जिल हज्ज-1445 हिजरी
हदीस-ए-नबवी ﷺ
जिसने अस्तग़फ़ार को अपने ऊपर लाज़िम कर लिया अल्लाह ताअला उसकी हर परेशानी दूर फरमाएगा और हर तंगी से उसे राहत अता फरमाएगा और ऐसी जगह से रिज़्क़ अता फरमाएगा जहाँ से उसे गुमान भी ना होगा।
- इब्ने माजाह
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तहज़ीब फ़ाउंडेशन के ज़ेर-ए-एहतिमाम भोपाल में मुनाक़िदा ताज़ियती नशिस्त में दानिशवरों का इज़हार-ए-ख़याल
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✅ नई तहरीक, भोपाल
ख़लील मामून का शुमार उर्दू दुनिया के उन नामवर अदीबों में होता है जिन्होंने अपनी तहरीर से उर्दू ज़बान के दामन को वसीअ किया है। यूं वो एक आईपीएस ऑफ़िसर थे लेकिन उर्दू ज़बान-ओ-अदब से उन्हें हद दर्जा इश्क था। सर्विस में रहते हुए और उसके बाद भी उन्होंने उर्दू के लिए जो इक़दामात किए, उन्हें कभी फ़रामोश नहीं किया जा सकता।
ख़लील मामून के सानिहा इर्तिहाल की ख़बर से भोपाल (मध्यप्रदेश) की अदबी फ़िज़ा सोगवार हो गई। भोपाल क्विंस होम अपार्टमंट में तहज़ीब फ़ाउंडेशन के ज़ेर-ए-एहतिमाम मुनाक़िदा ताज़ियती नशिस्त में मुमताज़ अदीबों ने शिरकत की और ख़लील मामून के इंतिक़ाल को उर्दू अदब का नाक़ाबिल तलाफ़ी ख़सारा क़रार दिया।
ताज़ियती नशिस्त में अपने ख़्यालात का इज़हार करते हुए साबिक़ डायरेक्टर जनरल आफ़ पुलिस एमडब्लयू अंसारी ने कहा कि ख़लील मामून ने उर्दू के लिए कर्नाटक में जो कारनामे अंजाम दिए, वो ना-काबिल फ़रामोश हैं। उन्होंने कहा कि ख़लील मामून ने अपने दौर-ए-इक़तिदार में उर्दू अकेडमी के लिए जो कारहाए नुमायां अंजाम दिए, उस की उत्बा मुल्क की दूसरी अकेडमियों के सरबराहान को करना चाहीए।
ताज़ियती नशिस्त में तहज़ीब फ़ाउंडेशन के सेक्रेटरी डाक्टर अंजुम बारहबंकवी ने अपने ख़्यालात का इज़हार करते हुए कहा कि ख़लील मामून को समझने के लिए आपको सौग़ात के पुराने शुमारे देखने होंगे। वो तहरीर-ओ-किरदार में उर्दू के सच्चे बहीख़ाह थे और शायर तो वो ऐसे ब कमाल थे कि उन्हें पढ़ कर क़ारी दाद सुख़नवरी देने पर मजबूर हो जाते थे।
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इस मौक़ा पर मुमताज़ सहाफ़ी, शायर-ओ-अदीब डाक्टर महताब आलम ने अपने ख़्यालात का इज़हार करते हुए कहा कि ख़लील मामून ने जब बंग्लूरू कर्नाटक में आलमी उर्दू कान्फ़्रैंस मुनाक़िद की थी, उसमें उर्दू दुनिया के सब मुमताज़ अदीबों और शाइरों को मदऊ किया गया था। उनका हुस्ने इंतिज़ाम और उर्दू के लिए उनका कमिटमैंट क़ाबिल रशक था। हमें उनके अधूरे ख़ाब को पूरा करने के लिए इक़दाम करना चाहीए। ताज़ियती नशिस्त में इसके इलावा सय्यद आसिफ़ अली, फ़र्हत सईद, अशोक तिवारी, अजय सर्राफ़, फ़रहान ख़ान, डाक्टर जबीन बेगम, अस्मा अब्बासी, ज़ीशान ख़ान वगैरह भी मौजूद थे। प्रोग्राम के आख़िर में ख़लील मामून की मग़फ़िरत के लिए दुआएं की गईं।
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सऊदी शायर शहज़ादा बदर बिन अबदुल मुहसिन के नाम से जानी जाएगी सड़क
रियाद : आईएनएस, इंडिया
ख़ादिम उल हरमीन शरीफ़ैन शाह सलमान बिन अबदुल अज़ीज़ ने रियाद की एक शाहराह (सड़क) का नाम सऊदी शायर शहज़ादा बदर बिन अबदुल मुहसिन के नाम पर रखने का हुक्म दिया है। ये हुक्म वली अहद शहज़ादा मुहम्मद बिन सलमान की सिफ़ारिश पर जारी किया गया।
शहज़ादा बदर बिन अबदुल मुहसिन के मुनफर्द (अलग) शायराना तजुर्बे ने सऊदी और अरबी अदब पर गहिरा असर छोड़ा है। ये शाहराह अमीरा नूरा बिंत अबदुर्रहमान यूनीवर्सिटी के मग़रिब में वाके है जिसके शुमाल में किंग सलमान रोड और जुनूब में अलसमामा रोड इससे मुत्तसिल (लगी हुई) है। याद रहे कि सऊदी शायर शहज़ादा बदर बिन अबदुल मुहसिन 75 बरस की उम्र में पेरिस में अलालत के बाद इंतिक़ाल कर गए थे।
अरब दुनिया में सऊदी शायरी को मक़बूल बनाने के मुअम्मार शहज़ादा बदर बिन अबदुल मुहसिन की शायरी को बहुत से मारूफ़ अरब फ़नकारों ने गानों में अमर कर दिया जिनमें तलाल मदह, मुहम्मद अबदौ और दीगर शामिल हैं। उनके हुब्ब-उल-व्तनी के अलफ़ाज़ और गीतों ने खासतौर पर सऊदियों के साथ गहिरा ताल्लुक़ क़ायम किया जिससे उनके और उनकी क़ौम के लोगों के दरमयान एक मज़बूत रिश्ता क़ायम हुआ। शहज़ादा बदर बिन अब्दुल मुहसन का शुमार जज़ीरा अरब के जदीद शोअरा में होता है। उन्होंने शेअर व अदब के हवाले से ख़िदमात अंजाम दीं और कई तसानीफ़ छोड़ी हैं। उनकी ख़िदमात के एतराफ़ में शाह सलमान बिन अबद उल-अज़ीज़ ने 2019 में उन्हें किंग अब्दुल अज़ीज़ ऐवार्ड से नवाज़ा था।