दौरान-ए-हज हीट वेव से जां बहक होने वाले हाजियों की तादाद 922 जा पहुंची, हिंदूस्तान के 98

जिल हज्ज-1445 हिजरी

हदीस-ए-नबवी ﷺ

जिसने अस्तग़फ़ार को अपने ऊपर लाज़िम कर लिया अल्लाह ताअला उसकी हर परेशानी दूर फरमाएगा और हर तंगी से उसे राहत अता फरमाएगा और ऐसी जगह से रिज़्क़ अता फरमाएगा जहाँ से उसे गुमान भी ना होगा।

- इब्ने माजाह

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दौरान-ए-हज हीट वेव से जां बहक होने वाले हाजियों की तादाद 922 जा पहुंची, हिंदूस्तान के 98

✅ रियाद : आईएनएस, इंडिया 

मक्का मुकर्रमा में रवां हज सीज़न के दौरान हीट वेव से जांबाहक़ हाजियों की तादाद 922 होने का दावा किया गया है। फ़्रांसीसी न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक़ हज सीज़न के दौरान गर्मी से जांबाहक़ होने वाले हाजियों की तादाद 922 तक जा पहुंची है। अरब सिफ़ारतकार का कहना है कि जांबाहक़ मिस्री हाजियों की तादाद ही कम से कम 600 है। दीगर हाजियों का ताल्लुक़ अरदन, इंडोनेशिया, ईरान, सेनेगाल, तेउंस और इराक़ से है। 
    हालांकि ये वाज़िह नहीं किया गया कि इन मुल्कों के हाजियों की अम्वात हीट वेव ही से हुई है। अरदन के 20 लापता हाजियों की तलाश भी जारी है। ख़बर के मुताबिक़ इस साल 18 लाख अफ़राद ने हज का फ़रीज़ा अंजाम दिया। हज के दौरान दर्जा हरारत 51.8 डिग्री सेंटीग्रेड तक पहुंच गया था। ये भी वाज़िह किया गया है कि सऊदी अरब ने अम्वात से मुताल्लिक़ मालूमात नहीं दी हैं ताहम इतवार को कहा गया था कि गर्मी की वजह से 2700 अफ़राद थकन में मुबतला हुए थे। 
    एक ख़बर के मुताबिक़ हीट वेव से जांबाहक़ हाजियों की अक्सरीयत उन अफ़राद पर मुश्तमिल है, जिन्होंने ख़ुद को हज के लिए रजिस्टर्ड नहीं कराया था यानि गैर कानूनी तौर पर हज करने पहुंचे थे। इसकी वजह से वो एयरकंडीशनल मुक़ामात तक रसाई हासिल नहीं कर सकते थे। याद रहे कि सऊदी महकमा-ए-मौसीमीयत ने रवां बरस हज सीज़न के दौरान शदीद गर्मी पड़ने की पेशनगोई कर रखी थी और इसी मुनासबत से सऊदी वज़ारत हज-ओ-उमरा की जानिब से आजमीन किराम के लिए जगह जगह पानी के फ़व्वारों और ठंडे पानी का इंतिज़ाम किया गया था। इसके अलावा सऊदी इंतिज़ामीया ने मुख़्तलिफ़ ममालिक से आए आजमीने किराम को गर्मी से बचाने के लिए एहतियाती तदाबीर इख़तियार करने की हिदायत भी की थी।

सफ़र-ए-हज में 98 हिन्दुस्तानी आज़मीन-ए-हज्ज जां बहक हुए : वज़ारत-ए-ख़ारजा

दौरान-ए-हज हीट वेव से जां बहक होने वाले हाजियों की तादाद 922 जा पहुंची, हिंदूस्तान के 98

गुजिश्ता साल इंतेकाल करने वाले हिन्दोस्तानी आजमीन-ए-हज की तादाद 187 थी 

नई दिल्ली : सऊदी अरब के मक्का मुकर्रमा में हज पर गए 98 हिन्दुस्तानी आज़मीन का इंतिक़ाल हो गया। हिन्दोस्तान के वज़ारत-ए-ख़ारजा ने इसकी तसदीक़ की है। वज़ारत-ए-ख़ारजा ने जुमा के रोज़ बताया कि इस साल हिन्दोस्तान से एक लाख 75 हज़ार लोग सफ़र-ए-हज के लिए मक्का मुकर्रमा गए थे। उनमें से 98 अफ़राद जां बहक हो गए। 
    वज़ारत-ए-ख़ारजा ने कहा है कि ये अम्वात क़ुदरती वजूहात, पुरानी बीमारीयों और बुढ़ापे की वजह से हुई हैं। उनमें से 6 अफ़राद अर्फ़ात के दिन जबकि 4 हादिसात के बाइस जांबाहक़ हुए। वज़ारत-ए-ख़ारजा ने कहा है कि मक्का मुकर्रमा में हमारा हज मिशन काम कर रहा है। आज़मीन से मुताल्लिक़ तमाम इंतिज़ामात किए गए हैं। इस तरह के हादिसे पर हम फ़ौरन कार्रवाई करते हैं। सभी लोगों का ध्यान रखा जाता है। मक्का मुकर्रमा में शदीद गर्मी पड़ रही है। वहां लोग हीट वेव के भी शिकार हो रहे हैं। गुजिश्ता साल सफ़र-ए-हज के दौरान हिन्दोस्तान के 187 आज़मीन-ए-हज्ज का इंतिक़ाल हुआ था। 
    सऊदी अरब में इस साल शदीद गर्मी की वजह से सफर-ए-हज के दौरान दुनिया से आए हुए 900 से ज़्यादा आज़मीन-ए-हज्ज का इंतिक़ाल हो गया है। सऊदी अरब के सरकारी टेलीविज़न ने बताया कि पीर के रोज़ मक्का की मस्जिद अल हरम में दर्जा हरारत 51.8 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया था। एक अरब सिफ़ारतकार ने न्यूज एजेंसी एएफ़पी को बताया कि हज पर जाने वाले अफ़राद में सबसे ज़्यादा मिस्रियों की मौत हुई है। मुतअद्दिद ममालिक की तरफ़ से जारी करदा आदाद-ओ-शुमार के मुताबिक़, अब तक होने वाली अम्वात की कुल तादाद 922 तक पहुंच गई है। तेउंस की 70 साला मबरोका बिंत सलीम शोशना हफ़्ता के रोज़ अर्फ़ात की जियारत के आख़िरी मरहले को मुकम्मल करने के बाद से लापता हैं, उनके शौहर मुहम्मद ने बुध के रोज़ बताया कि वो रजिस्टर्ड नहीं थीं और उनके पास सरकारी हज इजाज़तनामा नहीं था। उसने बताया कि वो एक बूढ़ी औरत है और बहुत थकी हुई थी। वो बहुत गर्मी महसूस कर रही थी और उनके पास सोने की जगह नहीं थी। उन्होंने कहा कि मैंने उन्हें तमाम अस्पतालों में तलाश किया लेकिन अब तक मुझे कोई सुराग़ नहीं मिल सका।

सऊदी अथार्टी का दावा : हज के दौरान इंतिक़ाल करने वाले बेशतर आज़मीन के पास नहीं था इजाज़तनामा 

रियाद : साल 2024 के हज सीज़न के दौरान हलाक होने वाले बेशतर आज़मीन के पास इजाज़त नामे नहीं थे। कई ममालिक के ओहदेदारों की जानिब से तसदीक़ की गई है कि 1445 हज सीज़न के दौरान हलाक होने वाले बेशतर आज़मीन सऊदी अरब में हज शुरू होने से कई माह पहले सयाहत (टूरिस्ट) और विजिट वीज़े पर आए। ये अफ़राद हज सीज़न शुरू होने तक मक्का में रहे और उन्होंने बाक़ायदा इजाज़त नामों के बग़ैर और किसी कंपनी या इदारे की तरफ़ से रिहायश, खाने और ट्रांसपोर्ट की सहूलतों की फ़राहमी की अदम मौजूदगी में हज अदा किया। 
    तेउंस की वज़ारत बराए ख़ारिजा उमूर, माईग्रेशन और बैरून-ए-मुल्क शहरीयों ने तसदीक़ की है कि हज के दौरान तेउंस के हलाक होने वाले बेशतर आज़मीन सऊदी अरब में सयाहत, उमरे और दौरे के वीज़े पर पहुंचे थे। इसी तरह अरदन की वज़ारत बराए उमूर ख़ारिजा और बैरून-ए-मुल्क शहरीयों के डायरेक्टर ऑप्रेशन और काउंसलर उमूर डाक्टर सुफ़ियान कदहा ने कहा है कि अरदन के हलाक या गुम हो जाने वाले तमाम आज़मीन उनके मुल्क के सरकारी हज वफ़द का हिस्सा नहीं थे, और वो सऊदी अरब में सयाहत और दौरों के वीज़ों पर और हज के इजाज़त नामों के बग़ैर दाख़िल हुए थे। 

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    वाजेह रहे कि रवां बरस के हज सीज़न के दौरान मक्का में दर्जा हरारत में नुमायां इज़ाफ़ा हुआ और मुतअद्दिद क़ौमीयतों के आज़मीन बड़ी तादाद में सयाहत और दौरे के वीज़े पर पहुंचे। उसके नतीजे में इन आज़मीन ने चिलचिलाती-धूप और थका देने वाली गर्मी में बग़ैर खाने, किसी कंपनी की फ़राहम की गई रिहायशी सहूलयात और ट्रांसपोर्ट के नाहमवार रास्तों, जो पैदल चलने वालों के लिए मुख़तस नहीं थे, पर चलते हुए लंबे सफ़र तै किए। इस सूरत-ए-हाल की वजह से बहुत से लोग बदक़िस्मती से हलाक हो गए।

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