सफर उल मुजफ्फर - 1446 हिजरी
हदीस-ए-नबवी ﷺ
जिसने अस्तग़फ़ार को अपने ऊपर लाज़िम कर लिया अल्लाह ताअला उसकी हर परेशानी दूर फरमाएगा और हर तंगी से उसे राहत अता फरमाएगा और ऐसी जगह से रिज़्क़ अता फरमाएगा जहाँ से उसे गुमान भी ना होगा।
- इब्ने माजाह
दो रोजा हुस्ने खत्ताती की नुमाईश में नजर आए कैलीग्राफी के नायाब नमूने
✅ नई तहरीक : टोंक उर्दू, अरबी और फारसी कैलीग्राफी का अहम मर्कज राजस्थान का शहर टोंक हुस्ने खत्ताती के शोबे में न सिर्फ रियासत राजस्थान बल्कि पूरे मुल्क का नाम रोशन कर रहा है। टोंक के हुस्ने खत्ताती का यह आलम है कि यहां अमूमन हर घर में एक कातिब मिल जाएगा। हुस्ने किताबत के अलावा टोंक को हाफिज-ए-कुरआन की तादाद के लिए भी जाना जाता है, कातिबों की तरह अमूमन हर घर में यहां हाफिज-ए-कुरआन भी मिल जाएंगे और यहीं आपको दुनिया की सबसे बड़ी कुरआन पाक भी देखने को मिल जाएगी जिसकी जियारत के लिए लोग दूर-दूर से टोंक आते हैं।
➧ राजस्थान के टोंक शहर में है दुनिया की सबसे बड़ी कुरआन शरीफ
'टोंक' हुनरमंदी का गहवारा
मरकज तालुमल खुतूत व अंजुमन खत्तात हिंद की जानिब से गुजिश्ता दिनों अहमद शाह मस्जिद, गुलजान बाग के करीब मुनाकिद दो रोजा रहमतल लिल आलमीन कैलीग्राफी नुमाईश व आर्ट वर्कशाप में सैकड़ों लोग टोंक की इस हुनरमंदी के गवाह बनें। टोंक की इस दौलत के तंई नई पीढ़ी को अवेयर और उन्हें प्रमोट करने की गरज से मुनाकिद प्रोग्राम के दौरान कैलीग्राफी के स्टूडेंट्स को हुस्ने खत्तात की बारीकियां सिखाई गई। मेहमाने खुसूसी साबिक डायरेक्टर सौलत अली खान थे। सदारत मौलाना जमील ने की। इस मौके पर मुफती आसिम के अलावा कैलीग्राफी के शोबे में विदेशों तक टोंक का नाम रोशन करने वाले कैलीग्राफिस्ट खुर्सीद आलम, जफर रजा, मुरली अरोड़ा समेत दीगर दानिश्वरान मौजूद थे। 25 अगस्त को प्रोग्राम के इख्तेताम की सदारत सदारत प्रोफेसर सोलत अली खान साबिक डायरेक्टर ने की। मेहमाने खुसूसी प्रोफेसर अब्दुर्रशीद, अजमेर, मुफती सलाह उददीन खिज्र नदवी, शही ईमाम, जामा मस्जिद टोंक, मुफ्ती आसिम अख्तर नदवी टोंकी, मुफती नफीस टोंकी, मौलाना जमील टोंकी थे। सभी ने खत्ताती से मुताल्लिक हुस्न कारगुजारी को सराहा और तकारीर के जरिये हाजिरीन को मुस्तफीद किया। निजामत के फराईज मुफती नफीस टोंकी ने इंजाम दिए। प्रोग्राम के रूह रवां खत्तात खुर्शीद आलम और खत्तात जफर रजा खान थे।
मरकज तालुमल खुतूत व अंजुमन खत्तात हिंद की जानिब से गुजिश्ता दिनों अहमद शाह मस्जिद, गुलजान बाग के करीब मुनाकिद दो रोजा रहमतल लिल आलमीन कैलीग्राफी नुमाईश व आर्ट वर्कशाप की झलकियां
किताबत की नमूने दिखाते मौलाना जमील व शहरोज कमर
0 टिप्पणियाँ