सफर उल मुजफ्फर - 1446 हिजरी
हदीस-ए-नबवी ﷺ
'जो शख्स ये चाहता है कि उसके रिज्क में इजाफा हो, और उसकी उम्र दराज हो, उसे चाहिए कि रिश्तेदारों के साथ हुस्न सुलूक और एहसान करे।'
- मिश्कवात शरीफ
अलीगढ़ एमपी के मज़हबी तफ़रीक़ (धार्मिक भेदभाव) वाले बयान के ख़िलाफ़ अलीगढ मुस्लिम यूनीवर्सिटी के एग्जीक्यूटिव काउंसिल ने स्पीकर ओम बिरला को लिखा खत
ज़िला अलीगढ़ से तीसरी बार मुंतख़ब बीजेपी के रुक्न पार्लियामेंट (संसद सदस्य) सतीश के 2 अगस्त को पार्लियामेंट में दिए गए उनके बयान से नाराज आलमी शोहरतयाफ़ता अलीगढ मुस्लिम यूनीवर्सिटी (एएमयू) की एग्जीक्यूटिव काउंसिल (ईसी) के चारों मुंतख़ब अराकीन प्रोफेसर मुहम्मद शमीम, प्रोफेसर मुईन उद्दीन, डाक्टर मुसव्विर अली और डाक्टर मुराद अहमद ख़ान ने लोक सभा स्पीकर ओम बिरला के नाम 7 अगस्त को एक ख़ुसूसी ख़त लिखा है। खत के जरिये अपनी नाराजगी का इजहार करते हुए एएमयू के डाक्टर्स ने कहा कि सतीश गौतम के बयान से उन्हें बहुत तकलीफ हुई है। सतीश गौतम ने एएमयू के जवाहर लाल नहरू मेडिकल कॉलेज व अस्पताल (जेएनएमसीएच) के डाक्टरों और अमले के ख़िलाफ़ बे-बुनियाद बातें कही है। उन्होंने कहा कि हम मरीज का ईलाज मर्ज देखकर करते हैं उसका मजहब नहीं। डाक्टर्स ने अपने खत की नकल वज़ीर-ए-आज़म, वज़ारत-ए-सेहत, लीडर आफ़ अपोज़ीशन, वाइस चांसलर (एएमयू) और पीआरओ को भी भेजी है। ख सोशल मीडीया पर वाइरल हो रहा है।गौरतलब है कि अपने बयान में सतीश गौतम ने कहा था कि जवाहर लाल नहरू मेडीकल कॉलेज एएमयू का होने की वजह से वहां ख़ुसूसी मज़हब (मुस्लिम) के डॉक्टर्स ज़्यादा हैं, जिसकी वजह से वहां हिंदू मरीज़ जाने से मुबय्यना तौर पर कतराते हैं, इसलिए एम्स का दर्जा दीन दयाल उपाध्याय अस्पताल को दिया जाए ताकि अलीगढ़ समेत आसपास के इलाक़ों के भी मरीज़ ईलाज करवा सकें।
एएमयू एग्जीक्यूटिव काउंसिल (ईसी) मेंबर डाक्टर मुसव्विर अली ने कहा कि अलीगढ़ रुक्न पार्लियामेंट सतीश गौतम का बयान एएमयू के ताल्लुक़ से वज़ीर-ए-आज़म के ख़्यालात के मुनाफ़ी (विपरीत) है। वज़ीर-ए-आज़म ने एएमयू की सद साला (शताब्दी वर्ष) तक़रीब में ऑनलाइन ख़िताब करते हुए एएमयू को मिनी इंडिया कहा था। उन्होंने कहा कि अलीगढ़ के रुक्न पार्लियामेंट सतीश गौतम को बराए मेहरबानी चेताया जाए कि लोक सभा में दिए गए जेएनएमसी के डाक्टरों पर अपने तौहीन आमेज़ जुमलों को वापिस लें और उसे बराए मेहरबानी ऐवान की कार्रवाई से ख़ारिज किया जाए।
दीगर एग्जीक्यूटिव काउंसिल मेंबर और मेडिकल कॉलेज में डाक्टर शमीम अहमद ने ख़त के हवाले से कहा कि अगर अलीगढ़ में कोई अस्पताल को एम्स का दर्जा मिलता है तो ये हमारे लिए ख़ुशी की बात होगी क्योंकि इससे मेडिकल में ईलाज के लिए आने वाले मरीज़ों की तादाद कम होगी और हमारा बोझ कम होगा। उन्होंने मज़ीद कहा कि हम डाक्टर मरीज़ का इलाज मर्ज़ जान कर करते हैं मज़हब नहीं। यहां आज तक किसी ग़ैर मुस्लिम मरीज़ ने ईलाज के दौरान मज़हबी तफ़रीक़ का इल्ज़ाम डाक्टर या मेडिकल इंतिज़ामीया पर आइद नहीं किया। रुक्न पार्लामेंट सतीश गौतम के इल्ज़ामात बे-बुनियाद है।