जिल हज्ज-1445 हिजरी
हदीस-ए-नबवी ﷺ
जिसने अस्तग़फ़ार को अपने ऊपर लाज़िम कर लिया अल्लाह ताअला उसकी हर परेशानी दूर फरमाएगा और हर तंगी से उसे राहत अता फरमाएगा और ऐसी जगह से रिज़्क़ अता फरमाएगा जहाँ से उसे गुमान भी ना होगा।
- इब्ने माजाह
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✅ रियाद : आईएनएस, इंडिया
इस साल दुनिया की कई मारूफ़ शख़्सियात ने फ़रीज़ा हज अदा किया जिनमें आलमी शोहरत याफ़ता एथलीट मुहम्मद फ़रह भी शामिल थे। सबक़ न्यूज़ को इंटरव्यू में मुहम्मद फ़रह ने कहा कि पहली मर्तबा मक्का में दाख़िल होना और मस्जिद उल-हराम पहुंच कर ख़ाना काअबा के सामने मौजूदगी पर मेरे वजूद में कंपकंपी सी होने लगी। ख़ुशी का एक हैरत-अंगेज़ एहसास हुआ जो बयान नहीं किया जा सकता।आलमी एथलीट का कहना था कि मैं पहली मर्तबा यहां आया हूं। पाँच वक़्त की नमाज़ें अदा करने पर मैं ख़ुदा का शुक्र अदा करता हूँ। मुहम्मद फ़रह ने कहा कि शाह सलमान बिन अबदुल अज़ीज़, वली अहद और सऊदी हुक्काम का तहे दिल से शुक्रिया अदा करता हूँ कि उन्होंने इतनी बड़ी तादाद में हुज्जाज को मुनज़्ज़म किया। मेरे नज़दीक इतनी बड़ी तादाद में हुज्जाज की मेज़बानी करना और उनकी तमाम ज़रूरीयात का ख़्याल रखना हैरत-अंगेज़ भी है।
उनका कहना था कि हज में सेहत, पानी और दीगर ख़िदमात के हवाले से तमाम ज़रूरीयात का ख़्याल रखना बहुत सब्र-आज़मा और मशक़्क़त तलब काम है। तमाम लोगों की कोशिशों को सराहा जाना चाहिए। मुहम्मद फ़रह ने कहा कि इस साल सफ़र हज का हिस्सा बनने पर ख़ुश हूँ और ख़ुद को ख़ुश-क़िस्मत समझता हूँ। ममलकत आमद से अब तक के तमाम इक़दामात के हवाले से उन्होंने कहा कि इस सिलसिले में वज़ीर इस्लामी उमूर डाक्टर अबदूल्लतीफ़ अल शेख़ का शुक्र गुजार हूं। हुज्जाज को फ़राहम की जाने वाली ख़िदमात और इंतिज़ामात काबिल-ए-सिताइश हैं। उन्होंने कहा कि मैं जानता हूँ कि सऊदी हुज्जाज और ज़ाइरीन की ख़िदमत के लिए तैयार रहते हैं और मेरा ये दौरा सऊदी अरब की तरफ़ से हुज्जाज की बेहतरीन ख़िदमात के एक हिस्से के तौर पर अमल में आया है।
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