9 शव्वाल 1444 हिजरी
इतवार, 30 अपै्रल, 2023
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सूडान : आईएनएस, इंडिया सूडान के अवामी और इब्लागी हलकों (समाचार जगत) में हैरत-अंगेज मजहबी आसारे-ए-कदीमा (पुरातत्व) मिलने के चर्चे हैं। इन दरयाफत को शुमाली सूडान के ओलड डू नगूला इलाके में मुनफरद (अलग, अनूठा) बताया जा रहा है। आसारे-ए-कदीमा की हैरत-अंगेज खोज में कदीम हुजरों (प्राचीन आवास) की दीवारों पर नक्शे बने हुए हैं। इन नक्शों और इबारतों में हजरत मसीह, उनकी वालिदा मरियम और फरिश्ते माईकल अपने परों के साथ खाकों की शक्ल में नजर आ रहे हैं।
दारुल हूकूमत (राजधानी) खुरतूम से तकरीबन 530 किलोमीटर शुमाल में वाके ओलड डू नगूला इलाके में आसारे-ए-कदीमा की खुदाई में काम करने वाले मिशन ने आसारे-ए-कदीमा की दरयाफत को मुनफरद (अनूठा) और गैर मुतवक़्के (हैरतअंगेज) करार दिया है। पे्रस रिपोर्टस के मुताबिक आसारे-ए-कदीमा की मुनफरद दरयाफत (खोज) इस खित्ते के लिए बहुत फन्नी और तारीखी एहमीयत रखती है। माहिरीन (विशेषज्ञों) ने शुमाली सूडान के आसारे-ए-कदीमा के इलाकों में ईसाई दौर के फनून (आर्ट) से मुताल्लिक दरयाफतों के मैदान में इस गैर मानूस दरयाफत की पुर असरार लिखावट और अलामतों को समझने की भरपूर कोशिश की है।
सूडान में पुरातत्व और अजाइब-घरों की कौमी अथार्टी में आसारे-ए-कदीमा के सेक्रेटरीएट के सेक्रेटरी अब्दुल अबद अलसावी ने उलारबया डाट नेट को बताया कि आसारे-ए-कदीमा की दीवारें पुराने डू नगूला इलाके में खुदाई के दौरान पोशीदा कमरों के अंदर से मिली हैं। इन खाकों में हजरत ईसा अलैहिस्सलाम, उनकी वालिदा मरियम और फरिश्ता माईकल के मुकद्दस खाकों की तस्वीरें बनीं हुई हैं। इसके साथ इन नुकूश में उस दौर के बादाशनूबा के परों को फड़फड़ाते दिखाया गया है। उन्होंने कहा कि आसारे-ए-कदीमा की टीम उन तारीखी दीवारों के सामने हैरत-जदा रह गई जो आज भी अपने कुदरती रंग को बरकरार रखे हुए हैं, गोया वो आज के दौर की हैं और सैकड़ों साल गुजरने के बाद भी पुरानी मालूम नहीं होतीं।
अलसावी ने कहा कि हालिया आसारे-ए-कदीमा की दरयाफत गैरमामूली है क्योंकि पिछली दीवारों में फरिश्ता या बादशाह के मुहाफिज की तस्वीर को एक मुकर्ररा अंदाज में मुजस्सम करना गैरमामूली सलाहीयत का सबूत है लेकिन नई दीवारों में फरिश्ता माईकल को अपने बाजू को हरकत देते हुए दिखाया गया है। सूडान के नवादिरात के माहिर अब्दुल हई ने मजीद कहा कि आसारे-ए-कदीमा की अनोखी दरयाफत से बहुत से इशारे मिलते हैं और इस बात की तसदीक करते हैं कि नेवबीन फनकारों ने नाकाबिल-ए-यकीन अंदाज में ड्राइंग में महारत हासिल की जिसका सबूत इन दीवारों से मिलता है। वो इस बात की तसदीक करते हैं कि कदीम न्यूब्याई तहजीब की अपनी सकाफ़्त, फनून और जबान थी। अनोखी आसारे-ए-कदीमा की दरयाफत से शुमाली सूडान में आसारे-ए-कदीमा के इलाकों में ईसाई दौर के बारे में हैरत-अंगेज हकायक सामने आए। इन आसारे-ए-कदीमा के कमरों की जड़ें अब भी वसीअ हैं और उनकी तारीखी खुसुसीआत से पर्दा उठाने के लिए बहुत बड़ा काम किया जाना बाकी है।