14 रमजान-उल मुबारक, 1444 हिजरी
जुमेरात, 6 अपै्रल, 2023
इलाहाबाद : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में यूपी गाय जबीहा एक्ट के तहत दर्ज एक शख़्स को पेशगी जमानत दी है। अदालत ने गौर किया कि मुल्जिम के खिलाफ मुकद्दमा ताजीरी कानून के गलत इस्तिमाल की एक वाजेह मिसाल है और ये कि हुकूमत ने इस मुआमले की मुंसिफाना तहकीकात नहीं की।
जस्टिस मुहम्मद फैज आलम खान ने मुशाहिदा किया कि किसी मुल्जिम के कब्जे से या जाये वकूआ से ना तो ममनूआ जानवर और ना ही इसका गोश्त बरामद हुआ है और तफतीशी अफ़्सर ने सिर्फ एक रस्सी और कुछ मिकदार में गाय का गोबर इकट्ठा किया है। अदालत ने कहा कि कुछ गवाहों के बयानात हैं, जिन्होंने दावा किया है कि उन्होंने मुल्जिमान को बिछड़े के साथ जमील के गन्ने के खेत की तरफ जाते देखा है। याद रहे कि गाय और बछड़े को पालतू जानवर के तौर पर रखना देहातों में जातपात, नसल और मजहब से कता-ए-नजर एक आम रिवाज है। हुकूमत का फर्ज है कि वो मुंसिफाना तहकीकात को यकीनी बनाए, जो इस अदालत के ख़्याल में फौरी केस में नहीं की गई है।
इसके सबब अदालत ने मुल्जिम को जमानत दे दी और साथ ही, उतर प्रदेश के डीजीपी को हिदायत दी कि वो तफतीशी आफिसरान को उनकी जिÞम्मेदारी की याद दिलाने के लिए जरूरी कार्रवाई करें ताकि आम तौर पर और खास तौर पर गाय के जबीहा से मुताल्लिक तमाम मुजरिमाना मुआमलात में मुंसिफाना तफतीश को यकीनी बनाया जा सके। एफआईआर दरखास्त गुजार समेत चार नामजद मुल्जिमान के खिलाफ दर्ज की गई थी जिसमें इल्जाम लगाया गया था कि 16 अगस्त 2022 को शाम साढे़ सात बजे जमील ने गन्ने के खेत में ममनूआ जानवर जबह किया था और जब उसने पहली बार इत्तिला देने वाला मौका पर पहुंचा तो उसे बछड़े की एक डोरी और गाय का गोबर मिला।
फर्स्ट इन्फार्मेशन रिपोर्ट में ये भी बताया गया कि गांव के कुछ लोगों ने नामजद मुल्जिमान को जमील के गन्ने के खेत की तरफ बछड़ा ले जाते देखा था। अहम बात ये है कि आईओ ने कोई ममनूआ जानवर या गाय की नसल का कोई गोश्त बरामद नहीं किया और मौका पर सिर्फ गाय का गोबर मिला और जब उसे फोरेंसिक जांच के लिए भेजा गया तो फोरेंसिक लैब, लखनऊ की जानिब से रिपोर्ट वापिस भेज दी गई।
तबदीली मजहब केस : दाई इस्लाम मौलाना कलीम की जमानत मंजूर

इस्लामी स्कालर दाई-ए-इस्लाम मौलाना कलीम सिद्दीकी
इलाहाबाद : मुमताज इस्लामी स्कालर दाई-ए-इस्लाम मौलाना कलीम सिद्दीकी, जो मजहब तबदीली मुखालिफ कानून के तहत जेल में बंद हैं, को बुध को इलाहाबाद हाईकोर्ट से जमानत मिल गई। उन्हें 21 सितंबर 2021 को उतर प्रदेश के इन्सिदाद-ए-दहशत गर्दी स्क्वाड ने गिरफ़्तार किया था। जेल में बंद मुस्लिम स्कालर की तरफ से वकील एसएम रहमान फैज, बृजमोहन सहाय और जिÞया उल कय्यूम जीलानी पेश हुए। सिद्दीकी मगरिबी उतर प्रदेश के मुमताज उलमा में से एक हैं और ग्लोबल पीस सेंटर के साथ-साथ जामिआ इमाम वली अल्लाह ट्रस्ट के सदर हैं। दो मुस्लिम स्कालरज मुहम्मद उमर और मुफ़्ती काजी जहांगीर कासिमी समेत एक दर्जन से ज्यादा मुस्लमान इस मफरूजा तबदीली मजहब मुखालिफ कानून के तहत जेल में बंद हैं।