2 मुहर्रम-उल-हराम 1445 हिजरी
जुमा, 21 जुलाई, 2023
‘आप (सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम) के साथ हजरत अबू बकर (रदिअल्लाहो अन्हो), हजरत उमर (रदिअल्लाहो अन्हो), और हजरत उस्मान (रदिअल्लाहो अन्हो), भी थे, अचानक उहद पहाड़ लरजने लगा तो आप (सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम) ने अपने पांव से पहाड़ पर ठोकर मारकर फरमाया, उहद, ठहरा रह कि तुा पर एक नबी, एक सिद्दीक और दो शोहदा ही तो हैं।’
- बुखारी शरीफ
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बगदाद : आईएनएस, इंडिया इराक में बसरा की जुनूबी (दक्षिण) गवर्नरी में जामा मस्जिद ‘अल्सर अजी’ और इसके 300 साल कदीम (पुरानी) मीनार को अजीब-ओ-गरीब बहाना तराश कर मुनहदिम कर दिया गया जिस पर इराक में गम-ओ-गुस्सा की लहर दौड़ गई है।
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जनरल अथार्टी बराए नवादिरात और विरसा के पेश करने के बावजूद जामा मस्जिद अल्सर अजी के मीनार को मुनहदिम कर दिया गया। उसको गिराने के लिए सड़क की तौसीअ (विस्तारीकरण) का बहाना तराशा गया था। अलबदरानी ने सुन्नी और शीया औकाफ से भी मुतालिबा किया कि वो मुदाखिलत करें और साबित-कदम रहें। बसरा इंस्पक्टरीट और नवादिरात के महिकमे ने तसदीक की है कि वो इस मुआमला के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करेगा। मुआइनाकार के डायरेक्टर मुस्तफा उल-हुसैनी ने एक प्रेस बयान में कहा कि जामा मस्जिद अल्सर अजी का तारीखी मीनार 1727 ईसवी से पहले तामीर किया गया था और ये मस्जिद अलकवाज के साथ बसरा के आखिरी दो मीनारों में से एक है। मुकामी हुक्काम के साथ मुआहिदा ये था कि मीनार को महफूज मुकाम पर मुंतकिल किया जाएगा। इराकी पार्लियामेंट में औकाफ और कबीलों की कमेटी ने किसी भी विरसे और आसारे-ए-कदीमा की इमारतों की खिलाफवरजी को सख़्ती से मुस्तर्द करने का ऐलान किया है क्योंकि ये इमारतें इराक के चेहरे और इसकी सकाफ़्ती (सांस्कृतिक) तारीख की नुमाइंदगी करते हैं।
पार्लियामानी कमेटी बराए सकाफ़्त, सयाहत, नवादिरात और इत्तिलाआत ने बसरा की मुकामी हुकूमत की तरफ से सड़क को चौड़ा करने के बहाने उसके मीनार को हटा कर अल्सर अजी मस्जिद पर हमला करने के इकदाम को भी मुस्तर्द कर दिया और मुतालिबा किया कि जिÞम्मेदारों का एहतिसाब किया जाए। वजीर-ए-आजम और सुप्रीम जूडीशल काउंसिल से भी मुतालिबा किया गया कि वो गफलत बरतने वालों का एहतिसाब करें। काबिल-ए-जिÞक्र है कि अल्सर अजी मस्जिद बस्रा शहर में सन 1140 हिज्री या 1727 ईसवी में मिट्टी से बनाई गई थी और इसकी आखिरी मर्तबा 2002 में तजईन-ओ-आराइश (रेनोवेशन) की गई थी। उसे इराक की कदीम तारीखी मसाजिद में से एक भी समझा जाता है। इसकी खुसूसीयत उसके आसारे-ए-कदीमा और विरसे के फन तामीर से है क्योंकि मस्जिद का रकबा तकरीबन 1900 मुरब्बा मीटर है। ये मस्जिद अल्सर अजी के इलाके में वाके है।
पार्लियामानी कमेटी बराए सकाफ़्त, सयाहत, नवादिरात और इत्तिलाआत ने बसरा की मुकामी हुकूमत की तरफ से सड़क को चौड़ा करने के बहाने उसके मीनार को हटा कर अल्सर अजी मस्जिद पर हमला करने के इकदाम को भी मुस्तर्द कर दिया और मुतालिबा किया कि जिÞम्मेदारों का एहतिसाब किया जाए। वजीर-ए-आजम और सुप्रीम जूडीशल काउंसिल से भी मुतालिबा किया गया कि वो गफलत बरतने वालों का एहतिसाब करें। काबिल-ए-जिÞक्र है कि अल्सर अजी मस्जिद बस्रा शहर में सन 1140 हिज्री या 1727 ईसवी में मिट्टी से बनाई गई थी और इसकी आखिरी मर्तबा 2002 में तजईन-ओ-आराइश (रेनोवेशन) की गई थी। उसे इराक की कदीम तारीखी मसाजिद में से एक भी समझा जाता है। इसकी खुसूसीयत उसके आसारे-ए-कदीमा और विरसे के फन तामीर से है क्योंकि मस्जिद का रकबा तकरीबन 1900 मुरब्बा मीटर है। ये मस्जिद अल्सर अजी के इलाके में वाके है।