आसाम : क़ाज़ी के निकाहनामा की अहमियत नहीं, हुकूमती सतह पर रजिस्ट्रेशन जरूरी

सफर उल मुजफ्फर - 1446 हिजरी

  हदीस-ए-नबवी ﷺ  

क्या मैं तु'म्हें जहन्नुमी लोगों के बारे में ना बताऊं, आप ﷺ ने फरमाया-हर सख्त मिजाज़, बद अखलाक और तकब्बुर करने वाला जहन्नुमी है।

- सहीह बुख़ारी

आसाम : क़ाज़ी के निकाहनामा की अहमियत नहीं, हुकूमती सतह पर रजिस्ट्रेशन जरूरी


✅ गोहाटी : आईएनएस, इंडिया

कम उमरी की शादी के ख़िलाफ़ सख़्त कार्रवाई करने और फिर उसे क़ानूनी शक्ल देने के लिए आसाम हुकूमत ने मुस्लिम मैरिज रजिस्ट्रेशन बिल 2024 को हरी झंडी दिखा दी है। इस बिल के क़ानून बन जाने के बाद मुस्लिम शादियों का रजिस्ट्रेशन लाज़िमी हो जाएगा साथ ही बच्चों की शादी के रजिस्ट्रेशन को भी गै़रक़ानूनी तसव्वुर किया जाएगा। 
    रियासती असेंबली के इजलास के आग़ाज़ से एक दिन कब्ल आसाम की काबीना ने बुध को मुस्लिम मैरिज बिल 2024 को मंज़ूरी दे दी। ये इस बात को यक़ीनी बनाएगा कि शादी का रजिस्ट्रेशन हुकूमत करेगी ना कि क़ाज़ी और बच्चों की शादी का रजिस्ट्रेशन गै़रक़ानूनी होगा। हुकूमत जुमेरात को शुरू होने वाले असेंबली के मौजूदा इजलास के दौरान बिल पेश करने का मन्सूबा बना रही है। वज़ीर-ए-आला हेमंता बिस्वा सरमा ने काबीना की मीटिंग के बाद मीडीया से बात करते हुए कहा कि काबीना ने असेंबली में आसाम पार्लिमानी मुस्लिम मैरिज और तलाक़ बिल 2024 को मुतआरिफ़ कराने की मंज़ूरी दे दी है। 

    बिल के मुताबिक़ अब क़ाज़ी मुस्लिम शादी को रजिस्टर नहीं कर सकेंगे। मुस्लिम मैरिज एंड तलाक़ एक्ट 1935 के तहत क़ाज़ी को 18 साल से कम उमर की शादी को रजिस्टर करने का हक़ हासिल था। ताहम अब से ये निज़ाम ख़त्म हो जाएगा। निकाह का रजिस्ट्रेशन क़ाज़ी के बजाय सब रजिस्ट्रार करेगा और 18 साल से कम उमर की शादी रजिस्टर नहीं होंगी। निकाह का मज़हबी अमल पहले जैसा ही रहेगा। आसाम के वज़ीर-ए-आला सरमा ने ट्वीटर पर कहा कि आसाम काबीना ने मुस्लिम मैरिज रजिस्ट्रेशन बिल 2024 को मंज़ूरी दे दी है। इसमें दो ख़ुसूसी दफ़आत हैं। अब मुस्लिम शादी का रजिस्ट्रेशन क़ाज़ी नहीं, बल्कि हुकूमत करेगी। काबीना मौजूदा असेंबली इजलास के दौरान आसाम मुस्लिम शादी और तलाक़ रजिस्ट्रेशन एक्ट 1935 को मंसूख़ करने का भी मन्सूबा रखती है। इसके अलावा रियास्ती हुकूमत रियासत में यकसाँ सिविल कोड को नाफ़िज़ करने पर भी ग़ौर कर रही है।

सीएए : 188 पाकिस्तानी हिंदूओं को दी गई शहरीयत

नई दिल्ली : मर्कज़ी वज़ीर-ए-दाख़िला अमित शाह ने गुजिश्ता इतवार, 18 अगस्त को सीएए के तहत 188 पाकिस्तानी हिंदूओं को हिन्दुस्तानी शहरीयत फ़राहम की। इस दौरान उन्होंने अहमदाबाद में मुनाक़िदा एक प्रोग्राम में लोगों से ख़िताब भी किया। 
    उन्होंने कहा, जब बंगला देश बना तो वहां 27 फ़ीसद हिंदू थे, आज 9 फ़ीसद हैं, इतने हिंदू कहाँ चले गए। हम 2019 में सीएए लाए थे। इसकी वजह से करोड़ों हिंदू, जैन और सिख मज़हब के मानने वालों को शहरीयत मिलेगी। उन्होंने मज़ीद कहा कि सीएए को लेकर मुस्लमानों को उकसाया गया। सीएए क़ानून किसी की शहरीयत नहीं छीनता। कुछ रियास्ती हुकूमतें सीएए के बारे में लोगों को गुमराह कर रही हैं। इंडिया अलाउंस और कांग्रेस सीएए के हवाले से मुहाजिरीन को गुमराह कर रहे हैं। उन्होंने अपनी तक़रीर में पीएम नरेंद्र मोदी के अच्छे कामों को भी शुमार किया। 
    उन्होंने कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी अकरिबा परवरी (भाई-भतीजावाद) के ख़िलाफ़ लड़ रहे हैं। नरेंद्र मोदी ने ज़ातपात का ख़ातमा किया है। अमित शाह के मुताबिक़ ''औरंगज़ेब ने काशी विश्वनाथ मंदिर को गिरा दिया था, लेकिन मोदी ने उसे दुबारा तामीर कराया। नरेंद्र मोदी जी ने जम्मू-ओ-कश्मीर से आर्टीकल 370 को ख़त्म किया। उन्होंने मज़ीद कहा कि कांग्रेस और उसके इत्तिहादियों की ख़ुशामद की पालिसी की वजह से आज़ादी के बाद पड़ोसी ममालिक से आने वाले सताए हुए हिंदूओं, बौद्धों और सिखों को इन्साफ़ नहीं मिला। उन लोगों को वाअदे के बाद भी हिन्दुस्तानी शहरीयत नहीं मिली। नरेंद्र मोदी ने ऐसे करोड़ों लोगों को इन्साफ़ फ़राहम किया है। में अपने तमाम मुहाजिर भाईयों से कहता हूँ कि आप बग़ैर किसी हिचकिचाहट के शहरीयत के लिए दरख़ास्त दें। इस में किसी फ़ौजदारी मुक़द्दमे की कोई गुंजाइश नहीं, आपका घर, आपकी नौकरी, सब कुछ बरक़रार रहेगा। अपोज़ीशन आपको गुमराह कर है।



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