रमजान उल मुबारक-1445 हिजरी
विसाल (3 रमज़ान)
खातूने जन्नत हज़रत फातिमा ज़ुहरा रज़ियल्लाहु तआला अन्हा
हज़रत ख्वाजा सिरी सकती रज़ियल्लाहु तआला अन्हु
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मस्जिद की तरफ कदम बढ़ाने का सवाब
'' हजरत अब्दुल्लाह बिन उमर रदि अल्लाहु अन्हु से रवायत है कि रसूल अल्लाह ﷺ ने फरमाया, जो शख्स जमात के लिए मस्जिद की तरफ चले तो उसके एक कदम एक गुनाह मिटाता है और दूसरा कदम उसके लिए एक नेकी लिखता है। जाने में भी और वापस लौटने में भी। ''
- अहमद तबरानी
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✅ नई तहरीक : कवर्धा
पोंड़ी गांव में वाके मुस्लिम क़ब्रस्तान को कुछ दिन कब्ल बेजा कब्जा बताते हुए कब्रिस्तान की बाउंड्रीवाल को ढहा दिया गया। मुकामी हुक्काम की मनमानी यहीं नहीं रुकी, बाउंड्रीवाल ढहाने के कुछ बाद क़ब्रस्तान के गेट को भी तानाशाही रवैया अपनाते हुए तोड़ दिया गया।
गौरतलब है कि मारुज अराजी (उक्त भूमि) 274/273 वक्फ बोर्ड में दर्ज है। मुकामी हुक्काम का कहना है कि मुस्लिम जमात के साबिक मुतवल्ली मुश्ताकुद्दीन ने गेट की ताअमीर गैर कानूनी तौर पर करवाई थी। साबिक मुतवल्ली मुस्ताकुद्दीन को हुक्काम की जानिब से 29 फरवरी को एक नोटिस जारी किया था जिसमें कब्रिस्तान में गैर कानूनी ढंग से गेट की तामीर कराने की बात कही गई है। हालांकि मुस्ताक उददीन ने बाकायदा नोटिस का जवाब दे दिया है जिसमें उन्होंने गेट की तामीर को गैर कानूनी होने से इंकार किया है। अपने जवाब में उन्होंने बताया कि मुस्लिम मआशरे का मुखिया होने के नाते उन्होंने कानूनी तौर पर गेट की तामीर करवाई है। जवाब में उन्होंने यह भी वाजेह कर दिया था कि मारूज अराजी वक्फ की है। ऐसे में मारूज आराजी पर कोई भी तामीराती काम गैर कानूनी नहीं हो सकता। उन्होंने यह भी कहा कि पटवारी की रिपोर्ट में गेट की तामीर को गैर कानूनी नहीं कहा गया है। उन्होंने बताया कि जो भी तामीराती काम हुआ है, हद के अंदर हुआ है।
हादसे के बाद मआशरे के लोग रंजीदा है। कब्रिस्तान का गेट और बाउंड्रीवाल बचाने मआशरे के लोगों ने अपने लेबल पर काफी कोशिश की लेकिन बात नहीं बनीं। गौरतलब है कि कब्रिस्तान को काफी पुराना बताया जा रहा है। मआशरे के लोगों ने कहा कि पूरे मामले को लेकर वे वक्फ बोर्ड को आगाह करेंगे और हाईकोर्ट में पिटीशन दायर करेंगे।
गौरतलब है कि मारुज अराजी (उक्त भूमि) 274/273 वक्फ बोर्ड में दर्ज है। मुकामी हुक्काम का कहना है कि मुस्लिम जमात के साबिक मुतवल्ली मुश्ताकुद्दीन ने गेट की ताअमीर गैर कानूनी तौर पर करवाई थी। साबिक मुतवल्ली मुस्ताकुद्दीन को हुक्काम की जानिब से 29 फरवरी को एक नोटिस जारी किया था जिसमें कब्रिस्तान में गैर कानूनी ढंग से गेट की तामीर कराने की बात कही गई है। हालांकि मुस्ताक उददीन ने बाकायदा नोटिस का जवाब दे दिया है जिसमें उन्होंने गेट की तामीर को गैर कानूनी होने से इंकार किया है। अपने जवाब में उन्होंने बताया कि मुस्लिम मआशरे का मुखिया होने के नाते उन्होंने कानूनी तौर पर गेट की तामीर करवाई है। जवाब में उन्होंने यह भी वाजेह कर दिया था कि मारूज अराजी वक्फ की है। ऐसे में मारूज आराजी पर कोई भी तामीराती काम गैर कानूनी नहीं हो सकता। उन्होंने यह भी कहा कि पटवारी की रिपोर्ट में गेट की तामीर को गैर कानूनी नहीं कहा गया है। उन्होंने बताया कि जो भी तामीराती काम हुआ है, हद के अंदर हुआ है।
जवाब पेश करने के बावजूद ढहा दी गई दीवार
मुस्ताक उद्दीन ने बताया कि जवाब पेश् करने के बाद सच्चाई का पता लगाए बगैर मनमाने ढंग से तहसीलदार ने गेट तोड़ने का हुक्म सादिर कर दिया। मुस्ताक उददीन ने बताया कि उन्होंने कलेक्टर के दफतर में तहसीलदार के हुक्म को रोकने की गुजारिश करते हुए कहा कि कब्रिस्तान में कोई तामीराती काम गैरकानूनी नहीं है। साजिशन कब्रिस्तान को नुकसान पहुंचाया जा रहा है।कोई मौका नहीं दिया
मुस्ताक उददीन ने बताया कि गेट तोड़ने का हुक्म 11 मार्च को जारी हुआ। इसकी जानकारी उन्हें 12 मार्च की शाम को हुई। नोटिस के मुताबिक अगले दिन यानी 13 जनवरी को गेट को तोड़ना था। उन्होंने कहा कि अगर माकूल वकत होता तो वे खुद गेट हटा देते लेकिन उन्हें कोई मौका नहीं दिया गया और जबरदस्ती गेट तोड़ दिया गया।मआशरे ने हुक्काम के खिलाफ की नारेबाजी
13 मार्च को बोडला तहसीलदार जेसीबी लेकर गेट को ढहाने पहुंचे। तब तक बड़ी तादाद में मआशरे के लोग वहां जमा हो गए थे। उन्होंने मुकामी हुक्काम की खिलाफत की। हुक्काम के खिलाफ नारेबाजी की। इसकी वजह से तहसीलदार व पुलिस को गेट को हटाने के लिए खासी मशक्कत करनी पड़ी। हालांकि मआशरे की मुखालफत कोई काम नहीं आई और गेट को तोड़ दिया गया।हादसे के बाद मआशरे के लोग रंजीदा है। कब्रिस्तान का गेट और बाउंड्रीवाल बचाने मआशरे के लोगों ने अपने लेबल पर काफी कोशिश की लेकिन बात नहीं बनीं। गौरतलब है कि कब्रिस्तान को काफी पुराना बताया जा रहा है। मआशरे के लोगों ने कहा कि पूरे मामले को लेकर वे वक्फ बोर्ड को आगाह करेंगे और हाईकोर्ट में पिटीशन दायर करेंगे।
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