'गाय को 'राष्ट्रीय पशु' घोषित करें' :मुसलमानों ने किया मुतालबा

'गाय को 'राष्ट्रीय पशु' घोषित करें' :मुसलमानों ने किया मुतालबा

जिल हज्ज-1445 हिजरी

  हदीस-ए-नबवी ﷺ  

तुम में से सबसे ज्यादा मुझे वो शख्स अजीज है, जिसकी आदत व अखलाख अच्छे हों। 

- बुखारी शरीफ

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➧ आरंग में हुई मॉब लिंचिंग घटना की हो सीबीआई जांच  
➧ मुल्जिमान के खिलाफ सख्त दफआत के तहत हो कार्रवाई
➧ मुसलमानों के नाम पर कारोबार करने वाली कंपनियों पर लगे पाबंदी 
➧ गो तस्करी और इसकी आड़ में अवैध उगाही करने वालों पर लगे पाबंदी
➧ रियासत की खुशनुमा फिजा में ज़हर घोलने वालों पर हो सख्त कार्रवाई

'गाय को 'राष्ट्रीय पशु' घोषित करें' :मुसलमानों ने किया मुतालबा

नई तहरीक  ➧ उर्दू अदब और इस्लामी तारीख का पहला और वाहिद न्यूज पोर्टल… 

नई तहरीक : रायपुर

रियासत छत्तीसगढ़ में मुस्लिम मआशरे की पहली महासभा में रियासतभर से आई मुस्लिम अवाम ने गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने का मुतालबा किया। अवामी नुमाइंदों ने महासभा के दौरान मआशरे के तंई रियासत में बढ़ते वाकेआत के खिलाफ अपनी यकजहती का मुजाहरा करते हुए आरंग में हुए माब लिंचिंग के वाकिये की कड़े लफ्जों में मजम्मत की। साथ ही मुस्तकबिल में ऐसे वाकेआत को रोकने, उनका पुरजोर और पुर असरार अंदाज में मुखालफत करने जैसे दीगर मसाइल को लेकर राय-शुमारी की। 
    गौरतलब है कि रियासत छत्तीसगढ़ की दारुस्सल्तनत रायपुर के आरंग में गुजिश्ता दिनों 'पशु तस्करी' का इल्जाम लगाते हुए भीड़ ने तीन मुस्लिम नौजवानों का पीट-पीट कर कत्ल कर दिया। वाकिये के पंद्रह दिनों बाद भी मुल्जिमान के खिलाफ कोई कार्रवाई न होते देख राजधानी रायपुर के मुसलमानों ने 15 जून को बाद नमाज-ए-जुमा कसीर तादाद में एहतेजाजी मार्च करते हुए गिरफ्तारी दी और जल्द ही कोई कार्रवाई न होने की सूरत में रियासतगीर एहतेजाजी मुहिम चलाए जाने की चेतावनी दी जिसके बाद पुलिस ने आनन-फ-आनन दो मुल्जिमान को गिरफ्तार तो किया लेकिन उनके खिलाफ मामूली दफआत लगाई गई। वाकिये को लेकर पुलिस पूरी तरह गैर जिम्मेदारी का मुजाहिरा कर रही थी जिससे साफ नजर आ रहा था कि वह दबाव में काम कर रही है। पुलिस की लचर कार्रवाई को देखते हुए रियासतभर में मआशरे ने अपने लेवल पर एहतेजाज किया। मेमोरेंडम सौंपने के अलावा एहतेजाजी रैली निकालकर अपने गम-ओ-गुस्से का मुजाहिरा किया। नतीजन पुलिस को हरकत में आना पड़ा। 

'गाय को 'राष्ट्रीय पशु' घोषित करें' :मुसलमानों ने किया मुतालबा


    मआशरे के दबाव को देखते हुए हिंदू पक्ष मुल्जिमान की हिमायत में उतर आया। मुल्जिमान को गो रक्षक बताया जाने लगा। यही नहीं, यह कहा जाने लगा कि मुस्लिम नौजवानों की मौत माब लिंचिंग से नहीं, नदी में कूदने से हुई है। यही बयान हुक्मरां जमाअत (सत्तापक्ष) के एक नेता का भी सामने आया है जिसने मआशरे के गम ओ गुस्से में और इजाफा कर दिया। मुल्जिमान की गिरफ्तारी न होने और उनके खिलाफ मामूली दफा लगाने के अलावा उन्हें बचाने के लिए हिंदू समाज और नेता के बयान का असर रियासतभर में देखा गया। 

महासभा में उमड़ी भीड़

मआशरे के तंई पिछले कुछ सालों से रियासतभर में हो रहे वाकिये को लेकर राजधानी रायपुर में महासभा का एहतेमाम किया गया जिसमें रियासतभर से अवाम और अवामी नुमाइंदों ने शरीक होकर अपने गम ओ गुस्से का इजहार किया। हाल ही में आरंग में हुए वाकिये के अलावा बिरनपुर, कवर्धा और तिल्दा में हुए वाकेआत का जिक्र करते हुए अवाम ने कहा कि मआशरे को साजिशन टार्गेट किया जा रहा है। महासभा में मौजूद रियासतभर की मस्जिदों के मुतवल्ली, अंजुमन और दरगाह कमेटियों के सदर और दीगर तंजीमों के ओहदेदारों ने हालात के मददे नजर वजीरे आजम से गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने की मांग की।

'गाय को 'राष्ट्रीय पशु' घोषित करें' :मुसलमानों ने किया मुतालबा

अंजुमन इस्लामिया कमेटी, धमतरी 

सदर हाजी तसनीम ख़ान, हाजी शरीफ़ रोकड़िया, सैय्यद असदुल हुसैन, तनवीर क़ुरैशी, हाजी दिलावर रोकड़िया, अब्दुल रज़्ज़ाक़ रिज़वी, रफ़ीक भाई इत्र फ़रोश, हाजी नज़ीर सिद्दीक़ी, यूसुफ़ भाई, सुन्नी यूथ विंग से मुस्तफ़ा रजा, निर्बान सादिक़ ख़ान, शमशाद अशरफ़ी
 को राष्ट्रीय पशु घोषित करें
इसके अलावा अवाम ने गो तस्करी पर पूरी तरह पाबंदी लगाने का भी मुतालबा किया। अवाम ने कहा कि मुसलमानों की आड़ में दीगर मआशरे के लोग गो तस्करी के कारोबार में लिफ्त हैं। 

बंद हो बीफ एक्सपोर्ट 

महासभा के दौरान बीफ एक्सपोर्ट करने वाली कंपनियों को लेकर भी मंथन किया गया। मआशरे ने बीफ एक्सपोर्ट पर पूरी तरह पाबंदी लगाने का मुतालबा किया और साथ ही बीफ कंपनियों की जानकारी सामने लाने की मांग की। अक्सर ओ बेशतर बीफ कंपनियां मुसलमानों के नाम पर चल रही है, जिससे कौम के तंई बंदगुमानी फैल रही है। 

अंजुमन इस्लामिया कमेटी, धमतरी  सदर हाजी तसनीम ख़ान, हाजी शरीफ़ रोकड़िया, सैय्यद असदुल हुसैन, तनवीर क़ुरैशी, हाजी दिलावर रोकड़िया, अब्दुल रज़्ज़ाक़ रिज़वी, रफ़ीक भाई इत्र फ़रोश, हाजी नज़ीर सिद्दीक़ी, यूसुफ़ भाई, सुन्नी यूथ विंग से मुस्तफ़ा रजा, निर्बान सादिक़ ख़ान, शमशाद अशरफ़ी

कोटा जमात

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    महासभ्मा के दौरान सोश्डल मीडिया में मजहब-ए-इस्लाम और मुस्लिम मआशरे के खिलाफ ना-जेबा मकाले पोस्ट किए जाने को लेकर भी नाराजगी जताई गई। अवाम ने कहा कि इसस न सिर्फ मुस्लिम मआशरे के जज्बात मजरूह होते हैं, रियासत व मुल्क की भाईचारगी की फिजा भी तास्सिर होती है। छत्तीतसगढ़ मुस्लिम समाज के अजीम खान ने कहा कि मआशरे ने मुस्तकबिल में ऐसे हर वाकेआत की आईन के दायरे में रहते हुए पुरजोर अंदाज में मुखालफत करने का फैसला लिया है। 

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अमन-ओ-आमान और भाईचारगी पर रहेगा जोर

हुसैनी सेना के राहिल रऊफी और पत्रकार तंजीम के मोहम्मद शमीम ने महासभा को कामयाब बनाने के लिए अवाम के तंई शुक्रगुजारी का इजहार किया है। उन्होंने कहा कि महासभा में अवाम ने कसीर तादाद में जुटकर अपनी यकजहती का मुजाहरा किया है। उन्होंने कहा कि हमारी कोशिश रियासत समेत मुल्क में अमन-ओ-अमान बनाए रखने की है। 
    महासभा में नोमांन अकरम, हामिद, नईम रिजवी अशरफी, नाज रिजवी, सैयद मोहम्मद अशरफ, एजाज कुरैशी, फहीम शेख, रफीक गोटिया, शेख अफसर, निहाल खान, सोहेल सेठी, गुड्डा सेठी, मोहम्मद अमजद खान, एहतेशाम हुसैन, मोहम्मद इरफान, शेख अकरम, मोहम्मद इमरान, मोहम्मद सादिक, मोहम्मद मुमताज, ईरशाद अली बिलासपुर, नज़ीर हुसैन सीपत, रफीक मेमन कोरबा, सज्जाद खान साजा, अब्दुल रज्जाक धमतरी, मोहम्मद अज़हर दंतेवाड़ा, जावेद खान कोटा, मोहम्मद समद खान छुरा, मोहम्मद उस्मान सिलियारी, मोहम्मद याकूब धरसीवा, अकील भाई डोंगरगढ़, समद भाई राजिम, फिरोज़ भाई देवभोग, ज़ाकिर घुरसेना, एजाज भाई, तहसीन भाई, शेख़ आबिद, मोहम्मद शमीम वगैरह मौजूद थे।
 
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