सफर उल मुजफ्फर - 1446 हिजरी
हदीस-ए-नबवी ﷺ
तुम कयामत के दिन सबसे बद तरीन उस शख्स को पाओगे जो दोगला है। यानि एक जगह कुछ कहता है और दूसरी जगह कुछ और।
- मिश्कवात शरीफ
✅ कालीकट : आईएनएस, इंडिया
पार्लियामेंट में पेश वक़्फ़ क़ानून तरमीमी बिल की जामिआ मरक अल सकाफतुस्स सनेह में मुफ़्ती आफ़ इंडिया शेख़ अबू बकर अहमद की क़ियादत में मुनाक़िदा एकेडमिक मीटिंग के दौरान सख्त मुखालफत की गई। शेख़ अबूबकर अहमद ने कहा कि वक़्फ़ तरमीमी बिल वक़्फ़ के इस्लामी तसव्वुर को ख़त्म कर रही है और असल मक़सद को तबाह कर रही है।शेख़ अबूबकर ने कहा कि हुकूमत को वक़्फ़ बोर्ड के तरमीमी इकदामात से बाज़ रहना चाहीए। शेख़ ने कहा कि इस तरमीम से वक़्फ़ बोर्ड के इख़्तयारात छिन जाएंगे। मर्कज़ी हुकूमत मुस्लमानों को उनके हुक़ूक़ वा इख़्तयारात को ख़त्म करना चाहती है। शेख़ ने कहा कि हुकूमत का ये दावा वक़्फ़ इमलाक पर हुकूमत के कंट्रोल को यक़ीनी बनाती है, महज बनावटी बात है जबकि वक़्फ़ इमलाक का नज़म व नसक़ क़ानून के मुताबिक़ चल रहा है। शेख़ ने कहा कि वक़्फ़ बोर्ड की बेहतरी और उसके फ़रोग़ की बात होनी चाहीए। ज़रूरत है वक़्फ़ बोर्ड के मुतनाज़ा अराज़ी (विवादित भूमि) का मुआइना किया जाए और ग़ासबीन के चंगुल से वक़्फ़ इमलाक को आज़ाद कराया जाए।
शेख़ अबूबकर ने कहा कि वक़्फ़ इमलाक मुस्लिम बुज़ुर्गों के ज़रीया दिए गए तोहफ़े हैं जोकि मज़हबी व खैराती मक़ासिद के लिए वक़्फ़ हैं। वक़्फ़ की मंशा के ख़िलाफ़ उसे इस्तिमाल नहीं कर सकते। शेख़ ने कहा कि सरकार को पहले मुस्लिम दानिश्वरों, उलमा और तंज़ीम से सलाह व मशवरा करना चाहए ताकि जो भी ख़ामियाँ हो, उसे दुरुस्त किया जा सके। इस तरह के तरमीमी एक्ट से मुस्लमानों को दी गई मज़हबी आज़ादी को छिन जाएगी जो कि हरगिज़ क़बूल नहीं होगी।