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✒ लखनऊ : आईएनएस, इंडिया
इत्तिलाआत के मुताबिक़ 23 जनवरी से 30 जनवरी के दरमियान लखनऊ के नोडल मर्कज़ पर रोज़ाना तक़रीबन 1000 नौजवनों का इंतिख़ाब होना है, उनसे शटरिंग, वेल्डिंग, प्लास्टर करवा कर देखा जा रहा है कि उन्हें काम आता है या नहीं। मज़दूरों को इसराईल में अच्छी खासी तनख्वाह मिलेगी। मज़दूरों के रहने के लिए रिहायश वहां की हुकूमत देगी। इसराईल जाने वाले मज़दूरों की उम्र 21 से 45 साल तक होनी चाहिए। वाजेह रहे कि भारत और इसराईल हुकूमत के दरमियान 'चीफ़ मिनिस्टर मिशन इम्पलाइमैंट स्कीम के तहत एमओयू हुआ है, जिसके तहत 10 हज़ार तर्बीयत याफताह मज़दूरों को इसराईल भेजने की तैयारी की जा ही है।
हम्मास के हमले में काफ़ी नुक़्सान झेलने के बाद ख़ुद इसराईल ने भारत से मज़दूरों का मुतालिबा किया था। हिन्दुस्तानी मज़दूर वहां इनफ़रास्ट्रक्चर की तामीर का काम करेंगे। ख़बर के मुताबिक़ इन मज़दुरों में से राज मिस्त्री ज़ाहिद का कहना है कि उनके दो बच्चे हैं, एक 3 महीने का है और दूसरा 3 साल का। उनके बेहतर मुस्तक़बिल के लिए वो इसराईल जा रहा हैं। उन्होंने आगे कहा कि यहां वो 10-12 हज़ार रुपए ही कमा पाते हैं। महंगाई में ख़र्च पूरा नहीं होता, अगर सेलेक्शन हो गया तो क़रीब 5 साल वहां रहने को मिलेगा। ख़तरे के सवाल पर एक दीगर मज़दूर ने कहा कि अगर मौत आनी होगी तो आ ही जाएगी, घर वालों के लिए इतना ख़तरा तो मोल लेना ही पड़ेगा।