13 मुहर्रम-उल-हराम 1445 हिजरी
मंगल, 1 अगस्त, 2023
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अकवाले जरीं‘मेरी उम्मत में से सबसे पहले मेरे पास हौजे कौसर पर आने वाले वो होंगे जो मु्रासे और मेरे अहले बैत से मोहब्बत करने वाले हैं।’
-जामाह उल हदीस
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- इबाया का बढ़ता रुजहान और सेक्यूलर मुल्की इकदार पर बहस
पेरिस : आईएनएस, इंडिया
फ्रÞांस के स्कूलों में इबाया पहनने वाली मुस्लमान लड़कियों की तादाद में मुसलसल इजाफा हो रहा है। इस रुजहान की वजह से मुल्की तालीमी इदारों में सेक्यूलरिज्म के हवाले से एक नई बहस शुरू हो गई है, फ्रÞांसीसी वजारात-ए-तलीम के आदाद-ओ-शुमार के मुताबिक इस साल अप्रैल के महीने में मुल्क में सेक्यूलर इकदार की खिलाफवरजीयों के वाकियात में कमी आई है। ताहम मई में स्कूलों में मजहबी अलामात या मजहबी लिबास पहनने के वाकियात रजिस्टर किए जाने की शरह में नसफ (आधे) से जाइद का इजाफा हुआ।![]() |
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बीएफएम नामी टीवी ने मुल्क के लीयों नामी शहर के एक स्कूल से अपनी रिपोर्ट में एक उस्ताद का हवाला देते हुए बताया कि इबाया पहनने वाली लड़कियों की वजह से दबाव बढ़ रहा है, चाहे ये गैर इरादी ही क्यों ना हो। टीवी चैनल ने इबाया पहनने वाली एक तालिबा का इंटरव्यू भी नशर किया, जिसमें उसका कहना था कि कुछ असातिजा हमें अजीब अंदाज से देखते हैं मगर इबाया के हवाले से कुछ कहने की हिम्मत नहीं करते। फ्रÞांस में हमेशा से ही अवामी जिंदगी में सेक्यूलरिज्म को फरोग दिया जाता है। 2004 में इस मुल्क में एक ऐसा कानून मंजूर किया गया था, जिसके तहत तमाम प्राइमरी और हाई स्कूलों में मजहबी अलामात वाली इश्याय पहनने पर पाबंदी आइद कर दी गई थी। इस कानून के तहत किसी स्कूल में ना तो कोई स्कार्फ पहना जा सकता है, ना ही यहूदी बच्चे अपने सिरों पर अपनी मखसूस टोपी पहन सकते हैं और ना ही दीगर मजाहिब के लोग अपनी कोई मजहबी अलामात पहन या इस्तिमाल कर सकते हैं।
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दुपट्टे के बरअक्स इबाया एक ढीला ढाला सा लिबास है, जो अक्सर मुस्लिम खवातीन इस्लामी लिबास की तरह पहनती हैं। 2004 में इबाया पहनने पर पाबंदी नहीं लगाई गई थी लेकिन कुछ लोगों का ख़्याल है कि स्कूलों में बच्चियों का इबाया पहनना मुल्क की सेक्यूलर शिनाख़्त और उसूलों की खिलाफवरजी है। 2020 में पेरिस के करीब एक स्कूल में रौनुमा होने वाले एक खौफनाक वाकिये ने पूरे मुल्क को हिला कर रख दिया था।
रूहानी इलाज
किसी शख़्स पर कोई बड़ी मुसीबत आन पड़ी हो, और वह किसी तरीके से टल नहीं रही हो, उसे चाहिए बाद नमाजे जोहर 450 मर्तबा ‘हस्बुनल्लाहु व नेअ़मल वकील’ (अव्वल-आखिर 100-100 बार दुरूदे पाक के साथ) पढ़कर मुसीबत दूर होने की दुआ करे। इन्शा अल्लाह जल्द ही मुसीबत से छुटकारा मिल जाएगा। यह अमल 41 दिन करना है।