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हरम नबवी के कालीनों की स्मार्ट टेक्नालोजी के जरीये की जाती है खुसूसी देखभाल

9 शव्वाल 1444 हिजरी
इतवार, 30 अपै्रल, 2023
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रियाद : आईएनएस, इंडिया 
सऊदी अरब में खादिम हरमैन शरीफैन की हुकूमत मस्जिद नबवी सल्लल्लाह अलैहि वसल्लम को खुसूसी तवज्जा देती है। मस्जिद में पूरी एहतियात के साथ नमाजियों और जाइरीन की खिदमत की जाती। इस बात का ख़्याल रखा जाता कि आने वालों को पुरसुकून अंदाज में इबादात का मौका मिले और इस दौरान तमाम जरूरी अस्बाब मुहय्या किए जाएं। 
हरम नबवी के कालीनों की स्मार्ट टेक्नालोजी के जरीये की जाती है खुसूसी देखभाल

    'एजैंसी बराए उमूर मस्जिद नबवी सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम' ने इस हवाले से रसूल अल्लाह सल्लल्लाह अलैहि वसल्लम की मस्जिद के कालीनों की देख-भाल का भी खुसूसी इंतिजाम किया जाता है। मस्जिद में बिछाए गए कालीनों की सफाई, उन्हें जरासीम से पाक करने और खुशबू से महकाने का अमल लगातार चौबीस घंटे जारी रहता है। इसका मकसद इस अजीमुश्शान मस्जिद में रुकू और सजदा करने वालों को राहत पहुंचाना है। 

    मस्जिद नबवी सल्लल्लाह अलैहि वसल्लम के कालीन अपनी मोटाई और पाएदारी में मुनफरद (अलग) हैं। साथ ही उनकी साख्त की कसाफत और उनके मुस्तहकम रंग ऐसे हैं, जो बकसरत धोने से मुतास्सिर नहीं होते। ये कालीन इन्सानी वजन को बर्दाश्त करने में बड़ी अहलीयत रखते हैं और मस्जिद नबवी सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम के हुस्न-ओ-जमाल में इजाफा भी करते हैं। 
    'सदारत आम्मा बराए उमूर मस्जिद अल हरम और मस्जिद नबवी सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम की जानिब से कालीनों की निगरानी और देख-भाल पर नजर दौड़ाएं तो इस हवाले से बेहतरीन मिसाल सामने आती है। मस्जिद नबवी सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम के हर कालीन पर एक इलेक्ट्रॉनिक चिप लगी हुई है। ये चिप एक इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम से मुंसलिक है। कालीन की तैयारी से लेकर इससे मुताल्लिक अब तक का सारा रिकार्ड इस चिप के जरीया हमावकत देखा जा सकता है। डीजीटल कोडिंग बार कोड में इस के डेटा को पढ़ कर कालीन की तफसीलात को देखा जा सकता है। कालीन का इस्तिमाल, उसका महल वकूअ, कालीन को धोने के औकात, मस्जिद नबवी सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम के अंदरूनी हिस्से और सेहनों के अंदर इस कालीन की सारी नकल-ओ-हरकत इस चिप के जरीया नोट की जा रही होती है। 
    मस्जिद नबवी, उसकी छत और सेहन में 35 हजार से जाइद कालीन बिछाए गए हैं। हर कालीन को दिन में तीन मर्तबा झाड़ा जाता है। इन कालीनों की सफाई के लिए रोजाना 1600 लिटर से ज्यादा जरासीम से पाक करने वाला मवाद इस्तिमाल किया जाता। कालीनों को रोजाना 200 लिटर खुशबू से महकाया जाता। मस्जिद नबवी सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम में बिछाए गए कालीनों में से हर रोज 150 कालीनों को धोया जाता है।

माजूर अफराद की खिदमत के लिए अलग हाल 

रियाद : एमवी सदारत बराए उमूर मस्जिद अल हरम और मस्जिद नबवी  (सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम) ने मस्जिद अल हरम में माजूर (अपाहिज) अफराद और मुअम्मर (बुजुर्ग) खवातीन के लिए मस्जिद में मुतअद्दिद (अनेक) हाल मुखतस (रिजर्व, अलाट) कर दिए हैं। इन हाल्ज और नमाज के मुकामात में समाजी, रजाकाराना और इन्सानी खिदमात के लिए खवातीन की इमदादी एजेंसी मुख़्तलिफ अफराद को तैयार करके खिदमत के लिए फराहम करती है। 
    मस्जिद अल हरम में आने वाले तमाम जाइरीन के आराम को यकीनी बनाने के लिए और उन्हें इबादत की अदाई में हर सहूलत फराहम करने के लिए इन हाल्ज में मुतअद्दिद सहूलयात फराहम की जाती हैं। इंतिजामीया ने इन हाल्ज को आगे मुख़्तलिफ जमरों में तकसीम कर दिया है। माजूर अफराद के लिए अलग हिस्सा मुखतस है। व्हील चेयर इस्तिमाल करने वालों के लिए पिछ्ला हिस्सा मुखतस किया गया। नाबीना अफराद को सफेद छड़ी फराहम की जाती और उनके लिए अलग हिस्सा मौजूद है। नाबीना अफराद को कागज और इलेक्ट्रॉनिक दोनों तरह के कुरआन-ए-करीम के ब्रेल नुस्खे़ फराहम कर दिए जाते हैं। इसके अलावा इलेक्ट्रॉनिक नुस्खें भी मौजूद होते हैं जिनमें लचकदार होल्डरज वाले कलम होते हैं। 
    माजूर अफराद के मस्जिद अल हरम में दाखिले और बाहर निकलने को भी मुनज्जम किया जाता है। खवातीन और उनके अहिल-ए-खाना को बात करने का मौका फराहम किया जाता है। इस बात को यकीनी बनाया जाता है कि इन हाल्ज में झगड़े ना हो। कुरानी हलकों, मजहबी अस्बाक और खुतबात जुमा को इशारों की जबान में तजुेर्मा किया जाता है। नमाज के बार कोड बनाए गए हैं। फतावी, सुन्नतों और जिÞक्र पर मुश्तमिल किताबचे फराहम किए जाते हैं। 


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