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ग़ज़ा में कहत, सूरते हाल अलमनाक, इलाज सिर्फ एक '' जंग बंदी ''

रमजान उल मुबारक-1445 हिजरी

विसाल (21 रमज़ान)
0 अमीरुल मोमेनीन हज़रत सय्यदना मौला अली रज़ियल्लाहु तआला अन्हु
0 हज़रत इमाम अली मूसा रज़ियल्लाहु तआला अन्हु
0 हज़रत शाह अली हुसैन बाक़ी अलैहिर्रहमा, पटना
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हदीस-ए-नबवी ﷺ

'' बंदे का रोजा जमीन व आसमान का दरमियान मोअल्लक (लटका) रहता है, जब तक कि सदक-ए-फित्र अदा न किया जाए। ''
- कंजुल आमाल

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अकाल रोकने के लिए इसराईल इन्सानी इमदाद

को यक़ीनी बनाए : आलमी अदालत इन्साफ़

ग़ज़ा में कहत, सूरते हाल अलमनाक, इलाज सिर्फ एक '' जंग बंदी ''
✅ दी हेग : आईएनएस, इंडिया
आलमी अदालत ने जुमेरात को मुत्तफ़िक़ा तौर पर इसराईल को हुक्म दिया कि ग़ज़ा की फ़लस्तीनी आबादी को बुनियादी ख़ुराक की फ़राहमी को यक़ीनी बनाया जा सके ताकि क़हत को फैलने से रोका जा सके। हालांकि आलमी अदालत के फ़ैसले पर इसराईल की वज़ारत-ए-ख़ारजा (विदेश मंत्रालय) की जानिब से फ़ौरी तौर पर कोई तबसरा नहीं किया गया। दी हेग में आलमी अदालत ने जुमेरात को मुत्तफ़िक़ा तौर पर इसराईल को हुक्म दिया कि वो ऐसी तमाम ज़रूरी और मूसिर (प्रभावशाली) कार्रवाई करे, जिससे महसूर इलाक़े की फ़लस्तीनी आबादी को बुनियादी ख़ुराक की फ़राहमी को यक़ीनी बनाया जा सके और क़हत को फैलने से रोका जा सके। हालांकि ग़ज़ा पर हुकूमत करने वाले अस्करीयत पसंद ग्रुप हम्मास ने कहा कि इन्सानी बोहरान को रोकने के लिए जंगबंदी की ज़रूरत है। 
    बैन-उल-अक़वामी अदालत इन्साफ़ की तरफ़ से ये हुक्म ऐसे वक़्त में आया है, जब इसराईली अफ़्वाज (फोज) और फ़लस्तीनी जंग जू ग़ज़ा के अल शिफा हस्पताल के इर्द-गिर्द लड़ रहे थे, जहां हम्मास और इस्लामी जिहाद के मुसल्लह धड़े का कहना है कि उन्होंने इसराईली फ़ौजीयों और टैंकों पर राकेटों और मार्टरज़ से हमला किया। आईसी जे ने कहा कि इसराईल ग़ज़ा में फ़ौरी तौर पर दरकार बुनियादी ख़िदमात और इन्सानी इमदाद की बिला ताख़ीर फ़राहमी को यक़ीनी बनाने के लिए तमाम ज़रूरी और मूसिर इक़दामात करे। उसके जजों ने कहा कि उनमें ख़ुराक, पानी, बिजली, ईंधन, रिहायश, लिबास, हिफ़्ज़ान-ए-सेहत और सफ़ाई की ज़रूरीयात के साथ-साथ ग़ज़ा भर में फ़लस्तीनीयों के लिए तिब्बी सामान और तिब्बी देख-भाल शामिल है। 
    अदालत के जजों ने कहा कि साहिली एनक्लेव में लोगों को बदतरीन होते हुए हालात का सामना है। जजों ने अपने हुक्म में कहा कि अदालत का मुशाहिदा है कि ग़ज़ा में फ़लस्तीनीयों को अब क़हत के महज़ ख़तरे का सामना नहीं है, बल्कि क़हत (अकाल) पड़ रहा है। नए इक़दामात की दरख़ास्त जुनूबी अफ़्रीक़ा ने अपने इस मुक़द्दमे के हिस्से के तौर पर की थी, जिसमें इसराईल पर ग़ज़ा में रियासत के जेरे क़ियादत नसल कुशी का इल्ज़ाम लगाया गया था। हम्मास के सीनीयर अहलकार बासिम नईम ने कहा कि इस फ़ैसले में ख़ातिर-ख़्वाह पेश-रफ़्त नहीं है। इसराईल को इन मसाइब को रोकने के लिए अपनी फ़ौजी कार्रवाई ख़त्म करने का हुक्म दिया जाना चाहिए। 


    नईम ने राइटर्ज़ को बताया कि हम ग़ज़ा और खासतौर पर शुमाली ग़ज़ा की पट्टी में इस इन्सानी अलमीए को ख़त्म करने के लिए किसी भी नए मुतालिबे का खैर मकदम करते हैं, लेकिन हमें उम्मीद है कि ग़ज़ा में हमारे लोगों को दरपेश अलमनाक सूरत-ए-हाल के किसी क़तई हल के लिए, अदालत जंग बंदी का हुक्म देगी। मंगल को अक़वाम-ए-मुत्तहिदा की सलामती काउंसिल ने फ़ौरी जंगबंदी और तमाम यरग़मालों की फ़ौरी और ग़ैर मशरूत (निशर्त) रिहाई के मुतालिबे के हक़ में वोट दिया था। अमरीका ने वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया लेकिन क़रारदाद को वीटो नहीं किया। 
    आलमी अदालत के फ़ैसले पर इसराईल की वज़ारत-ए-ख़ारजा की जानिब से फ़ौरी तौर पर कोई तबसरा नहीं किया गया। इसराईल ने कहा है कि वो एयर ड्राप्स और जहाज़ों के ज़रीये इमदादी ग्रुपों की ग़ज़ा तक रसाई को वसीअ करने की कोशिशें कर रहा है। इसराईली रहनुमाओं का कहना है कि हम्मास हथियार डाल कर, ग़ज़ा में ज़ेर-ए-हिरासत तमाम यरग़मालों को आज़ाद कर के और 7 अक्तूबर के हमले में मुलव्वस अफ़राद को मुक़द्दमे के लिए तहवील में देकर जंग का ख़ातमा कर सकता है। इसराईली फ़ौज ने कहा कि उसने ग़ज़ा शहर के अलशफ़ा हस्पताल कम्पलैक्स पर एक हफ़्ता से ज़्यादा अरसा क़बल हमला करने के बाद उसके इर्द-गिर्द कार्रवाई जारी रखी है। उसने कहा कि उसकी फोर्स ने ऑप्रेशन के आग़ाज़ से लेकर अब तक, शहरीयों, मरीज़ों, तिब्बी टीमों और तिब्बी आलात को पहुंचने वाले नुक़्सान को हुए 200 के क़रीब मुसल्लह अफ़राद को हलाक किया है। 
    एक टेलीविज़न बयान में इसराईली फ़ौज के तर्जुमान डेनीयल ने कहा कि अस्पताल में काम करने वाले फ़ौजीयों ने हम्मास के एक क्वार्टर मास्टर रायद थाबीत को हलाक कर दिया जिन्हें उन्होंने ग्रुप के 10 सीनीयर तरीन अरकान में से एक क़रार दिया। 

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