रज्जब उल मुरज्जब, 1446 हिजरी
﷽
फरमाने रसूल ﷺ
कयामत के दिन मोमिन के मीज़ान में अखलाक-ए-हसना (अच्छे अखलाक) से भारी कोई चीज़ नहीं होगी, और अल्लाह ताअला बेहया और बद ज़बान से नफरत करता है।
- जमाह तिर्मिज़ी
✅ इस्लामाबाद : आईएनएस, इंडिया
वज़ीर-ए-आज़म शहबाज़ शरीफ़, आर्मी चीफ़ जनरल आसिम मुनीर, साबिक़ वज़ीर-ए-आज़म इमरान ख़ान, नोबल ईनाम याफ़्ता मलाला यूसुफ़ ज़ई, मज़हबी आलिम मुफ़्ती तक़ी उसमानी और दीगर कई पाकिस्तानीयों को 2025 के 500 बा-असर तरीन मुस्लमानों की फेहरिस्त में शामिल किया गया है।पहली बार 2009 में शाइआ होने वाली दी मुस्लिम दुनिया के 500 बा-असर तरीन मुस्लमान एक सालाना इशाअत है, जो दुनिया के बा-असर तरीन मुस्लमानों की दर्जा बन्दी करती है। उसे अमान, अरदन में रॉयल इस्लामिक स्ट्रेटजिक सेंटर ने तर्तीब दिया है। ये इस बात की तहक़ीक़ करती है कि बाअज़ मुस्लिम शख़्सियात का उम्मत पर सक़ाफ़्ती, नज़रियाती, माली, सियासी या दीगर किसी सूरत में तबदीली लाने के लिए क्या असर-ओ-रसूख़ है, जिसका पूरी दुनिया के मुस्लमानों पर नुमायां और ख़ास असर हो।
इस साल इस इशाअत ने मुतअद्दिद ऐसे पाकिस्तानीयों के नाम शामिल किए हैं, जिनमें सिवीलियन और फ़ौजी हुकमरानों से लेकर मुख़य्यर शख़्सियात तक और ऐसे अफ़राद भी शामिल हैं जो ज़िंदगी के मुख़्तलिफ़ शोबों में अपने ग़ैरमामूली काम के लिए मशहूर हैं। इशाअत ने पाकिस्तान के वज़ीर-ए-आज़म के बारे में लिखा, शहबाज़ शरीफ़ मार्च 2024 में पाकिस्तान के 24 वें वज़ीर-ए-आज़म बनें जिन्होंने साबिक़ वज़ीर-ए-आज़म इमरान ख़ान के ख़िलाफ़ तहरीक अदमे इअतिमाद के बाद 23 वीं उबूरी वज़ीर-ए-आज़म के तौर पर ख़िदमात अंजाम दी। वो साबिक़ वज़ीर-ए-आज़म नवाज़ शरीफ़ के भाई हैं और उनका अपना एक तवील सियासी कैरियर रहा है। वो पाकिस्तान मुस्लिम लीग के सदर और तीन बार और 2013 पंजाब के वज़ीर-ए-आला रहे हैं।
इस फेहरिस्त में पाकिस्तान के आर्मी चीफ़ जनरल आसिम मुनीर का नाम भी शामिल है। इशाअत ने लिखा कि एक मज़हबी और इलमी ख़ानदान से ताल्लुक़ रखने वाले आसिम मुनीर पाकिस्तान की तारीख़ में अव्वलीन आर्मी चीफ़ हैं जो हाफ़िज़-ए-क़ुरआन भी हैं। उन्होंने पाकिस्तान की दोनों अहम मिल्ट्री इन्टेलीजेंस एजेंसियों के सरबराह के तौर पर ख़िदमात अंजाम दी।
मुस्लिम 500 में साबिक़ वज़ीर-ए-आज़म इमरान ख़ान का एज़ाज़ी ज़िक्र था जो अगस्त 2023 से कई इल्ज़ामात के तहत जेल में हैं। फेहरिस्त में शामिल दीगर पाकिस्तानियों में नोबल ईनाम याफ़्ता मलाला यूसूफ ज़ई, बैन-उल-अक़वामी शोहरत याफ़ता सहाफ़ी, मुल्क की वाहिद ऑस्कर ऐवार्ड याफताह फ़िल्मसाज़ और कारकुन शर्मीन उबीद चिनॉय, सूफियाना गायकी की मलिका आबिदा परवनी, नाअत ख़वान उवैस रज़ा कादरी और इन्सान दोस्त प्रोफेसर डाक्टर अदीब उल-हसन रिज़वी शामिल हैं।
इशाअत ने लिखा, डाक्टर रिज़वी पाकिस्तान के एक सरकरदा इन्सान दोस्त शख़्स हैं जिन्होंने पाकिस्तान में सेहत की सबसे बड़ी मुफ़्त तंज़ीम क़ायम की है। वो कराची में एसआईयूटी (सिंध इंस्टीटियूट आफ़ यूरोलाजी टरांसपलांटेशन) में डाक्टर और मुंतज़िम के तौर पर काम करते हैं। इसकी बुनियाद 1971 में आठ बिस्तरों पर मुश्तमिल यूनिट के तौर पर रखी गई थी लेकिन अब ये पाकिस्तान में सेहत की सबसे बड़ी तंज़ीम है।
मज़ीद कहा गया, एसआईयूटी यूरोलाजी, नेफ्रोलोजी, ट्रांसपलांटेशन और जिगर से मुताल्लिक़ बीमारियों में मुफ़्त और जामा ख़िदमात फ़राहम करता है। ज़िंदगी-भर के इस काम के लिए उन्होंने कई ऐवार्डज़ हासिल किए हैं।