केराला : क्या है काफिर मुहिम, कौन है इसके पीछे, अदालत ने दिया तहक़ीक़ का हुक्म

सफर-उल-मुजफ्फर 1446 हिजरी 

  फरमाने रसूल ﷺ   

जो आदमी इस हाल में फौत हुआ के वह अल्लाह ताअला और आख़ेरत पर इमान रखता हो तो उससे कहा जाएगा, त जन्नत के आठ  दरवाज़ों में से जिस दरवाज़े से दाखिल होना चाहता है, दाखिल हो जा।

- मसनद अहमद

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✅ तिरुअनंतपुरम : आईएनएस, इंडिया 

केराला हाईकोर्ट ने को पुलिस को हिदायत दी है कि वो वडाकारा हलक़ा में लोक सभा इंतिख़ाबात से चंद घंटे कब्ल शुरू की गई मुतनाज़ा (विवादित) ''काफ़िर' मुहिम की असलीयत का पता लगाए। मुहिम के बाद केराला में कांग्रेस की क़ियादत वाली यूनाईटिड डैमोक्रेटिक फ्रंट (यूडीएफ़) और सीपीआई (एम) की क़ियादत वाली लेफ्ट डैमोक्रेटिक फ्रंट (एलडीएफ़) के दरमयान इल्ज़ामात का एक दौर शुरू हुआ कि ये किसने किया। अदालत ने ये भी कहा कि जिन लोगों के नाम पुलिस ने रिकार्ड किए गए बयानात की बुनियाद पर हासिल किए हैं, उनमें से कुछ से पूछगिछ नहीं की गई। 
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    अदालत ने तफतीशी टीम को दरख़ास्त गुज़ार के इस इस्तिदलाल (दलील) की भी तहक़ीक़ात करने की हिदायत की कि किसी की साख को नुक़्सान पहुंचाने के लिए जालसाज़ी के जुर्म को भी मुक़द्दमे में शामिल किया जाए। दरख़ास्त गुज़ार मुहम्मद ख़ास ने अदालत को बताया कि इस वक़्त ताज़ीरात-ए-हिंद की दफ़ा 153 ए (मज़हब, नसल, जाए पैदाइश, रिहायश की बुनियाद पर मुख़्तलिफ़ गिरोहों के दरमयान दुश्मनी को फ़रोग़ देना और केराला पुलिस एक्ट की दफ़ा 120 (ओ) है। किसी भी बातचीत को फ़रोग़ देना ताज़ीरात-ए-हिंद के तहत एक केस दर्ज किया गया है, जो बार-बार या नापसंदीदा या गुमनाम कालों, ख़ुतूत, तहरीरों, पैग़ामात वग़ैरा के ज़रीये परेशानी का बाइस बनता है। 
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    दरख़ास्त गुज़ार ने काफ़िर मुहिम की मुनासिब तहक़ीक़ात का मुतालिबा करते हुए हाईकोर्ट से रुजू किया है। ये मसला वडाकारा इंतिख़ाबात से कब्ल सोशल मीडीया पर की गई एक पोस्ट से मुताल्लिक़ है, जिसमें लोगों से मुबय्यना तौर पर एलडीएफ़ उम्मीदवार को वोट देने कहा गया था। साथ ही दूसरे उम्मीदवार को काफ़िर कह कर उसे वोट ना देने को कहा गया। हुकूमत ने समाअत के दौरान अदालत को बताया कि मुख़्तलिफ़ अफ़राद के मोबाइल फ़ोन कब्जे में लेकर फोरेंसिक जांच के लिए भेजे गए हैं। हुकूमत ने ये भी कहा कि केस की तहक़ीक़ात अच्छी तरह से आगे बढ़ रही है। पुलिस ने अदालत को बताया कि तफ़तीश के हवाले से उनके तबसरों से तफ़तीश पर मनफ़ी (निगेटिव) असर पड़ेगा। अदालत ने केस की अगली समाअत 6 सितंबर को मुक़र्रर की है।
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  रात में आयतुल कुर्सी  पढ़ने की फ़ज़ीलत  

हज़रत अली (रज़ियल्लाहु अन्हु) फरमाते हैं कि मैंने रसूल अल्लाह (ﷺ) को मिम्बर पर फ़रमाते हुए सुना : जो शख़्स हर (फ़र्ज़) नमाज़ के बाद आयतुल कुर्सी पढ़े, उसे जन्नत में दाख़िल होने से मौत के सिवा कोई चीज़ नहीं रोकती। और जो कोई रात को सोते वक्त इसे पढ़ेगा अल्लाह तआ़ला उसे, उसके घर को और आस पास के घरों को महफूज़ फ़रमाएगा। 
- शुअबुल ईमान

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