेशनशिप में नहीं रह सकता। ऐसा करना ना सिर्फ गैर अखलाकी बल्कि गै़रकानूनी भी होगा।
अदालत ने नोट किया कि शादी की नौईयत में एक रिश्ता माने जाने के लिए लिव इन रिलेशनशिप के लिए कई शराइत हैं और किसी भी सूरत में, उसे 18 साल से ऊपर होना चाहिए, चाहे वो शादी की उम्र का ही क्यों ना हो। यानी 21 साल। वाजेह रहे कि जस्टिस विवेक कुमार बिरला और जस्टिस राजिंदर कुमार की बेंच ने कहा कि 18 साल से कम उमर का मुल्जिम किसी बालिग लड़की के साथ लिव इन रिलेशनशिप में होने की बुनियाद पर तहफ़्फुज हासिल नहीं कर सकता।
अदालत ने ये मुशाहिदा एक 19 साला लड़की और एक 17 साला लड़के की तरफ से दायर की गई फौजदारी रिट पिटीशन को मुस्तर्द करते हुए किया। एफआईआर में लड़के के खिलाफ आईपीसी की दफा 363, 366 के तहत लड़की को मुबय्यना तौर पर अगवा करने का मुकद्दमा दर्ज किया गया है, मुआमले में लड़के को गिरफ़्तार ना करने की इस्तिदा की गई है। दरखास्त गुजार का मुकद्दमा था कि दरखास्त गुजार नंबर 1 माइनर नहीं है और उसने अपनी मर्जी से घर छोड़ा है, इसलिए दफा 363 आईपीसी के तहत कोई जुर्म नहीं बनता। मुबय्यना मुतासिरा ने एक जिमनी हलफनामा भी दायर किया जिसमें कहा गया कि दरखास्त गुजार नंबर 1 बालिग है और वो अपनी मर्जी से दरखास्त गुजार नंबर 2 के साथ गई थी।
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उनका मजीद केस ये था कि दोनों ने 27 अप्रैल 2023 को एक दूसरे के साथ रहना शुरू किया और लड़की के घर वालों ने 30 अप्रैल को एफआईआर दर्ज कराई। उसके बाद 13 मई को मौजूदा अर्जी दाखिल करने के बाद शिकायत कुनिंदा फरीक ने दरखास्त गुजार को इलाहाबाद से अगवा किया और उनके गांव ले गए, ताहम (हालांकि), 15 मई को लड़की किसी तरह फरार होने में कामयाब हो गई और दरखास्त गुजार नंबर 2 के वालिद के घर चली गई। मुकद्दमे के हकायक पर गौर करते हुए, अदालत ने शुरू में करण रावत और बमुकाबला यूपी रियासत के मुआमले में इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले का हवाला दिया।
वाजिह रहे कि इसके लिए लड़का यानी दरखास्त गुजार नंबर दो मुस्लमान है, इसलिए उसका लड़की के साथ रिश्ता मुस्लिम कानून के मुताबिक जिना है और इस तरह नाकाबिल-ए-कबूल है। अदालत ने मजीद कहा कि 18 साल से कम उमर के शख़्स को बच्चा समझा जाता है और ऐसा बच्चा लिव इन रिलेशनशिप में नहीं रह सकता। ये ना सिर्फ गैर अखलाकी फे़अल होगा बल्कि बजात-ए-खुद गै़रकानूनी भी होगा। अदालत ने मुशाहिदा किया कि इस तरह के रिश्ते को मुल्क के किसी कानून के तहत कोई तहफ़्फुज नहीं दिया गया है। सिवाए उसके कि दो बालिगों को अपनी जिंदगी गुजारने का हक है और इस हद तक उनकी जाती आजादी का तहफ़्फुज होना चाहिए।
अदालत ने कहा कि ऐसा कोई कानून नहीं है जो लिव इन रिलेशनशिप को रोकता हो, जो कि मौजूदा केस में शादी से पहले जिन्सी ताल्लुक है, ताहम, मौजूदा केस में लड़का मेजर नहीं है या उसकी उम्र 18 साल नहीं है और बच्चा होने की वजह से वो उसका हकदार नहीं है। ख़्याल रहे कि लड़की की उम्र 19 साल है जबकि लड़के की उम्र महिज 17 साल है, लड़का मुस्लमान है जबकि लड़की गैर मुस्लिम है।
रूहानी इलाज
घर में लड़ाई-झगड़ा, रुपए-पैसों की तंगी, बे-बरकती, नुहूसत और जिन्नाती असरात दूर करने के लिए ‘सूरह जिन्न’ और ‘सूरह मुजम्मिल’ 3-3 बार (अव्वल-आखिर 3-3 बार दुरूदे पाक के साथ) पढ़कर आजवाइन और लोबान पर दम करें और 7 या 11 दिन धूनी लगाएं और दुआ कर लें। इन्शा अल्लाह घर में लड़ाई-झगड़ा खत्म होकर तंगदस्ती, बे-बरकती, नुहूसत और जिन्नाती असरात दूर हो जाएंगे।