सफर उल मुजफ्फर - 1446 हिजरी
हदीस-ए-नबवी ﷺ
जो कोई इल्म की तलाश में किसी राह पर चलता है, अल्लाह ताअला उसके लिए जन्नत की राह आसान कर देता है।
- इब्ने माजा
✅ मुज़फ़्फ़र नगर : आईएनएस, इंडिया
ट्रेन में टीटीई की जानिब से मुस्लमानों को नमाज़ पढ़ने से रोकने का वीडीयो वाइरल होने के बाद यूपी के मुज़फ़्फ़र नगर से भी एक चौंका देने वाला मुआमला सामने आया है। जानकारी के मुताबिक मुज़फ़्फ़र नगर डिस्ट्रिक्ट जेल काम्प्लेक्स में वाके मस्जिद में मुस्लमानों को नमाज़ पढ़ने पर पाबंदी लगा दी गई है। यहां 100 साल से ज़ाइद वक़्त से नमाज़ पढ़ रहे अतराफ़ के मुस्लमानों के लिए अब ज़िला जेल इंतिज़ामीया ने इस मस्जिद में क़रीबी मुस्लमानों को दाख़िले की इजाज़त नहीं दी है जिसकी वजह से मुस्लिम कम्यूनिटी में शदीद ग़म-ओ-ग़ुस्सा है।मुक़ामी मुस्लमानों की शदीद नाराज़गी के बाद जेल इंतिज़ामीया ने वज़ाहत की है कि जेल का अहाता हस्सास इलाक़ा है। सिक्योरिटी के नुक़्ता-ए-नज़र से ये इंतिज़ाम बाहर के लोगों के लिए किया गया है। मुज़फ़्फ़र नगर जेल के अहाते में 1838 में बर्तानवी दौर-ए-हकूमत में बनी एक मंदिर और एक मस्जिद यकसां तौर पर वाके है। जेल के अहाते में और इसके आस-पास रहने वाले हिंदू और मुस्लमान 100-150 सालों से अपने मज़ाहिब के मुताबिक़ भगवान की पूजा और नमाज़ अदा करते आ रहे हैं लेकिन पीर के रोज से आस-पास रहने वाले मुस्लमानों को जेल के अहाते में वाके मस्जिद में नमाज़ पढ़ने से रोक दिया गया। बताया गया है कि जेल के बाहरी गेट पर क़ायम पुलिस चौकी से नमाज़ियों को वापिस लौटाया जा रहा है, इसके पीछे जेल इंतिज़ामीया ने स्कियोरटी वजूहात बताई है।
जेल इंतिज़ामीया के इस क़दम के ख़िलाफ़ एहतिजाज करते हुए मुक़ामी लोगों ने जेलर पर संगीन इल्ज़ामात आइद किए हैं। आस-पास रहने वाले मुस्लमानों का कहना है कि जेलर ने उनके साथ बदतमीज़ी की और उन्हें सलाख़ों के पीछे भेजने की धमकी दी। जब वो नमाज़ के लिए मस्जिद जा रहे थे तो सिक्योरिटी अहलकारों ने उन्हें रोका और बताया कि जेलर ने हुक्म दिया है कि किसी को नमाज़ के लिए अंदर नहीं आने जाए।
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