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छत्तीसगढ़ वक्फ बोर्ड : क्या दीन हमें भाजपा वालों से सीखने की ज़रूरत है, उवैसी का सवाल

 जमादी उल ऊला 1446 हिजरी 


फरमाने रसूल ﷺ

नबी करीम ﷺ ने इरशाद फरमाया : अगर कोई शख्स मुसलमानों का हाकिम बनाया गया और उसने उनके मामले में खयानत की और उसी हालत में मर गया तो अल्लाह ताअला उस पर जन्नत हराम कर देता है।
- मिश्कवत 
छत्तीसगढ़ वक्फ बोर्ड : क्या दीन हमें भाजपा वालों से सीखने की ज़रूरत है, उवैसी का सवाल

✅ नई दिल्ली : आईएनएस, इंडिया

छत्तीसगढ़ वक़्फ़ बोर्ड की जानिब से रियासत के तमाम मसाजिद के मुतवल्लियों को ये हिदायत दी गई है कि नमाज़-ए-जुमा के मौक़ा पर ख़ुतबा देने से कब्ल छत्तीसगढ़ वक़्फ़ बोर्ड के ओहदेदारों से अपने ख़ुतबात की जांच कराएं। यानी अब मसाजिद में नमाज़-ए-जुमा के मौक़ा पर रियास्ती वक़्फ़ बोर्ड के हुक्काम की इजाज़त के बग़ैर कोई इमाम ख़ुतबा नहीं दे सकते। 

छत्तीसगढ़ वक्फ बोर्ड : क्या दीन हमें भाजपा वालों से सीखने की ज़रूरत है, उवैसी का सवाल


    मुआमले पर आल इंडिया मजलिस इत्तिहाद अलमुस्लिमीन के सरबराह असद उद्दीन उवैसी ने सख़्त रद्द-ए-अमल का इज़हार किया है। असद उद्दीन ओसी ने कहा कि 'अब बीजेपी वाले हमें बताएँगे कि दीन क्या है और शरीयत क्या है। उन्होंने छत्तीसगढ़ वक़्फ़ बोर्ड के इस अहकाम की सख़्त मुज़म्मत करते हुए कहा कि उनके पास ऐसा कोई क़ानूनी इख़तियार नहीं है कि वो इस तरह के अहकामात जारी करें। असद उद्दीन उवैसी ने मज़ीद कहा कि अगर छत्तीसगढ़ वक़्फ़ बोर्ड के पास ऐसा कोई इख़तियार होता भी है तो ये आईन के दफ़ा 25 के ख़िलाफ़ है। 

छत्तीसगढ़ वक्फ बोर्ड : क्या दीन हमें भाजपा वालों से सीखने की ज़रूरत है, उवैसी का सवाल


    छत्तीसगढ़ वक़्फ़ बोर्ड के चेयरमैन सलीम राज ने हफ़्ता को मुक़ामी सहाफियों से बातचीत में कहा था कि हर जुमा को नमाज़-ए-जुमा की अदायगी से कब्ल जो ख़ुतबा दिया जाता है और मज़हबी तक़ारीर की जाती हैं, उसमें सियासी गुफ़्तगु नहीं होनी चाहिए। उन्होंने मज़ीद कहा कि वक़तन-फ़-वक़तन मसाजिद से फ़तवा जारी किया जाता है और बाअज़ सियासी जमातों की हिमायत भी की जाती है। उन्होंने कहा कि मसाजिद को सिर्फ मज़बी सरगर्मीयों तक ही महिदूद रहना चाहिए ना कि सियासी अखाड़ा बनाना चाहिए। 

    छत्तीसगढ़ वक़्फ़ बोड के चेयरमैन ने मज़ीद कहा कि मसाजिद और दरगाहें वक़्फ़ बोर्ड के दायरा इख़तियार में आती हैं, इसीलिए उन्होंने मसाजिद के मुतवल्लियों, ख़तीब हज़रात और इमामों से दरख़ास्त की है कि वो सरकारी स्कीम बिलख़सूस अक़ल्लीयतों से मुताल्लिक़ फ़लाह-ओ-बहबूद के ताल्लुक़ से मसाजिद से बेदारी बढ़ाएं। 

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