रमजान उल मुबारक-1445 हिजरी
विसाल (3 रमज़ान)
खातूने जन्नत हज़रत फातिमा ज़ुहरा रज़ियल्लाहु तआला अन्हा
हज़रत ख्वाजा सिरी सकती रज़ियल्लाहु तआला अन्हु
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कर्ज की जल्द से जल्द करें अदायगी
'' हजरत अबू मूसा अश्अरी रदिअल्लाहू अन्हु से रिवायत है कि जनाब नबी-ए-करीम ﷺ ने इरशाद फरमाया- कबाईर (बड़े) गुनाहों के बाद सबसे बड़ा गुनाह यह है कि कोई शख्स मर जाए और उस पर देन यानी किसी का भी हक हो और उसके अदा करने के लिए वह कुछ न छोड कर जाए। ''- अबु दाउद
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✅ मक़बूज़ा बैतुल-मुक़द्दस : आईएनएस, इंडिया
फ़लस्तीन में गाजा की पट्टी में जारी खूँरेज़ जंग के दौरान इतवार को रमज़ान उल-मुबारक की पहली रात इसराईली पुलिस ने सैंकड़ों फ़लस्तीनी नमाज़ियों को मस्जिद अकसा में दाख़िल होने से रोक दिया और उनमें से मुतअद्दिद को तशद्दुद (हिंसा) का निशाना बनाया।ऐनी शाहिदीन (चश्मदीद) ने बताया कि इसराईली पुलिस की भारी नफ़री (बल) ने मस्जिद अकसा के कई दरवाज़ों से गुज़रने की कोशिश करने वाले सैंकड़ों नमाज़ियों को दाख़िले से रोक दिया और सिर्फ 40 साल से ज़ाइद उम्र के अफ़राद और ख़वातीन को ही जाने दिया। न्यूज एजेंसी ने पीर को रिपोर्ट किया कि इसराईली फ़ोर्सिज़ ने इन नमाज़ियों पर हमला किया, जिन्होंने उन्हें मस्जिद अकसा के दरवाज़ों में से एक दरवाज़े में दाख़िल होने से रोका। ये गाजा पर इसराईली जंग के पस-ए-मंज़र में मग़रिबी किनारे और यरूशलम में बढ़ती कशीदगी के माहौल में सामने आया है, जहां गुजिश्ता सात अक्तूबर से अब तक 31,000 से ज़ाइद फ़लस्तीनी मारे जा चुके हैं।
अल-क़ूदस के पुराने शहर में मस्जिद अकसा, जो मुस्लमानों के लिए दुनिया के मुक़द्दस तरीन मुक़ामात में से एक है, तवील अर्से से मुम्किना तशद्दुद के लिए एक फ्लैश प्वाईंट रहा है, खासतौर पर मज़हबी मवाक़े के दौरान। जैसे ही ग़ज़ा में जंग छिड़ी, इसराईल ने कहा कि वो हिफ़ाज़ती ज़रूरीयात का हवाला देते हुए रमज़ान के महीने में मस्जिद के सेहन में नमाज़ पर पाबंदी लगा सकता है। इसराईली वज़ीर-ए-आज़म नेतन्याहू के दफ़्तर की तरफ़ से गुजिश्ता हफ़्ते जारी करदा एक बयान में कहा गया था कि रमज़ान के पहले हफ़्ते के दौरान मुतअद्दिद नमाज़ियों को मस्जिद के सेहन में दाख़िल होने की इजाज़त दी जाएगी, जैसा कि गुजिश्ता बरसों में हुआ था, बग़ैर किसी तादाद का ऐलान किए। जबकि फ़लस्तीनी अल-अक़सा तक अपनी रसाई पर ऐसी कोई पाबंदी आइद करने को मुस्तर्द करते हैं।
2000 मैं इसराईली सियास्तदान जो उस वक़्त के अपोज़ीशन लीडर थे, ने इसराईली पार्लियामानी नुमाइंदों के एक ग्रुप की मस्जिद अकसा में क़ियादत की, जिसके नतीजे में पुर तशद्दुद झड़पें शुरू हुईं जो तेज़ी से दूसरी फ़लस्तीनी इंतिफ़ाज़ा के नाम से मशहूर हैं। 2021 में अल-अक़सा में झड़पों ने ग़ज़ा के साथ 10 रोज़ा जंग को भड़काने में अहम किरदार अदा किया। काबिल-ए-ज़िक्र है कि इसराईली जंगी काउंसिल ने गुज़शता हफ़्ते फ़ैसला किया था कि इसराईल में अरबों और यरूशलम के रिहायशियों को मस्जिद अकसा में नमाज़ अदा करने और उम्र के ग्रुपों की वज़ाहत किए बग़ैर तक़रीबन 50 से 60 हज़ार अफ़राद को दाख़िले की इजाज़त दी जाए। जबकि तेल अबीब में इज़ाफ़ी कशीदगी और सिक्योरिटी हमलों के ख़दशात के बाइस रमज़ान उल-मुबारक के दौरान मग़रिबी किनारे के बाशिंदों के यरूशलम में दाख़िले पर सख़्त पाबंदीयां आइद कर दी गई हैं।