रमजान उल मुबारक-1445 हिजरी
'' हजरत आएशा रदि अल्लाहो अन्हु से रवायत है कि रसूल अल्लाह ने दो दिन के रोजे से मना फरमाया है, एक ईद उल फितर और दूसरा ईद उल अदहा।''- सही मुस्लिम
'' अब्दुल्लाह इब्ने उमर रदि अल्लाहो अन्हु से रवायत है कि रसूल अल्लाह ईदगाह जाने के लिए एक रास्ते को इख्तियार करते और वापस आते वक्त दूसरे रास्ते को इख्तियार करते थे।''- सुनन अबु दाउद
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सहरी की तैयारी कर रही थी खानदान की खवातीन
✅ गाजा, दुबई : आईएनएस, इंडिया
इसराईल की बमबारी से बे-घर होने वाला अलतबा तबाई ख़ानदान वसती (मध्य) गाजा में रमज़ान के पहले जुमे की रात इकट्ठे खाना खाने के लिए जमा हुआ था, लेकिन ये मंज़र जल्द ही एक क़त्ल-ए-आम बदल गया।फ़्रांसीसी न्यूज एजेंसी एएफ़पी को ज़िंदा बच जाने वाले अफ़राद ने सनीचर को बताया कि उस इमारत पर फ़िज़ाई हमला हुआ, जिसमें अलतबा तबाई ख़ानदान मुक़ीम था और उनकी ख़वातीन सहरी की तैयारी कर रहीं थीं। हमले में ख़ानदान के 36 अफ़राद शहीद हो गए। हम्मास के जे़रे हुक्मरानी गाजा की वज़ारत-ए-सेहत ने भी 36 शहादतों की रिपोर्ट की हैं जबकि उसने अलंसीरात में होने वाले इस फ़िज़ाई हमले का इल्ज़ाम इसराईल पर आइद किया है। हालांकि इसराईली फ़ौज ने कहा है कि वो इस वाकिये की तहक़ीक़ात कर रही है। देरास्सुबह के क़रीब मौजूद शोहदा अलाकसी हस्पताल में मौजूद 19 साला मुहम्मद अलतबा तबाई ने रोते हुए कहा कि ये मेरी माँ है, ये मेरा बाप है, ये मेरी ख़ाला है और ये मेरे भाई हैं। उन्होंने घर पर तब बमबारी की, जब हम अंदर मौजूद थे। मेरी माँ और ख़ाला सहरी का खाना तैयार कर रही थीं। वो सब शहीद हो गए। मुहम्मद अलतबा तबाई जिस वक़्त एएफ़पी से बात कर रहे थे, उस वक़्त उनके ख़ानदान वालों की लाशें हस्पताल के सेहन में पड़ी हुई थीं, फिर उन्हें क़ब्रिस्तान ले जाने के लिए एक ट्रक पर रख दिया गया। चूँकि बॉडी बैग्स ज़्यादा नहीं थे, इसलिए मरने वालों में से कुछ, जिनमें कम अज़ कम दो बच्चे भी शामिल थे, ख़ून से रंगीन सफ़ैद कपड़े में लिपटे हुए थे।
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हम्मास के जे़रे इंतिज़ाम हुकूमत के प्रेस ऑफ़िस के मुताबिक़ शुमाल में ग़ज़ा शहर से जुनूब में रफा तक रातों रात होने वाला हमला 60 मोहलिक (जानलेवा) फ़िज़ाई हमलों मैं से एक था। हुकूमती मीडीया ऑफ़िस का कहना था कि 'ये एक ख़ूनी रात है, बहुत ख़ूनी रात। ग़ज़ा में जंग का आग़ाज़ हम्मास की जानिब से गुज़शता बरस सात अक्तूबर को इसराईल पर हमले के बाद से हुआ। इसराईली आदाद-ओ-शुमार के मुताबिक़ इसमें 1160 अफ़राद हलाक हुए जिनमें अक्सरीयत आम शहरीयों की थी। इसराईल के जवाब में हम्मास को तबाह करने की मुहिम में गाजा की वज़ारत-ए-सेहत के मुताबिक़ कम अज़ कम 31 हज़ार 533 फ़लस्तीनी शहीद हो चुके हैं जिनमें अक्सरीयत ख़वातीन और बच्चों की है।