18 रमजान-उल मुबारक, 1444 हिजरी
पीर, 10 अपै्रल, 2023
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देहरादून : आईएनएस, इंडिया उत्तराखंड में दूसरी जमात के बच्चों को ‘अम्मी-अब्बू’ पढ़ाए जाने पर एक नई बहस शुरू हो गई है। यहां एक तालिबे इल्म के वालिद ने बच्चों के लिए अंग्रेजी की निसाबी किताब में मां-बाप के लिए ‘अम्मी’ और ‘अब्बू’ के अल्फाज इस्तिमाल करने पर एतराज करते हुए देहरादून के डीएम (जिÞला मजिस्ट्रेट) से शिकायत की है।
तालिबे इल्म के वालिद मनीष मित्तल का कहना है कि अंग्रेजी की निसाबी किताब में ये अलफाज पढ़ने के बाद उनके बेटे ने उन्हें ‘अब्बू’ और अपनी मां को ‘अम्मी’ कहना शुरू कर दिया है। ख़्याल रहे कि अम्मी और अब्बू जैसे लफ़्ज उर्दू में वालदैन के लिए इस्तिमाल किए जाते हैं। मनीष ने कहा कि जब मैंने अपने बच्चे से पूछा कि वो ऐसा क्यूँ कह रहा है तो मालूम हुआ कि बच्चे की अंग्रेजी किताब में एक नज्म है ‘टू बिग टू इस्माल...’ जिसमें शानो अपनी माँ को अम्मी और वालिद को अब्बू कह कर मुखातब करती है। आखिर में अब्बू और अम्मी के मअनी भी बयान किए गए हैं। उन्होंने कहा कि अंग्रेजी किताब में ऐसे अलफाज का इस्तिमाल शरारत आमेज है और ये उनके मजहबी अकीदे पर हमला है।
उन्होंने डीएम से मुतालिबा किया है कि इन अलफाज के बजाय अंग्रेजी के फादर और मदर का इस्तिमाल किया जाए। डीएम ने कहा कि कुछ अरसा कब्ल एक तालिबे इल्म के वालिद की तरफ से इस सिलसिले में शिकायत मौसूल हुई थी। हमने मुआमला चीफ एजूकेशन आॅफीसर को भेज दिया है। जिÞला मजिस्ट्रेट ने चीफ एजूकेशन आॅफीसर को एक हफ़्ता के अंदर इंक्वायरी रिपोर्ट पेश करने की हिदायत दी है। मुआमले में एक अहलकार ने बताया कि ये अलफाज किताब में बनाई गई तस्वीर में इस्तिमाल किए गए हैं, जिसमें मतन का मर्कजी किरदार आमिर अपने वालिद अब्बू और माँ को अम्मी कह कर मुखातब कर रहा है। उन्होंने बताया कि हैदराबाद के पब्लिशर की तरफ से शाइआ करदा ये किताब बरसों से आईसीएसई बोर्ड के मुतालआती मवाद का हिस्सा है, जिसकी हजारों कापियां बाजार में मौजूद हैं।
तमाम ‘गै़रकानूनी’ मजारों को मुनहदिम कर दिया जाएगा : सीएम
एक वीडियो क्लिप के साथ शेयर किए गए एक ट्वीट में जिसका उनवान है ‘हम देव भूमी में लैंड जिहाद को फलने-फूलने नहीं देंगे।’ धामी ने कहा कि ये नया उत्तराखंड है, और यहां के हुक्काम मजारों को मुनहदिम करेंगे जो गै़रकानूनी तौर पर बनाए गए हैं। ये नया उत्तराखंड है, यहां किसी को जमीन पर कबजा करने के बारे में सोचना नहीं चाहीए। उन्होंने कहा, रियासत में 1,000 से ज्यादा जगहों की निशानदेही की गई है, जहां गैर जरूरी मजार या दीगर तामीरात तामीर की गई हैं, लेकिन जब तलाशी ली गई तो उनके नीचे कोई बाकियात नहीं मिली हैं। हमने कहा है कि हम किसी के खिलाफ नहीं लेकिन जबरी तजावुजात भी नहीं होने देंगे। हम ‘लैंड जिहाद’ की इजाजत नहीं देंगे।