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इकरा एसोसिएशन ने शुरू की तालीम के लिए जकात की मुहिम

मकसद : जकात लेने वालों को देने वालों में बदलना 

संवरेगा जरूरतमंद बच्चों का मुस्तकबिल




✅ नई तहरीक भिलाई

ट्विन सिटी, दुर्ग-भिलाई में ताअलीम के शोबे में सरगर्म तंजीम इकरा टीचर्स एसोसिएशन ने रमजान के महीने में जकात का हिस्सा तालीम के लिए लेने की मुहिम शुरू की है। एसोसिएशन की ओर से इस रमजान माह में तालीम के लिए जकात देने लोगों को मोटीवेट किया जा रहा है। एसोसिएशन की सरपरस्त समीना फारुकी, सदर यास्मीन नाज और सेक्रेटरी एयू खान का मानना है कि इसके जरिए जरूरतमंद बच्चों का मुस्तकबिल संवारने की कोशिशों को मजबूती मिलेगी।
    गौरतलब है कि 2006 में ट्विन सिटी के कुछ जागरुक लोगों जानिब से शुरू की गई इकरा टीचर्स एसोसिएशन के जरिए ताअलीम के शोबे में बड़े पैमाने पर काम किया जा रहा है। एसोसिएशन के अहलकारों ने बताया कि उनकी तंजीम एक वक्फ जकात फाउंडेशन है, जो जरूरतमंद और गरीबों को प्राथमिक तकनीकी (आईटीआई) से लेकर हायर लेवल तक की टेक्नीकल एजूकेशन के लिए मदद करती है। इसके लिए जकात सबसे बड़ा जरिया है। 



    अहलकारों के मुताबिक उनकी तंजीम का मकसद जकात लेने वालों को जकात देने वालों में बदलना है और इस मकसद में काफी हद तक कामयाबी भी मिल रही है। अहलकारों ने बताया कि एसोसिएशन के जरिये अब तक कई सौ जरूरतमंद बच्चों की पूरी फीस अदा की गई है। इसके साथ ही हर साल मुख्तलिफत कक्षा में बेहतर कारकर्दगी करने वाले बच्चों को एजाज नवाजा जाता है। 
    हाल ही में एसोसिएशन के सालाना प्रोग्राम में अंचल के ऐसे 25 नौजवानों को खास तौर पर बुलाकर एजाज से नवाजा गया था, जिन्होंने इकरा टीचर्स एसोसिएशन की मदद से अपनी तालीम पूरी की और आज देश-विदेश में जॉब कर रहे हैं। ये सभी अब नई पीढ़ी के बच्चों का मुस्तकबिल संवारने अपना किरदार अदा कर रहे हैं। 
    अहलकारों ने बताया कि रमजान के महीने में एसोसिएशन ऐसे सभी लोगों से तालीम के लिए जकात देने अपील कर रहा है। उनका कहना है कि तालीम के लिए दी गई जकात से किसी जरूरतमंद बच्चे का मुस्तकबिल संवर सकता है, ऐसे में इसकी अहमियत को देखते हुए लोगों से रुजु किया जा रहा है।
    इकरा टीचर्स एसोसिएशन से शकील अहमद खान, गौसुल वरा खान, अजमेरी खान, शेख जाफर, मोहतरमा शहनाज, सैयद जाफर, शायना परवीन, नसरीन नाज और शहनाज सहित तमाम लोगों ने माहे रमजान में जकात का एक हिस्सा तालीम के लिए निकालने की अपील की है।

जानिए क्या है ज़कात और फ़ितरा और क्यों दिया जाता है रमजान में ? 

    मदरसा ताज उल उलूम, रुआबांधा के प्रिंसिपल मुफ्ती मुहम्मद शाहिद अली मिस्बाही ने बताया कि  जकात और फ़ितरा इस्लामिक में फर्ज है। हर हैसियत मंद को अपनी मिल्कयत का एक तसशुदा हिस्सा (2.5 फीसदी) साल में एक बार जरूरतमंदों को देना जरूरी है। इसी तरह फितरा भी एक खास तरह का दान है जो रमजान महीने के आखिर में ईद-उल-फितर की नमाज़ से पहले अदा किया जाना वाजिब है। जिसमें गेंहू, जौ, खजूर और किशमिश के मौजूदा बाजार मूल्य के हिसाब से 2 किलो 47 ग्राम की रकम परिवार के हर मेंबर की तरफ से अदा जाती है। ज़कात-फितरा का मकसद गरीबों, यतीमों, बेवाओं और दीगर जरूरतमंदों की मदद करना है। 



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