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रमज़ान शरीफ के क़रीब आते ही ग़र्ब अरदन और अल कुदस में बढ़ा तनाव

शअबान उल मोअज्जम-1445 हिजरी

हदीसे नबवी सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम

'' हजरत अबुदर्दा रदि अल्लाहो ताअला अन्हु फरमाते हैं कि जिसने अपने भाई को सबके सामने नसीहत की, उसने उसे जलील किया और जिसने तन्हाई में नसीहत की, उसने उसे संवार दिया। (तन्हाई की नसीहत ज्यादा असर करती है, हर शख्स उसे कबूल कर लेता है और उस पर अमल करने की कोशिश करता है। और जाहिर है कि अमल करने से वह संवर जाएगा। ''

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रमज़ान शरीफ के क़रीब आते ही ग़र्ब अरदन और अल कुदस में बढ़ा तनाव, Tension increases in Gharb Ardan and Al Quds as Ramzan Sharif approaches

✅ गाजा : आईएनएस, इंडिया

    रमज़ान शरीफ का महीना क़रीब आते ही गाजा की पट्टी के अलावा अलकुदस और ग़र्ब अरदन के फ़लस्तीनी इलाक़ों में कशीदगी (तनाव) के ख़दशात बढ़ने लगे हैं। इसकी वजह हम्मास और इसराईल के दरमियान कैदियों की डील और जंगबंदी में नाकामी को बताया जा रहा है। इसराईल भी इस वजह से तशवीश (फिक्र) में है। इसराईली हुकूमत पर शराइत के एक बड़े हिस्से को क़बूल करने के लिए दबाव डाला जा सकता है। 
    इसराईली ब्रॉडकास्टिंग कार्पोरेशन ने गुजिश्ता सनीवर की रात देर गए कहा कि पुलिस ने ऐसे फ़लस्तीनीयों की तादाद को महदूद करने की सिफ़ारिश की है, जो हरम क़ुदसी तक रसाई (पहुंच) हासिल कर सकते हैं। इससे पुलिस, इसराईली फ़ौज और शेन बैत के दरमियान इख़तिलाफ़ पैदा हो गया था। उन्होंने बग़ैर पाबंदी के इबादत गुज़ारों को जाने की इजाज़त देने पर इत्तिफ़ाक़ करने की सिफ़ारिश की थी। बातचीत के दौरान सिक्योरिटी हुक्काम ने अपनी तशवीश का इज़हार किया कि क़ौमी सलामती के वज़ीर ऐसे फ़ैसले करेंगे, जिससे मशरिक़ी यरूशलम और मग़रिबी किनारे में कशीदगी बढ़ेगी। 
रमज़ान शरीफ के क़रीब आते ही ग़र्ब अरदन और अल कुदस में बढ़ा तनाव, Tension increases in Gharb Ardan and Al Quds as Ramzan Sharif approaches

    खबरों के मुताबिक़ सिक्योरिटी सर्विसिज़ को फिक्र है कि क्या रमज़ान के महीने में मग़रिबी किनारे के लोगों को यरूशलम में दाख़िल होने की इजाज़त दी जाए और ईसराईलीयों के ख़िलाफ़ हमलों का ख़तरा पैदा किया जाए या उनके दाख़िले को रोका जाए। इस फ़ैसले की वजह से इसराईल का ख़्याल है कि हम्मास तहरीक दोनों इलाक़ों के दरमयान कशीदगी पैदा करने की कोशिश करेगा। इसराईली मीडीया ने कहा कि रमज़ान का महीना क़रीब आने की वजह से हम्मास यर्गमालियों (बंदियों) की रिहाई के लिए मुज़ाकरात (चर्चा) में ताख़ीर (विलंब) और अपना मौक़िफ़ सख़्त कर रहा है ताकि रमज़ान का महीना क़रीब आए। इस तरह इसराईल का मुहासिरा कर के कई ख़तरनाक मंज़र नामे पैदा किए जाएं।

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मक़बूज़ा बैतुल-मुक़द्दस : इसराईली वज़ीर-ए-आज़म बेंजामिन नेतन्याहू की जंगी काबीना के एक रुक्न रिटायर्ड जनरल ने इतवार को कहा कि अगर हम्मास ने रमज़ान उल-मुबारक शुरू होने से पहले ग़ज़ा में क़ैद बाकी बंदियों को रिहा ना किया तो रफा में लड़ाई जारी रहेगी। तवक़्क़ो की जा रही है कि वहां रमज़ान का आग़ाज़ 10 मार्च से होगा। 
    इसराईली फ़ोर्सिज़ ने पीर के रोज़ ग़ज़ा की जुनूबी पट्टी में फ़िज़ाई और ज़मीनी कार्यवाहीयां कीं जहां फ़लस्तीनीयों की एक बड़ी तादाद पनाह लिए हुए है। ग़ज़ा के महकमा-ए-सेहत के हुक्काम ने बताया कि अक्तूबर से अब तक हलाक होने वाले फ़लस्तीनीयों की तादाद अब 29000 से बढ़ गई है। हम्मास के वज़ारत-ए-सेहत ने बताया कि गुज़श्ता रोज़ 107 अफ़राद हलाक हुए और ग़ज़ा में इसराईली फ़ौजी कार्यवाईयों में ज़ख़मी होने वालों की कुल तादाद 69000 से ज़्यादा हो चुकी है। फ़लस्तीनी वज़ारत-ए-सेहत की जानिब से जारी आदाद-ओ-शुमार में आम शहरी और जंगजू दोनों शामिल होते हैं लेकिन उनकी तादाद अलहदा नहीं बताई जाती। हालांकि उसका कहना है कि हलाक होने वालों में दो तिहाई ख़वातीन और बच्चे हैं। 
    इसराईल ने ग़ज़ा के ख़िलाफ़ कार्रवाई 7 अक्तूबर को जुनूबी इसराईल पर हम्मास के जंगजूओं के एक बड़े हमले के रद्द-ए-अमल में की थी जिसमें 1200 अफ़राद हलाक और 250 के लगभग को यरग़माल बना लिया गया था। इसराईली फ़ौज ने पीर के रोज़ कहा कि उसने ग़ज़ा के जुनूब में सबसे बड़े क़स्बे ख़ान यूनुस में हमले किए हैं। ग़ज़ा और क़रीबी आबादियों से फ़रार होने वाले फ़लस्तीनीयों की एक बड़ी तादाद ने मिस्र की सरहदी गुज़रगाह के क़रीब रफा में पनाह ले रखी है। इसराईल का कहना है कि वहां हम्मास के जंगजू मौजूद हैं और वो उनके ख़ातमे तक अपनी जंग जारी रखेगा। ये जुनूब में ग़ज़ा की पट्टी का आख़िरी हिस्सा है। इसके बाद मिस्र का इलाक़ा शुरू हो जाता है। मिस्र कई बार ये चेतावनी दे चुका है कि वो पनाहगुज़ीनों को अपनी सरहद में दाख़िल नहीं होने देगा। इसराईल ने इतवार के रोज़ अपने क़रीबी इत्तिहादी अमरीका समेत बैन-उल-अक़वामी बिरादरी की जानिब से यकतरफ़ा तौर पर फ़लस्तीनी रियासत को तस्लीम करने के मुतालिबात को मुस्तर्द करते हुए कहा है कि ऐसा कोई भी मुआहिदा सिर्फ़ मुज़ाकरात के ज़रीये ही तै पा सकता है। 


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