शव्वाल -1445 हिजरी
हदीसे नबवी ﷺ
तकदीर का लिखा टलता नहीं
'' हजरत अबु हुरैरह रदि अल्लाहो अन्हुमा ने फरमाया-अपने नफे की चीज को कोशिश से हासिल करो और अल्लाह ताअला से मदद चाहो, और हिम्मत मत हारो और अगर तुम पर कोई वक्त पड़ जाए तो यूं मत कहो कि अगर मैं यूं करता तो ऐसा हो जाता, ऐसे वक्त में यूं कहो कि अल्लाह ताअला ने यही मुकद्दर फरमाया था और जो उसे मंजूर हुआ, उसने वहीं किया। ''
- मुस्लिम शरीफ
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इंतेख्ताब के बाद दाद-ए-अजदवाज पर पाबंदी लगाएंगे
और यूनीफार्म सिविल कोड भी होगा नाफ़िज़
✅ गोहाटी : आईएनएस, इंडिया
आसाम के वज़ीर-ए-आला हेमंता बिस्वा सरमा ने दो टूक अलफ़ाज़ में कहा कि इंतिख़ाबात के बाद वो आसाम में ना सिर्फ तादाद-ए-अजदवाज (बहु विवाह) पर पाबंदी लगाएँगे बल्कि यकसाँ सिविल कोड (यूसीसी) को भी नाफ़िज़ करेंगे। वे साफ़ कहते हैं कि मुदर्रिसा की तालीम से मुस्लमानों को कोई फ़ायदा नहीं होगा। हमें मुस्लमानों के बेटों और बेटीयों को डाक्टर, इजीनर, प्रोफेसर और साईंसदान बनाने का रास्ता दिखाना होगा। उन्हें ऐसी तालीम की ज़रूरत नहीं कि तरक़्क़ी की तमाम राहें बंद हो जाएं।उन्होंने पोलोराईजेशन पर कहा, अगर दूसरा शख़्स ऐसा करता है तो हमें भी करना होगा। मुस्लमानों से वोट ना मांगने के सवाल पर उन्होंने कहा कि किस से वोट माँगूँ, किस से नहीं। ये मेरा हक़ है। जब मैं जानता हूँ कि एक मख़सूस तबक़ा वोट नहीं देगा तो फिर वहां जाकर वक़्त क्यों ज़ाए करूँ। सरमा ने कहा कि शुमाल मशरिक़ (उत्तर-पूर्व) में 25 सीटें हैं। मुझे यक़ीन है कि 22 सीटें एनडीए को जाएँगी। उनमें से 15-16 बीजेपी को और बाक़ी इत्तिहाद को जाएँगी। उन्होंने कहा, मेरे लिए आसाम में पोलोराईजेशन ज़रूरी है। इक़तिदार में रहने के लिए नहीं, बल्कि इस बात को यक़ीनी बनाना है कि आसाम में हमारे मुक़ामी लोग सियासी, समाजी और इक़तिसादी मैदान में रहें। हमारा वजूद ख़तरे में नहीं आना चाहिए। उसके लिए बाज़-औक़ात हमें ऐसे मुआमलात उठाने पड़ते हैं। ये हमारी मजबूरी है। जब 36 फ़ीसद लोग किसी रियासत में हिजरत करते हैं और आहिस्ता-आहिस्ता आप अपने ही मुल्क में अक़ल्लीयत बन जाते हैं।
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अगर दूसरा शख़्स भी पोलोराईजेशन करता है तो हमें भी पोलोराईजेशन करना होगा। सवाल किया गया कि आपने इंतिख़ाबात के बाद यूसीसी को नाफ़िज़ करने का ऐलान किया है तो उन्होंने जवाब दिया कि वो तैयार है। उन्होंने यह भी कि हम इंतिख़ाबात के बाद तादाद-ए-अज़दवाज पर पाबंदी लगा देंगे। यूनीफार्म सिविल कोड (यूसीसी) भी लाएंगे। हम उत्तराखंड का कुछ असर देख रहे हैं। मर्कज़ी क़ियादत से ग्रीन सिगनल लेना होगा। मेरे ख़्याल में ये 2026 मैं होना चाहिए। जब उनसे पूछा गया कि क्या आप मदारिस बंद करना चाहते हैं, उनका जवाब था कि सरकारी मदारिस बंद हो गए। हम ये भी तलाश कर रहे हैं कि निजी मदारिस को भी क़ानूनी ज़राइआ से कैसे बंद किया जा सकता है। वज़ीर-ए-आला आसाम का ये दावा था कि में नहीं मानता कि मुदर्रिसा की तालीम से मुस्लमानों को कोई फ़ायदा पहुँचेगा। आप मुस्लमान बेटों और बेटीयों को तालीम आम से जोड़ें। उन्हें डाक्टर, इजीनर, प्रोफेसर, साईंसदान बनने का रास्ता दिखाएंगे। अगर कोई दीनी तालीम लेना चाहता है तो वो अपने घर, अपनी बिरादरी में ले सकता है।उन्होंने कहा कि ये ज़रूरी नहीं कि मुस्लमान बच्चों की तालीम बचपन से ही किसी और रास्ते पर चली जाए और उनके तमाम रास्ते बंद हो जाएं। जब मैं जानता हूँ कि एक ख़ास तबक़ा वोट नहीं देगा, तो वहां जाने से मेरा क़ीमती वक़्त ज़ाए होगा। बहुत से हिंदू इलाक़े हैं जो मुझे वोट नहीं देंगे, में वहां भी नहीं जाता। दोनों ग्रुपों के दरमयान ग़ैर ज़रूरी हंगामा-आराई और लड़ाई होगी। हमें उन लोगों का एहतिराम करना है जो हमें वोट देते हैं, और हमें उन लोगों का भी एहतिराम करना है जो हमें वोट नहीं देते।
2021 मैं मैंने कहा था कि अभी वो हमें वोट नहीं देंगे लेकिन, पिछले तीन सालों में हमने मुस्लिम बेटीयों और माओं के दरमयान बहुत काम किया है। उम्मीद है कि मैं माँगूँ या ना माँगूँ, हमें वहां से भी 10 फ़ीसद वोट मिलेंगे।
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