15 मुहर्रम-उल-हराम 1445 हिजरी
जुमेरात, 3 अगस्त, 2023
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अकवाले जरीं‘नमाजों में एक नमाज ऐसी है, जो किसी से छूट जाए तो गोया उसका घर-बार सब बर्बाद हो गया। वो नमाज, नमाजे असर है।’
- सहीह बुखारी
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खाना-ए-काअबा को गुसल देने का अमल मुकम्मल, खुशबू से मोअत्तर हो गया बैतुल्लाह शरीफ
रियाद : आईएनएस, इंडिया
मस्जिद अल हरम, मक्का मुकर्रमा में गुसल काअबा की तकरीब (समारोह) का अमल मुकम्मल कर लिया गया है। बुध को खादिम उल-हरमैन शरीफैन शाह सलमान बिन अब्दुल अजीज की नियाबत करते हुए डिप्टी गवर्नर मक्का मुकर्रमा शहजादा बदर बिन सुलतान बिन अब्दुल अजीज ने गुसल काअबा की तकरीब में शिरकत की। अल्लाह ताला के घर को आब-ए-जमजम और खालिस अर्क गुलाब से धोने के बाद ऊद और दीगर खुशबुओं से मुअत्तर किया गया। गुसल काअबा की सालाना तकरीब के आगाज में खाना काअबा के कलीद बर्दार (मुख्य वाहक) अल शेख डाक्टर सालेह ने बैतुल्लाह का दरवाजा खोला। खाना-ए-काअबा की गुसल की तकरीब में अइम्मा कराम और हरमैन शरीफैन के इंतिजामी उमूर से मुताल्लिक हुक्काम समेत गैर मुल्की सुफरा-ए-किराम ने भी शिरकत की। पाकिस्तान के सफीर अहमद फारूक ने भी गुसल काअबा की रस्म में हिस्सा लिया।Must Read
ख़्याल रहे कि गुसल काअबा की रस्म सऊदी काइदीन (नेताओं) ममलकत के कयाम (मुल्क की स्थापना) के वक़्त से अदा कर रहे हैं। बानी (फाउंडर) ममलकत शाह अब्दुल अजीज अपने अह्द में गुसल काअबा की रस्म अदा करते थे। उनके बाद उनके हुक्मरां बेटे शाह सलमान बिन अब्दुल अजीज तक उसकी पाबंदी हो रही है। अल मस्जिद उल हराम इंतेजामिया के मातहत खूशबू का इदारा खाना काअबा को मुअत्तर करने के लिए आला दर्जे का ऊद, अर्क गुलाब और बखू़र का इंतिजाम करता है। हरमैन शरीफैन इंतिजामीया ने गुसल काअबा की रस्म की तफसील बयान करते हुए कहा कि गुसल काअबा की तैयारी के लिए 20 लीटर आब-ए-जमजम चांदी के दस-दस लीटर के दो बर्तनों में रखा जाता है। इंतेजामिया का कहना है कि दस लीटर आब-ए-जमजम में 549 मिली लीटर ताइफ का अर्क गुलाब शामिल किया जाता है। गुसल काअबा से कबल खाना काअबा के अंदरूनी हिस्से को आला दर्जे के ऊद से धूनी दी जाती है, इसमें तकरीबन नसफ किलो ऊद इस्तिमाल होता है। गुसल काअबा का दूसरा मरहला सामान की तैयारी से मुताल्लिक है। गुसल काअबा में आला दर्जे की कॉटन का कपड़ा इस्तिमाल होता है। उस पर हरमैन शरीफैन पे्रजीडेंसी का लोगो लगा होता है। कॉटन के कपड़े से खाना काअबा की दीवारों और सतूनों की सफाई भी की जाती है और उन्हें साफ भी किया जाता है।
रूहानी इलाजकिसी शख़्स पर कोई बड़ी मुसीबत आन पड़ी हो, और वह किसी तरीके से टल नहीं रही हो, उसे चाहिए बाद नमाजे जोहर 450 मर्तबा ह्यहस्बुनल्लाहु व नेअ़मल वकीलह्ण (अव्वल-आखिर 100-100 बार दुरूदे पाक के साथ) पढ़कर मुसीबत दूर होने की दुआ करे। इन्शा अल्लाह जल्द ही मुसीबत से छुटकारा मिल जाएगा। यह अमल 41 दिन करना है।
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