रबि उल आखिर, 1447 हिजरी﷽फरमाने रसूल ﷺजिस शख्स की रूह इस हाल में उसके जिस्म से जुदा हो के वो तीन चीजों से बरी हो तो वो जन्नत में जाएगा1, तकब्बुर2, कर्ज और3 खयानत- मसनद अहमद
✅ नई तहरीक : दुर्ग
हजरत ख्वाजा जलालुद्दीन खिज्र रूमी, अलैर्हिरहमा, केलाबाड़ी, का 7 से 11 अक्टूबर तक सज्जादानशीन व सरपरस्त सूफी शफीउद्दीन सअदी पिया की कयादत में सालाना उर्स पाक मनाया गया। इस दौरान हर रोज़ सुबह कुरआन ख्वानी हुई जिसके बाद कौम-ओ-मिल्लत, वतन और रियासत की खुशहाली, तरक्की और भाईचारगी के लिए दुआएं की गई।उर्स पाक के दौरान मुल्क के अलग-अलग हिस्सों से आए शायरों के बीच जिस तरफ चश्में मोहम्मद के इशारे हो गए और मआरफत के है चमन, ख्वाजा जलालुद्दीन हसन के मौजू पर तरही मुशायरा मुनाकिद हुआ। बज़्म की सदारत उस्ताद शायर अरशद जबलपुरी ने और निजामत उस्ताद शायर सुखनवर हुसैन सुखनवर ने की।
मुशायरे में मोहम्मद इजहार जबलपुरी, साजिद अली साजिद जबलपुरी, रामेश्वर शर्मा रायपुरी, इरफानुद्दीन इरफान धरसीवा, रायपुर, मोहम्मद मजाहिर हुसैन मजाहिर, रायपुर, उस्ताद शायर अताउर्रहमान, उत्तर प्रदेश, अकील बिजनौरी, रियाजुद्दीन (बाबू) मौदहा, उत्तर प्रदेश, हाजी गफूर अशरफ, नवेद रज़ा दुर्गवी, दुर्ग, अलोक नारंग दुर्ग, अनीस अहमद रज़ा दुर्ग, रियाज खान गौहर, डाक्टर नौशाद अहमद सिद्दीक़ी और मोहम्मद ओवैस अहमद, काजी़पेट समेत तमाम शायरों ने अपने कलाम पेश किए। ये जानकारी खानकाह के खिदमत गुजार सूफी युसूफ अली ने दी।