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इमाम काअबा शेख माहिर की सेहत में आया सुधार

2 सफर उल मुजफ्फर 1445 हिजरी
इतवार, 20 अगस्त, 2023
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अकवाले जरीं
‘अल्लाह के जिक्र के बिना ज्यादा बातें न किया करो, ज्यादा बातें करना दिल की कसादत (सख्ती) का सबब बनता है और सख्त दिल शख्स अल्लाह को पसंद नहीं।’
- मिश्कवात
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रियाद : आईएनएस, इंडिया 

मक्का मुकर्रमा में गुजिश्ता जुमे की नमाज के दौरान इमाम काअबा शेख माहिर की तबीयत अचानक ज्यादा खराब हो गई थी ताहम (हालांकि) अब वो बिलकुल ठीक हैं। इदारा मजहबी उमूर बराए मस्जिद अल हराम और मस्जिद नबवी सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम की जानिब से सोशल मीडीया पर जारी एक बयान में लिखा गया है कि शेख माहिर खैरीयत से हैं। बयान में लिखा है कि इमाम काअबा, ब्लड पे्रशर में अचानक कमी आने की वजह से नमाज-ए-जुमा मुकम्मल नहीं करवा सके थे। 
इमाम काअबा शेख माहिर की सेहत में आया सुधार

    इदारा मजहबी उमूर बराए मस्जिद अल हरम और मस्जिद नबवी सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम के सरबराह डाक्टर अबदुर्ररहीम अलसदीस ने इमाम काअबा की सेहत के बारे में आगाह करते हुए उनकी और मस्जिद अल हरम की हिफाजत के लिए दुआ भी की। मस्जिद अल हरम के इमाम और दीगर ओहदेदारान एक रोज कबल शेख माहिर से उनकी रिहायश गाह पर खैरीयत दरयाफत करने भी गए। याद रहे कि इमाम काअबा शेख माहिर ने जब नमाज-ए-जुमा की इमामत शुरू की तो सूरत फातिहा पढ़ते हुए ब्लड पे्रशर में अचानक कमी आने की वजह से उनकी तबीयत बिगड़ गई थी। जिसके बाद पहली सफ में मौजूद इमाम-ओ-खतीब हरम शेख डाक्टर अबदुर्रहमान अलसदीस ने आगे बढ़कर जुमे की नमाज मुकम्मल कराई थी।

आपको पता है, आखिर रुमी जुमरात के बाद कहां जाती है इतनी कंकरीयां 

रियाद : हर साल लाखों हुज्जाज किराम मीना में जुमरात के मुकाम पर सुन्नत इब्राहीम अलैहिस्सलाम को जिंदा करते हुए रुमी की रस्म अदा करते हैं। उसे आम तौर पर 'शैतान को कंकरीयां मारना कहा जाता है। जुमरात में कई मंजिला पुल से तीन सतूनों पर लाखों कंकरीयां बरसाई जाती हैं। ये पुल 15 मीटर ऊंचा है और इससे मुंसलिक सतूनों पर कंकरीयां फेंकी जाती हैं। हर हाजी एक बार सात कंकरीयां फेंकता है। 

क्या होता है इन लाखों कंकरियों का 

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    जुमरात में रुमी से जमा कंकरियों को एक मशीन से एक जगह जमा किया जाता है। जिसके बाद जमाशूदा बजरी पर पानी का छिड़काव किया जाता है ताकि उन्हें गर्द और दीगर आलाईशों से पाक और साफ किया जा सके। उसके बाद उन्हें गाड़ी पर लाद कर एक जगह मुंतकिल कर दिया जाता है जहां से हज सीजन के इखतेताम पर उन्हें ठिकाने लगा दिया जाता है। ये बात काबिल-ए-जिÞक्र है कि मीना में जुमरात की सहूलत ऐसी है कि जाइरीन गिरोह की शक्ल में पत्थर फेंकते हैं। इस मौके़ पर उन्हें मजीद आराम के लिए वेंटीलेशन, एयर कंडीशन, देखभाल और सहूलयात की खिदमात हासिल होती हैं। हर साल जुमरात में बरसाई जाने वाली कंकरियों की तादाद मुख़्तलिफ होती है, क्योंकि कंकरीयां हाजियों की तादाद के मुताबिक होती हैं। सऊदी अरब ने रुमी जुमरात समेत हज के तमाम मनासिक की अदाई के लिए लाखों जाइरीन के लिए गैरमामूली खिदमात फराहम की हैं। जुमरात के मुकाम में आमद-ओ-रफत के लिए ट्रांसपोर्ट की सहूलत भी मौजूद है। इसके अलावा जमरों पर संगबारी के लिए कई मंजिला पुल तामीर किया गया है जहां आजमीन किसी रश के बगैर शैतान को कंकरीयां मारने की रस्म अदा कर सकें।


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